श्रमिकों के इलाज के लिए 5 लाख रुपये का बीमा

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लखनऊ। कोरोना के बढ़ते प्रसार को ध्‍यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक तरफ जहां हर कोविड संक्रमित मरीज के इलाज का प्रबंध करने में जुटे हैं, वही दूसरी तरह वह राज्य में पलायन करके आए प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य की भी चिंता कर रहे हैं। प्रदेश के जिन जिलों  में प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं, उन जिलों में इनके लिए बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्था ठीक है या नहीं इसकी भी मुख्यमंत्री हर दिन रिपोर्ट ले रहे हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा की योजना जल्दी ही लागू करेंगे। इस योजना के तहत किसी हादसे में मृत्यु या दिव्यांग होने पर 2 लाख रुपये तक की मदद मिलेगी। इसके अलावा प्रतिवर्ष इलाज के लिए 5 लाख रुपये का बीमा होगा।

गौरतलब है कि बीते वर्ष अप्रैल की आख़िरी सप्ताह में ही बड़ी संख्या में दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, पंजाब में काम करने गए प्रदेश के श्रमिक बड़ी संख्या में वहां से पलायन कर यूपी लौट आये थे। लाखों-लाख श्रमिकों के अचानक प्रदेश में लौटने पर उन्हें उनके जिले तथा गांव में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटरों में पहुँचाने में प्रदेश सरकार को बड़ी मस्कत करनी पड़ी थी। जिसका संज्ञान लेते हुए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत 13 अप्रैल यह निर्देश दिया था कि प्रदेश के जिन जिलों में प्रवासी श्रमिक लौट रहें हैं उन जिलों में क्वारेंटाइन सेंटर की व्‍यवस्‍था की जाए। इन क्वारेंटाइन सेंटरों में प्रवासी श्रमिकों की कोरोना जांच, क्वारंटाइन, खाने पीने की व्यवस्था के विशेष इंतजाम करने के आदेश सीएम ने बैठक में दिए।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि प्रवासी श्रमिकों के लिए की जाने वाले सभी व्यवस्था को लेकर नोडल अधिकारियों और स्थानीय समिति के साथ जिलाधिकारी संवाद स्थापित करें ताकि समय पर सभी प्रकार की सुविधाएं प्रवासी मजदूरों को मिल सकें। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के अनुसार जिलों में प्रवासी मजदूरों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए और उनमें प्रवासी श्रमिकों की कोरोना जांच, क्वारंटाइन, खाने पीने की व्यवस्था की गई। जिसकी मुख्यमंत्री अब रोज समीक्षा कर रहें हैं। अन्य राज्यों से आये प्रवासियों की स्क्रीनिंग करने को लेकर की गई व्यवस्था की अनुसार अब तक 1,18,754 प्रवासी श्रमिकों की बस अड्डा, रेलवे स्टेशन पर स्क्रीनिंग की गई है और 61,890 प्रवासी श्रमिकों को क्वारंटाइन किया गया।

अन्य राज्यों से पलायन कर प्रदेश में लौटे श्रमिकों के स्वास्थ्य को लेकर किए गए इस प्रबंध के साथ ही अब सरकार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के माध्यम से दो योजनाएं लागू करने जा रही हैं। इसमें से मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बोर्ड में पंजीकृत असंगठित क्षेत्र के पंजीकृत कामगारों और उनके परिवारजनों को 5 लाख रुपये तक के कैशलेस इलाज की निशुल्क सुविधा उपलब्ध रहेगी। यह योजना स्टेट एजेंसी कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के माध्यम से लागू होगी।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री दुर्घटना योजना के लिए भी असंगठित कामगारों का पंजीकरण कराया जाएगा। इसमें कामगार की किसी हादसे में मृत्यु या दिव्यांगता की दशा में अधिकतम दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। प्रति श्रमिक 12 रुपये प्रीमियम का भुगतान बोर्ड अधिकृत एजेंसी को करेगा। एजेंसी की यह जिम्मेदारी होगी कि पंजीकृत कामगार की दुर्घटना में मृत्यु या दिव्यांगता होने पर तय शर्तों के आधार पर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए।

श्रम विभाग के अधिकारियों के अनुसार मृत्यु या पूर्ण शारीरिक अक्षमता की स्थिति में, दोनों हाथ या दोनों पैर या दोनों आंखों के नुकसान होने की स्थिति में, एक हाथ और एक पैर को नुकसान होने पर दो लाख रुपये मिलेंगे। एक हाथ या एक पैर या एक आंख की क्षति होने पर 1 लाख रुपये दिए जाएंगे। स्थायी दिव्यांगता 50 प्रतिशत से अधिक, पर 100 प्रतिशत से कम होने पर भी 1 लाख रुपये मिलेंगे।

इसी तरह स्थायी दिव्यांगता 25 प्रतिशत से अधिक होने, पर 50 प्रतिशत से कम होने पर पचास हजार रुपये दिए जाएंगे। इस योजना में उत्तर प्रदेश राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा। आवेदन ऑफलाइन संबंधित जिले के श्रम कार्यालय में भी दिया जा सकेगा।