बड़ों को वैक्सीन, बच्चों को टीके के लिए खोजेंगी आशा

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• 7 से 16 सितंबर तक चलेगा प्रदेशस्तरीय अभियान
• 45 साल से अधिक उम्र के उन लोगों का होगा चिंहिकरण जिनको नहीं लगी है वैक्सीन की एक भी डोज़
• टीबी, कोरोना और बुखार के लक्षण वाले मरीजों की भी होगी पहचान

लखनऊ। प्रदेश सरकार सात सितंबर से 10 दिन का प्रदेशस्तरीय अभियान चलाने जा रही है। इस अभियान में आशा व एएनएम घर-घर जाकर ऐसे बच्चों की पहचान करेंगी जिनको कोविड काल में किसी कारणवश नियमित टीके नहीं लग सके। इसके अलावा 45 साल से अधिक उम्र के उन लोगों का भी चिन्हीकरण किया जाएगा जिनको अभी तक कोरोनारोधी वैक्सीन की एक भी डोज़ नहीं लगी है।

अपर मुख्य सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बुधवार को बताया कि 7 से 16 सितंबर चलने वाले इस वृहद अभियान में आशा बहनें घर-घर जाएंगी और कोरोना और बुखार के लक्षण वाले लोगों की पहचान करेंगी और इसकी जानकारी जिला मुख्यालय पर देंगी। उसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीमें इन लक्षण वाले मरीजों का समुचित इलाज करवाएंगी।

उन्होंने बताया कि आशा बहनें घर-घर भ्रमण के दौरान टीबी के मरीजों का चिन्हीकरण करेंगी। इसके अलावा ऐसे लोगों की भी पहचान करेंगी जो 45 वर्ष से अधिक के हैं और जिनको अभी तक कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज़ नहीं लग पाई है। अपर मुख्य सचिव के मुताबिक प्रदेश सरकार दो साल से कम उम्र के बच्चों का नियमित टीकाकरण करवाती है। ऐसी सूचना है कि कोविड काल के दौरान कुछ बच्चों का टीकाकरण छूट गया है। इस अभियान में ऐसे बच्चों की भी खोज की जाएगी ताकि कोई भी बच्चा नियमित टीकाकरण से वंचित न रह जाए।

उन्होंने बताया कि 31 अगस्त तक 7 करोड़ 31 लाख से ज्यादा डोज़ प्रदेशवासियों को लगाई जा चुकी है। सिर्फ अगस्त माह में ही ढाई करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। सितंबर माह में इस स्पीड को और बढ़ाया जाएगा क्योंकि प्रदेश सरकार की मंशा है कि जल्द से जल्द हर प्रदेशवासी को वैक्सीन लग जाए।