मोबाइल के साथ आदमी कितना हुआ मोबाइल

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मानव शास्त्र एक ऐसा विषय है, जिसमें मानव की अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी की बात होती है। वह बात अलग है कि वर्तमान में पारंपरिक दृष्टिकोण अपनाने के कारण भारत जैसे देश में यह विषय अपने दुर्दशा के काल से गुजर रहा है लेकिन इसी विषय के अंतर्गत मानव की उत्पत्ति की कहानी में आज से करीब 2200000 साल पहले जिस हैंडीमैन की उत्पत्ति की बात की जाती है।

उसे स्किल्ड मैन या होमो habilis भी कहते थे और इसको यह नाम इसलिए मिला था क्योंकि आप कुशलता पूर्वक अपने हाथ में औजार को पकड़ सकता था। उसको कुशलतापूर्वक बना सकता था लेकिन सब के मानव ने यह नहीं सोचा होगा कि उसके हाथ में पकड़ने की इसी क्षमता के चलते 3 अप्रैल 1973 के बाद पूरा विश्व एक हैंडीमैन के रूप में जाना जाने लगेगा।

वैसे तो वर्तमान मानव जैविक आधार पर होमो सेपियंस सेपियंस कहलाता है लेकिन उसकी कार्यक्षमता और हाथ में पकड़ने की क्षमता के कारण उसके अंदर होमो हैबिलिस की आकृति को महसूस किया जा सकता है या 3 अप्रैल वही दिन था। जब मोटोरोला कंपनी में काम करने वाले मार्टिन कूपर ने पहली बार मोबाइल फोन को बनाकर जोयल एस एंजेल को फोन करके मोबाइल फोन की दुनिया से पूरे विश्व को प्रभावित किया था।

इसीलिए 3 अप्रैल को मोबाइल फोन के जन्म के रूप में भी देखा जाता है। निश्चित रूप से लाखों वर्ष पहले किए गए मानव के प्रयास की कहानी का अंत मोबाइल फोन के साथ इस तरह से हुआ है। यह हर समय 24 घंटा मनुष्य अपने हाथ में मोबाइल फोन लिए घूम रहा है। आज मनुष्य ने उन सारी कड़ियों को ध्वस्त कर दिया है। जिसके कारण पशु जगत में रात्रि चर और दिनचर शब्दों का निर्माण हुआ था क्योंकि इसी मोबाइल के कारण औद्योगिक क्रांति ने एक ऐसा विकास कर लिया कि मानव 24 घंटे काम का गुलाम हो गया या मोबाइल फोन ही है।

यह मानव विश्व में कहीं पर भी रहते हुए व्हाट्सएप के जरिए अपने लोगों से उसी एक सिम कार्ड से जुड़ा रहता है, जो उसने किसी भी देश में खरीदा हो आज मोबाइल फोन के जरिए आदमी दुनिया में कहीं भी रहते हुए अपने घर की कैमरों के द्वारा निगरानी करने लगा है। मोबाइल फोन में देखते देखते एक वैज्ञानिक भगवान की अवधारणा को विकसित कर दिया जो सर्वव्यापी हो गया।

सर्व शक्तिमान बनने की ओर बढ़ गया है.. क्या नहीं कर सकता है.. आज का मानव मोबाइल फोन के द्वारा क्योंकि मोबाइल फोन यदि उसके हाथ में है तो डाक व्यवस्था के आगे बिना किसी लाचारी को दिखाएं वह ईमेल के जरिए अपनी बात से कंडों में कहां से कहां नहीं भेज रहा है। बिना बैंक को जाए हुए वहा अपने धन को जमा करने निकालने तथा जीवन की हर जरूरत को मोबाइल फोन से ही पूरी की है ले रहा है। जिसमें शहरों के विस्तार बढ़ती जनसंख्या आज के सामने एक ऐसा विकल्प प्रस्तुत किया है। जिसमें व्यक्ति घर में रहते हुए अपने स्थान पर रहते हुए भूमंडलीकरण का एक अच्छा उदाहरण बन रहा है।

यह बात सत्य है कि मोबाइल फोन के माध्यम से वीडियो कॉलिंग करके व्यक्ति अपनों से हर पल आभासी रूप से साथ में रहने का दृश्य प्रस्तुत करता है। आभासी परिवार की संकल्पना पैदा हो गई है। आभासी नातेदारी पैदा हो गई है। जिसमें लोग वास्तविक रूप में सामने ना होते हुए भी वीडियो कॉलिंग के द्वारा हर समय व्यक्ति के सुख दुख में साथ दिखाई देते हैं।

सड़क पर खड़े होकर गाड़ियों का इंतजार करने के बजाय ना जाने कितने ऐसे ऐप हो गए हैं। जिससे गाड़ियां घर पर स्वयं आकर खड़ी हो जा रही है। बिजली हो.. चाहे बैंकिंग सेक्टर हो.. चाहे लोन लेना हो.. चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो.. सब कुछ जैसे मानव की मुट्ठी में आकर बंद हो गया हो और यह सब मोबाइल से हो रहा था। यह भी सच है कि मोबाइल के कारण सब कुछ गुलाबी ही नहीं है मोबाइल फोन से बच्चों के विकास में एक नकारात्मक प्रभाव भी दिखाई दे रहा है।

लगातार आंखों पर देखने के कारण मानव की आंखों में शंकु को परेशानी हो रही है। आंखों की पलके लगातार ना चलने के कारण आंखों में सूखापन पैदा कर रही हैं। दिमाग की एकाग्रता और दिमाग की क्रियाशीलता पर भी असर पड़ रहा है। बच्चे अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्यों को भूल कर मोबाइल के माध्यम से घर वालों के सामने बैठकर ही ऐसे तथ्यों को पढ़ रहे हैं। देख रहे हैं.. चैटिंग कर रहे हैं.. जो संभवत मोबाइल की अनुपस्थिति में उनके लिए संभव नहीं था और यह पारिवारिक विघटन सामाजिक विघटन बच्चों में उम्र से पहले ही विकास और कई गूढ़ विषयों को जानने की उत्कंठा को बढ़ावा दे रहे हैं।

यही नहीं सारी मोबाइल कंपनियां इस बात को बढ़-चढ़कर बताती हैं कि रेडिएशन का क्या प्रभाव पड़ रहा है। इन मोबाइल कंपनियों में लोगों के रहने वाले जगहों पर बड़े-बड़े टावर लगाए हैं। जिनकी विकिरण से भी कैंसर जैसी समस्याएं पैदा हो रही है। उनके अंदर से निकलने वाली तरंगों से कई पक्षी अब आकाश में दिखाई नहीं देते हैं मधुमक्खियां गायब हो चुकी हैं। तितलियां गायब हो चुकी हैं। इन तरंगों से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। मोबाइल से कई तरह के घोटाले भी जन्म ले रहे हैं लेकिन मानव जीवन में सत्ता से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि हर तत्व का एक नकारात्मक पक्ष भी है।

पर्यायवाची शब्द की अवधारणा इसी पर आधारित है कि यदि दिन है तो रात है यदि सुख है तो दुख है ऐसे ही यदि किसी तत्व से अच्छाई की अवधारणा जन्म लेती है तो उसमें बुराई की भी अवधारणा का अर्थ छिपा होता है लेकिन उन अर्थों के बीच में मोबाइल के अनगिनत अच्छाइयों को देखते हुए बुराइयों को आदमी नजरअंदाज करके स्वयं मोबाइल मैन कहलाने लगा है।

आज होमो हैबिलिस इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसकी हैंडीमैन की अवधारणा को हर मानव अपने हाथ में पकड़े हुए मोबाइल के माध्यम से सिद्ध कर रहा है। आज होमो सेपियंस सेपियंस होमो हैबिलिस से आगे जाते हुए होमो फ्यूचरिस कि उस संकल्पना के साथ खड़ा है। जिसकी कल्पना बहुत समय पहले सेपीरा ने किया था और इसीलिए 3 अप्रैल को इस रूप में भी देखा जाना चाहिए। जब मानव की उत्पत्ति की कहानी में कई मानव का अनुवांशिक तत्व सामाजिक रुप से उसकी कार्यशैली में दिखाई देने लगा है और यह सब इसलिए हुआ क्योंकि आज के मानव के हाथ में एक अद्भुत वरदान के रूप में मोबाइल फोन है जो उसे हर पल स्थाई तो दे रहा है।

डॉ आलोक चांटिया