हृदय रोग से पीड़ित हैं तो ऐसे करें बचाव

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हृदय रोगों की परेशानियां केवल पीड़ित को ही नहीं घर परिवार और निकट के संबंधियों के मन में भी डर और भय की भावना पैदा कर देते हैं। हम हृदय का ख्याल कैसे रखें इस विषय पर श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट रोड सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सक डॉ रविंद्र पोरवाल ने बहुत ही संक्षिप्त में जीवन उपयोगी जानकारी प्रदान की है।

बीपी पर पैनी निगाह रखें : ब्लड प्रेशर की समस्या बुढ़ापे का रोग माना जाता है लेकिन वर्तमान समय में युवा और छोटी उम्र के बच्चे भी इसका शिकार पाए जाते हैं। स्त्री और पुरुष दोनों को 35 वर्ष से 50 वर्ष की आयु के बीच में नियमित अंतराल से ब्लड प्रेशर की जांच जरूर करवाते रहना चाहिए। 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को हृदय रोगी या उच्च रक्तचाप की कोई समस्या ना होने पर भी 6 माह में एक बार रक्तचाप की नाप जरूर करा लेनी चाहिए। वही जो लोग हृदय संबंधी कोई बीमारी, उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप से पीड़ित हैं उन्हें चिकित्सक के परामर्श से यथा समय ब्लड प्रेशर एवं लिपिड प्रोफाइल और अन्य जांचें चिकित्सक के परामर्श से कराते रहना चाहिए। हृदय रोग और उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों के लिए सजगता का मार्ग उनकी जीवन रक्षा का मार्ग है थोड़ी सी भी लापरवाही कभी-कभी घातक हो सकती है।

कोलेस्ट्रॉल पर ध्यान दें : खराब दिनचर्या डिब्बाबंद आहार भरपूर मात्रा में रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल तले मसालेदार भोजन की अधिकता जंक फूड फास्ट फूड खाने का शौक हमारे लिपिड प्रोफाइल में घातक बदलाव ला सकता है। इसलिए लिपिड प्रोफाइल की जाँच चिकित्सक के परामर्श से प्रति 6 माह में जरूर कराएं। यदि खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल बढ़ा हुआ है तो भोजन और दिनचर्या में सुधार करें टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड बढ़ने पर प्रतिदिन 30 मिनट योग और प्राणायाम को जरूर दें साथ ही। अधिक सुख सुविधाओं वाली विलासिता पूर्ण दिनचर्या में बदलाव करके भरपूर शारीरिक श्रम करें।

आस्तीन का सांप है मधुमेह : रक्त शर्करा का बड़ा स्तर हृदय पर बहुत बुरा असर डालता है। साथ ही ब्लड प्रेशर को भी बढ़ा देता है। जिससे हमारा स्वस्थ शरीर भी विभिन्न प्रकार की समस्याओं और बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। यदि आप मीठा चटपटा तला हुआ भोजन और फास्ट फूड खाने के शौकीन है तो प्रति 3 माह में फास्टिंग ग्लूकोस जरूर चेक कराते रहे यदि आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो ग्लूकोमीटर से हर सप्ताह फास्टिंग और पीपी दोनों ग्लूकोस के स्तर को जरूर चेक करते रहे यथा समय चिकित्सक से परामर्श लेना भी हितकारी होता है।

शौकिया अनावश्यक दबाओ से तौबा करें : छोटी समस्याएं होने पर अनावश्यक रूप से दर्द निवारक गोलियां एंटासिड या नींद की दवाइयां बिना जरूरत सेवन करना आज के युग में बड़े और संपन्न परिवारों में शौक बन गया यह शौक सेहत का दुश्मन है और हृदय पर बुरा असर डालता है। लिवर पेनक्रियाज को असक्त और कमजोर करता है मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए कभी-कभी जानलेवा साबित होता है।

मानसिक तनाव से बचें : मानसिक तनाव केवल मन मस्तिष्क को ही दुख नहीं देता है हृदय रोग उच्च रक्तचाप पेट की गंभीर बीमारियां मधुमेह और गुर्दों पर बुरा प्रभाव डालता है। संपूर्ण एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करके छोटी उम्र की लड़कियों की मासिक संबंधी अनेक समस्याओं का कारक बन जाता है। इसलिए तनाव से बचने के लिए चरण आसन सुप्त नौकासन आश्वचालनासन के साथ 10 मिनट प्रतिदिन ध्यान का अभ्यास जरूर करना चाहिए।

जीवन शैली में बदलाव : युवा पीढ़ी शारीरिक श्रम से बचना चाहती है और भोग विलास सुख सुविधाओं वाला विलासिता पूर्ण जीवन अपनाती है जो शरीर की इम्युनिटी को कम करके शरीर और मन मस्तिष्क को रोगों का घर बना देता है। इसलिए अपनी जीवनशैली को प्रकृति के अनुकूल बनाएं फाइबर वाला मोटा अनाज का मोटा आटे से बनी हुई रोटी खाएं। हरी पत्तेदार सब्जियां सलाद और मौसम के ताजे फलों को भोजन में जरूर शामिल करें। दूध और दही का सेवन बिना चीनी के प्राथमिकता से करें भोजन में सुधार करके प्राकृतिक आहार का सेवन आरोग्यता का मूल मंत्र है।

योग क्रियाओं को जीवन में उतारे : आज संपूर्ण विश्व योगिक क्रियाओं की मदद से आरोग्यता का मार्ग ढूंढ रहा है। चिकित्सा विज्ञानियों की दृष्टि में असाध्य संबंधित समझी जाने वाली बीमारियां भी योगाभ्यास से पूरी तरह ठीक हो जाती है। प्रतिदिन 10 मिनट योग क्रियाओं का अभ्यास जीवन को आनंद पूर्ण प्रसन्नता पूर्ण और निरोगी बनाने में बहुत मददगार है।