नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना सफाई के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल को घेर कर सत्ता में आई भाजपा को अब यमुना की जय-जयकार करनी होगी। अर्थात उसे यमुना की सफाई पर ध्यान देना है, ताकि यमुना रिवर फ्रंट बनाया जा सके। और यमुना का साफ पानी घरों तक लाया जा सके। दरअसल यमुना भाजपा के कोर मुद्दों में से एक थीं। चुनाव प्रक्रिया के दौरान यमुना सफाई को लेकर जितनी बयानबाजी होती गई उतना ही भाजपा का ग्राफ बढ़ता गया। और यमुना मैया ने ही भाजपा की नैया पार कर दी। वैसे इसमें केजरीवाल के झूठ ने भी काम किया। गलती मानने का उनका अंदाज भी लोगों को नहीं भाया, क्योंकि जनता ने उन्हें पूरे 11 साल काम करने के लिए दिए थे। इसलिए दिल्ली की राजनीति में यमुना एक बड़ा मुद्दा हो गई हैं। यह भाजपा के लिए भी चुनौती है कि वह समय पर यमुना सफाई का अपना वादा पूरा करें। यह केजरीवाल और आप के लिए भी एक अवसर है कि अगर भाजपा अपने इस वादे पर खरी नहीं उतरती है तो वह इस पर उसे घेरे। फिलहाल तो यमुना मैया ने भाजपा की नैया पार कर दी है। अब देखते हैं कि अन्य मुद्दों के साथ-साथ यमुना की सफाई कब, कैसे और कितनी हो पाती है।
संघ शासित क्षेत्र दिल्ली की नवीं और चौथी महिला मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बीते 20 फरवरी को रामलीला मैदान में शपथ ले ली है। अरविंद केजरीवाल को प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर शिकस्त देने वाले नई दिल्ली के विधायक प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को कैबिनेट में दूसरे नंबर की बर्थ मिली है। अनुभवी नेता बिजेंद्र गुप्ता को भी विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिल गई है। सरकार बनाने में भाजपा ने जातीय समीकरणों को साधने के साथ-साथ क्षेत्रीय समीकरणों का भी ध्यान रखा है। दिल्ली में अब भाजपा की डबल इंजन की सरकार बन गई है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तीसरा इंजन यानी दिल्ली नगर निगम भी भाजपा के पास आ ही जाएगा। इस सरकार के बनने के साथ ही अब उपराज्यपाल से रोज-रोज होने वाले झगड़ों की कहानी भी खत्म हो जाएगी। इसलिए इस सरकार पर तेज काम करने का नैतिक दबाव भी होगा। वैसे सरकार के सारे मंत्री एक्शन मोड में हैं। इसके अलावा पूरी सरकार ने शपथ लेते ही यमुना आरती में शामिल होकर यमुना की सफाई पर अपनी संजीदगी का अहसास करा दिया है। वैसे भी विरोधी पक्ष विशेषकर आम आदमी पार्टी काक दृष्टि लगाए बैठी है कि भाजपा सरकार से कहीं गलती हो और वह उस मुद्दे को जनता के बीच ले जाए। यानी भले ही बहुमत की सरकार भाजपा ने बना ली हो किंतु विपक्ष का दबाव उस पर हमेशा बना रहेगा।
इस शपथ ग्रहण में एक बात और साफ हो गई कि भाजपा और उसके घटक दल यानी कि पूरा एनडीए एकजुट है। शपथ ग्रहण के बाद एनडीए के नेताओं की अनौपचारिक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले चुनाव के लिए हर राज्य के नेताओं को तैयारियों में जुट जाने का संदेश दिया और कहा कि हर हाल में जीतना है। शपथ ग्रहण समारोह के बाद एनडीए के नेता एक पार्टी में जुटे थे। वहां पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी थे। काफी सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई।
उधर शपथ ग्रहण के बाद पहली कैबिनेट बैठक में महिलाओं को ₹2500 महीना देने के बारे में कोई चर्चा न होने को आम आदमी पार्टी ने मुद्दा बना लिया है। और पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने एक पत्र नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को भेज दिया। इसके बाद उन्होंने इस मामले को और तूल देते हुए मिलने का समय भी मांगा, हालांकि समय नहीं मिला। बाद में दिल्ली विधानसभा के पहले सत्र के पहले दिन नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाया था। मुलाकात के बाद आतिशी ने पत्रकारों को बताया कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि 8 मार्च तक महिलाओं के खाते में पैसे पहुंच जाएंगे। दूसरी ओर खबर है कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बाबत अधिकारियों से चर्चा की है और शीघ्र ही इस पर कोई ठोस फैसला हो जाएगा। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक चुनावी रैली में कहा था कि सरकार बनते ही पहली कैबिनेट मीटिंग में महिलाओं को ₹2500 महीना देने के आदेश हो जाएंगे। और पहली किस्त 8 मार्च को मिल भी जाएगी। किंतु बैठक में इस इस चर्चा न होने पर आम आदमी पार्टी ने इसे मुद्दा बना लिया।
बीते 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही इस बात के कयास लगने शुरू हो गए थे कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। आखिरी क्षण तक भाजपा ने इस पर सस्पेंस बनाए रखा। ढेर सारे नाम उछले किंतु कोई दावेदार यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया कि उसकी दावेदारी सबसे मजबूत है। पत्रकारों के सवालों के जवाब में हर व्यक्ति यही कहता रहा कि मैं तो इस रेस में सबसे पीछे हूं। और आलाकमान जिसे मुख्यमंत्री बना देगा, हम उसके पीछे-पीछे रहेंगे। इसके बावजूद रेस चलती रही और नाम उछलते व गिरते रहे। अंततः अरविंद केजरीवाल जैसे दिग्गज को हराने वाले प्रवेश साहिब सिंह वर्मा की किस्मत ने साथ नहीं दिया और मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके पास से निकल गई। वैसे वे कैबिनेट में दूसरे नंबर पर हैं पर डिप्टी सीएम भी नहीं बन पाए हैं, जिनकी उम्मीद की जा रही थी। अपने पिता साहिब सिंह वर्मा के बाद मुख्यमंत्री बनने का जो ख्वाब उन्होंने और उनके परिजनों ने पाल रखा था वह फिलहाल टूट सा गया है। उधर रेखा गुप्ता पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का हाथ है। अंदरखाने तो यह भी बताया जाता है कि रेखा गुप्ता का नाम आगे करने में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का बहुत बड़ा हाथ है। खुद सीएम बनने का सपना पाल बैठे सचदेवा को जब ये मैसेज मिल गया कि उनको सीएम नहीं बनाया जाएगा तो उन्होंने अपनी विश्वस्त रेखा गुप्ता का नाम आगे किया। या यूं कह सकते हैं कि जब उनसे रेखा गुप्ता के नाम पर बात की गई तो उन्होंने सहर्ष हां कर दी। वैसे भी पार्टी में मुख्यमंत्री के बाद अगर कोई मजबूत स्तंभ होता है तो वह प्रदेश अध्यक्ष ही होता है। सरकार बनने के बाद नई मुख्यमंत्री के साथ उनकी लगातार सक्रियता काबिले गौर है। इस प्रकार रेखा गुप्ता ने जहां महिला होने के नाम पर बाजी मार ली है। वैसे ये विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था तो सही मायने में मुख्यमंत्री चुनने का हक भी उनका ही था। और उन्होंने निश्चित तौर पर इस चुनाव में सारे समीकरणों का ध्यान रखा होगा। पर शायद वे इस बात का ध्यान नहीं रख पाए कि दिल्ली में जब भी सत्ता परिवर्तन हुआ है तो उस समय सीएम कोई महिला ही रही है। चाहे वह भाजपा की सत्ता जाना हो, कांग्रेस की सत्ता जाना हो या फिर आम आदमी पार्टी की सत्ता जाना हो। दिल्ली में जब भाजपा की सत्ता गई तब मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज थीं, जब कांग्रेस की सत्ता गई तो मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं और जब आम आदमी पार्टी की सत्ता गई तो मुख्यमंत्री आतिशी थीं। पर शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन टोटकों में विश्वास नहीं करते। इसलिए वह कुछ भी कर सकते हैं। अब देखना यह होगा कि उनका चुनाव कितना सार्थक हो पाता है।
रेखा गुप्ता सरकार की प्राथमिकताओं में तीन चीज सबसे ऊपर हैं। पहला कैग रिपोर्ट विधानसभा सदन के पटल पर रखना, दूसरा महिला सम्मान निधि योजना में में ₹2500 महीना देना और तीसरा यमुना की सफाई करना। रेखा गुप्ता सरकार को विशेष कर तीन मुद्दों पर ज्यादा सावधानी बरतनी होगी अन्यथा हार से खार खाई आम आदमी पार्टी उसे चैन से जीने नहीं देगी।बात यमुना की सफाई की करें तो सरकार बनने के पहले ही उपराज्यपाल ने यमुना की सफाई का काम शुरू करा दिया है। यमुना में लगातार ड्रेजिंग मशीन चल रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनकी कैबिनेट ने भी शपथ लेते ही यमुना मैया की आरती कर ली है। तो इसे देख कर लगता है कि सरकार इस पर काफी गंभीर है।
बात दिल्ली कैबिनेट की करें तो पार्टी ने रेखा गुप्ता के रूप में महिला के साथ-साथ वैश्य समुदाय को भी साध लिया है। भाजपा में इस समय कोई भी मुख्यमंत्री महिला नहीं है। पार्टी चूंकि महिला सशक्तिकरण की बात करती है, इसलिए किसी न किसी महिला का मुख्यमंत्री होना जरूरी था। ऐसे में भाजपा ने तमाम दावेदारों को दरकिनार कर रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया और यह कमी भी पूरी कर दी गई है। यानी बनिया और महिला फैक्टर अब रेखा गुप्ता के सहारे बैलेंस हो गए। इसी प्रकार प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को कैबिनेट में दो नंबर की स्थिति देकर भाजपा ने जाट बिरादरी को संतुष्ट करने का प्रयास किया है। अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान, 47 वर्षीय प्रवेश वर्मा ने जनता से कई वादे किए। इनमें साबरमती की तरह यमुना नदी तट का विकास करना, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए आवास की व्यवस्था करना, 50,000 सरकारी पदों का सृजन करना, फ्लाईओवर का निर्माण करना और प्रदूषण मुक्त राजधानी शहर सुनिश्चित करना शामिल है। पार्टी ने संबंधित विभाग भी उन्हें सौंप दिए हैं। परंतु रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रवेश वर्मा अपने सारे वादों पर कितना खरा उतर पाते हैं यह इस पर डिपेंड करता है कि रेखा गुप्ता उन्हें कितना तरजीह देती हैं। बहरहाल प्रवेश वर्मा के बहाने भाजपा ने हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट बिरादरी को साधने की कोशिश की है। उसके बाद क्षत्रिय और पूर्वांचली फैक्टर साधने के लिए विधायक पंकज सिंह को मंत्री बनाया गया है। वे मूलतः बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं। पार्टी को इसका लाभ बिहार विधानसभा चुनाव में हो सकता है। इसके अलावा पंकज सिंह को मंत्री बनाकर पार्टी ने क्षत्रिय बिरादरी को भी साध लिया है। इसी प्रकार कपिल मिश्रा के बहाने पार्टी ने ब्राह्मणों को और पूर्वांचली विरादरी को संतुष्ट करने की कोशिश की है। मंत्री कपिल मिश्रा उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में सलेमपुर ब्लाक के पयासी मिश्र गांव के मूल निवासी हैं। इनका भी लाभ बिहार के चुनावों में ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए मिल सकता है। कपिल मिश्रा के समायोजन से कट्टर हिंदुत्व, ब्राह्मण और पूर्वांचली समीकरण साधे गये हैं। मनजिंदर सिंह सिरसा को मंत्री बनाकर सिख समुदाय को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है। ये नियुक्ति शायद पंजाब में हो रहे घटनाक्रम के चलते पार्टी के काम आ जाए। सिरसा एक समय में शिरोमणि अकाली दल के नेता हुआ करते थे, और वहीं से निकलकर बीजेपी में आए। इसके अलावा पार्टी ने आशीष सूद को मंत्री बनाकर पंजाबी समुदाय को संतुष्ट करने की कोशिश की है। इसका लाभ भी पार्टी को दिल्ली के अलावा पंजाब और हरियाणा में मिल सकता है। इसके अलावा रविन्द्र इंद्राज सिंह, जो दलित बिरादरी से आते हैं, को मंत्री बनाकर पार्टी ने यह मैसेज देने की कोशिश की है कि भाजपा दलितों की हितैषी पार्टी है। इनके पिता उत्तर प्रदेश में विधानसभा सदस्य भी रह चुके हैं। इसके जरिए उत्तर प्रदेश और दलित वोट बैंक समीकरण को साधने की कोशिश की गई है। वैसे इस पूरे समीकरण में पहाड़ी समुदाय छूट गया है, शायद। अब इनको भाजपा कैसे बैलेंस करेगी, यह तो वही बेहतर समझ सकती है।
दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और महाराष्ट्र, राजस्थान और आंध्र प्रदेश सहित भाजपा शासित लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री तथा बड़े नेता शामिल हुए। पर बुलावा जाने के बावजूद अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया या आतिशी समेत आम आदमी पार्टी का कोई नेता सम्मिलित नहीं हुआ। परंतु कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव इस समारोह में मौजूद रहे। भाजपा ने शपथ ग्रहण समारोह के बहाने अपनी ताकत और एनडीए की एकजुटता का भरपूर प्रदर्शन किया। समारोह के दौरान रामलीला मैदान खचाखच भरा हुआ था और तिल रखने पर की जगह नहीं थी।
रेखा गुप्ता के गले में प्रवेश वर्मा का पत्थर : वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार दयानंद पांडेय का कहना है कि दिल्ली के रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण से ले कर यमुना के वासुदेव घाट पर आरती तक के दृश्य देख कर लगा कि प्रवेश वर्मा, रेखा गुप्ता के गले में बंधा पत्थर साबित हो सकते हैं। अपने फेसबुक वाल पर दयानंद पांडेय लिखते हैं कि रेखा गुप्ता को लगातार ओवरटेक करते हुए नज़र अंदाज़ करने की उनकी अदा बहुत शुभ नहीं है। मंज़र बहुत मंगलमय नहीं दिखता । प्रवेश वर्मा को लगता है कि जैसे मुख्यमंत्री पद उनसे रेखा गुप्ता ने छीन लिया है, जबकि छीना तो मोदी ने है। पर सुपर चीफ़ मिनिस्टर होने का गुरूर उन के चेहरे पर साफ़ पढ़ा जा सकता है। ये ख़तरे की घंटी है। श्री पांडेय लिखते हैं कि यमुना आरती में तो ताबड़तोड़ कंप्टीशन से रेखा गुप्ता आजिज आकर पीछे खिसक गईं। फिर आहिस्ता से बीच में कोई और आ गया। रामलीला मैदान में भी आमने-सामने होने पर भी प्रवेश ने रेखा को नहीं देखने का भाव चेहरे पर बनाए रखा। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि रेखा गुप्ता, इस जाट नेता के गले में घंटी बांध कर क़ाबू कैसे करती हैं। इसलिए भी कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के लिए उन के पास आदर भाव नदारद है, ओवरटेक भाव प्रबल है। इसे देखकर उत्तर प्रदेश में केशव मौर्य और बृजेश पाठक की याद आती है।
हार के बाद आम आदमी पार्टी लगातार एक्शन में : अन्ना आंदोलन की उपज और सड़क पर उतरने वाली राजनीति के लिए मशहूर आम आदमी पार्टी के पास अब सत्ता नहीं है। इसलिए उसे सत्ता को परेशान करने का काम मिल गया है। यह काम ऐसा है जिसके लिए यह पार्टी मूल रूप से जानी जाती है। ये अलग बात है कि 11 साल सत्ता में रहने पर उसकी आदतें थोड़ी खराब हो गई हैं। फिर भी इन 11 सालों में उसने केंद्र सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने में कोई परहेज नहीं किया। अब चूंकि वह सत्ता से बाहर है, विपक्ष की भूमिका में है, तो वह रेखा गुप्ता सरकार को परेशान करने का कोई अवसर नहीं चूकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभा में दिल्ली की जनता से वादा किया था कि पहली कैबिनेट मीटिंग में ही दिल्ली की महिलाओं को ₹2500 महीना देने का आदेश हो जाएगा, और यह 8 मार्च से मिलने लगेगा। किंतु पहली मीटिंग में इस पर कोई चर्चा नहीं हुई तो आम आगे पार्टी ने इसे मुद्दा बना लिया। कैबिनेट मीटिंग की बातें बाहर आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि रेखा गुप्ता सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को झूठा साबित कर दिया है। और उनके चुनावी वादे के अनुसार पहली मीटिंग में इस पर कोई चर्चा नहीं की गई। पर हम भाजपा को अपने वादे से भागने नहीं देंगे। ऐसे में लगता है कि चुनाव हारने के बाद आम आदमी पार्टी रेखा गुप्ता सरकार को चैन से नहीं बैठने देगी। वह हर समय सरकार की कमियां खोजकर आवाज उठाती रहेगी।आतिशी ने कहा कि हम सरकार को ऐसे नहीं छोड़ेंगे। हम जनता के प्रहरी के रूप में उनसे हर उस बात पर सवाल पूछेंगे जिनको चुनाव के दौरान जनता से कहा गया है।
इसके अलावा कैग रिपोर्ट पर आतिशी ने कहा है कि इस रिपोर्ट को मैने ही विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था। चूंकि उसके बाद विधानसभा सत्र बुलाया नहीं जा सका, इसलिए रिपोर्ट टेबल नहीं हुई। उस समय के विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि जब विधानसभा बैठेगी तो रिपोर्ट टेबल कर दी जाएगी। भाजपा द्वारा इसको इतना बड़ा मुद्दा बनाने की कोई जरूरत ही नहीं है, हम भी इसे रोकने वाले नहीं थे। भाजपा बेवजह इस पर दुष्प्रचार कर रही है।
दरअसल आम आदमी पार्टी की परेशानी यह है कि उसके बड़े नेता अरविंद केजरीवाल कई मामलों में फंसते जा रहे हैं। उधर विधानसभा में कैग रिपोर्ट भी रख दी गई है। इसको लेकर हो हल्ला मचा हुआ है। ऐसे में इन मुद्दों से ध्यान बंटाने के लिए भी आम आदमी पार्टी रेखा सरकार को दूसरे मुद्दों पर उलझाने की कोशिश करती ही रहेगी।
कौन हैं रेखा गुप्ता जिन पर नरेंद्र मोदी की कृपा बरसी : दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने वाली रेखा गुप्ता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ संघ का भी आशीर्वाद प्राप्त है। इसीलिए उनकी दावेदारी और मजबूत हो गई। नयी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का जन्म 19 जुलाई 1974 को हुआ था। वे इस पद को संभालने वाली चौथी महिला हैं। रेखा गुप्ता शालीमार बाग से विधान सभा की सदस्य निर्वाचित हुई हैं। उन्होंने इसके पहले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की महासचिव और अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। ये भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और दिल्ली राज्य इकाई की महासचिव भी रहीं। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव से राजनीति में कदम रखा। ये 1996-1997 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष बनीं। ये तीन बार पार्षद रह चुकी हैं। और दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की पूर्व मेयर हैं। ये 2007 में उत्तरी पीतमपुरा (वार्ड 54) से पार्षद चुनी गईं। वे 2012 में फिर पार्षद चुनी गईं। उन्हें 2022 में भाजपा ने आप की शैली ओबेरॉय के खिलाफ एमसीडी मेयर पद के उम्मीदवार के रूप में भी खड़ा किया था, पर हार गयीं। रेखा गुप्ता भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से पहले दिल्ली भाजपा की महासचिव रह चुकी हैं। रेखा गुप्ता ने शालीमार बाग सीट पर आप की बंदना कुमारी को 29,595 वोटों के अंतर से हराया है। ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी सदस्य थीं। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में शुरू की थी।
रेखा गुप्ता द्वारा अब तक संभाले गये पद
* 1994 सचिव, दौलत राम कॉलेज छात्र संघ
* 1996- दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष
* 2004-2006 – राष्ट्रीय सचिव, भाजपा युवा मोर्चा
* 2007-2009 अध्यक्ष, महिला कल्याण एवं बाल विकास समिति, एमसीडी
* 2009- महासचिव, दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा
* 2010-वर्तमान – सदस्य, भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी
* 2007 और 2012 – उत्तरी पीतमपुरा (वार्ड 54) से दो बार पार्षद चुनी गईं
* 2015 और 2020 में आप की बंदना कुमारी से विधानसभा चुनाव हार गई।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक