दिलीप कुमार ने ‘सॉरी” कह दिया होता तो मुधबाला के प्यार का अंजाम दूसरा होता

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किस्से फिल्मी दुनिया के…

पिछले अंक में आपने पढ़ा कि मधुबाला आैर दिलीप कुमार फिल्म ‘तराना” के सेट पर मिले। लेकिन एक वाक्या आपको बताना मैं भूल गया कि ‘तराना” के सेट पर मिलने से पहले उन्होंने मुधबाला को अपनी एक फिल्म के सेट पर देखा था जब वो फिल्म के प्रोड्यूसर से मिलने आयी थीं। उन्हें देखकर दिलीप साहब के दिमाग में एक ही ख्याल आया कि खुदा ने उन्हें फुरसत से बनाया होगा। उनकी हिरनी जैसी बड़ी बड़ी चंचल आंखें, घने लम्बे घुंघराले बाल, दमकता चमकता चांद सा चेहरा, होठों पर एक लम्बी सी शरारत भरी मुस्कान। कुंदन की जुवेलरी आैर जरी की गुलाबी साड़ी। यह छवि उनके दिल में घर कर गयी। बला की खूबसूरत मधुबाला अप्सरा सी छवि उनके दिल में उतर गयी।

फिल्म “तराना” के सेट पर जब दोनों मिले तो दिलीप कुमार का दिल जोरों से धड़क रहा था। मधुबाला भी उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना न रह सकीं। दोनों एक दूसरों को घंटों देखा करते। दिलीप कुमार शर्मीले स्वभाव के थे। मधुबाला उन्हें सलाह देतीं कि वे अपना शर्मीला स्वभाव में परिवर्तन लायें क्योंकि इससे उनके काम में फर्क पड़ रहा है। उनकी डायलाग डिलीवरी भी प्रभावित होती है। यह उनके किरदार में रोड़ा सा लगता है। दिलीप कुमार को अपने इस नये दोस्त की सलाह बहुत भाती। वे कोशिश करते कि सलाह पर अमल किया जाए। उन्हें लगता कि वे ही कुछ ज्यादा दिल के हाथों मजबूर हुए जा रहे हैं पता नहीं दूसरी ओर भी वैसी कोई फीलिंग है भी या नहीं। उनकी इस दुविधा को मधुबाला ने ही खत्म कर दिया।

एक दिन मधुबाला ने अपनी हेयर ड्रेसर के हाथों एक लिफाफे में फूल व खत रखकर भिजवाया जिसमें इश्क का इजहार किया गया था। अगर मैं आपको पसंद हूं तो गुलाब को रख लें। लाल गुलाब अपने पास रखकर उन्होंने ग्रीन सिग्नल दे दिया। अब यह तय था कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। धीरे धीरे दोनों करीब आते गये। दोनों प्रेम के दरिया में गोते लगा रहे थे। दोनों को एक साथ वक्त बिताना अच्छा लग रहा था। लेकिन मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान को यह दोस्ती एकदम पसंद नहीं थी। ग्यारह बच्चों के पिता खान साहब कभी नहीं चाहते थे कि वे आपस में मिलें। क्योंकि वे जानते थे कि अगर मधुबाला इश्क शादी में पड़ीं तो परिवार की रोटी और उनका ऐशो आराम छिन जाएगा। उन्होंने मधुबाला पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी।

दिलीप साहब भी मिलने के लिए नये नये हथकंडे अपनाते। कभी वे उस सेट पर चले जाते जहां मधुबाला शूटिंग कर रही होतीं। दिलीप साहब चाहते थे कि इस रिश्ते को नाम दिया जाए। लेकिन अताउल्लाह खान उसमें सबसे बड़ा रोड़ा थे क्योंकि वे भी जानते थे कि खान साहब उन्हें पसंद नहीं करते। आखिर बहुत सोचने के बाद उन्होंने एक रास्ता निकाला। उन्होंने अपनी बहन शकीना को कहा कि वे मधुबाला के घर जाएं आैर रिश्ते की बात करें। उन्होंने शकीना को लाल रंग की एक चुनरी दी आैर कहा कि वे मधुबाला को शगुन के तौर पर भेंट करें आैर उनके वालिद से निकाह की बात करें।
शकीना घर गयीं। पूरा परिवार था लेकिन बात कुछ खास बनती नहीं दिखी। अताउल्लाह खान इस रिश्ते से नाखुश थे। उन्होंने बड़ी चालाकी से एक ऐसी शर्त रखी जो शर्तिया दिलीप साहब को नागवार गुजरती। उन्होंने कहा कि हमने हाल ही प्रोडक्शन कम्पनी खोली है। मैं चाहता हूं कि शादी के बाद दिलीप साहब केवल हमारे होम प्रोडक्शन में मधुबाला के साथ ही काम करें। इसमें जो भी कमाई होगी वह कम्पनी को जाएगी।

यह सारी बातें दिलीप साहब तक पहुंची। उन्होंने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। हां उन्होंने यह जरूर कहा कि मधुबाला जो भी कमायेंगी वह सारा वे अपने पास रख सकते हैं लेेकिन उनके कैरियर को डिसाइड करने वाले वो कौन होते हैं? निकाह का चैप्टर यहां जरूर क्लोज्ड हो गया था लेकिन दोनों की मुहब्बत पहले की तरह जवान थी। लेकिन तभी एक ऐसी घटना हो गयी जब इस प्रेमी जोड़े की राहें हमेशा हमेशा के लिए जुदा हो गयीं। हुआ यह कि बीआर चोपड़ा दिलीप कुमार आैर मधुबाला की हिट जोड़ी को लेकर फिल्म ‘नया दौर” बना रहे थे। ‘नया दौर” फिल्म के कुछ हिस्सों की शूटिंग कर चुकी मधुबाला को मेकर्स ने चालीस दिन के शूटिंग शिड्यूल के लिए ग्वालियर भेजना चाहा। अताउल्लाह खान नहीं चाहते थे कि मधुबाला इतने लम्बे समय के लिए दिलीप कुमार के साथ रहें। पिता ने मेकर्स से लोकेशन चेंज करने का आग्रह किया। जिसके लिए बीआर चोपड़ा राजी नहीं हुए। तब पिता ने मधुबाला को फिल्म छोड़ने को कहा।

मधुबाला ने फिल्म छोड़ दी। बीआर चोपड़ा ने उनकी जगह वैजयंतीमाला को साइन कर लिया आैर एक बड़ा सा विज्ञापन भी छपवा दिया जिसमें मधुबाला की फोटो पर क्रास लगा था आैर बगल में बड़ी सी वैजयंतीमाला की फोटो लगी थी। यह बेइज्जती देखकर अताउल्लाह खान आग बबूला हो गये। मामला इतना बिगड़ा कि वे कोर्ट पहुंच गये। इधर मेकर्स ने साइनिंग अमाउंट वापस न करने पर काउंटर केस दायर कर दिया। इस दौरान दिलीप कुमार ने फिल्म के डायरेक्टर का साथ दिया और मधुबाला के पिता के खिलाफ कोर्ट में गवाही दी। उन्होंने कहा कि वे डिक्टेटर की तरह व्यवहार करते हैं। ये मधुबाला को काम नहीं करने दे रहे हैं। उन्हें फिल्म साइन करते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए था कि वे आउटडोर की इजाजत देंगे कि नहीं। मधुबाला को भी आउटडोर के लिए मना नहीं करना चाहिए था। मधुबाला से उनके सम्बंध में जब कोर्ट में पूछा गया तो दिलीप कुमार ने कहा कि इस लड़की जिसका नाम मधुबाला है मैं बेइंतिहा मोहब्बत करता हूं आैर मैं सारी जिन्दगी प्यार करता रहूँगा। उनकी इस गवाही की वजह से न सिर्फ मधुबाला का दिल टूट गया बल्कि दोनों के रिश्तों में दरार आ गई। मधुबाला की छोटी बहन मधुर ब्रजभूषण ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके पिता अौर बीआर चोपड़ा के बीच सारी गलतफहमियां कुछ प्रोड्यूसरों ने मिलकर दूर करा दी थीं। यह मामला रफा दफा हो गया था।

मधुबाला को लगता था कि शायद दिलीप कुमार को एक दिन अपनी गलती का अहसास होगा आैर वो वापस आ जाएंगे। दिलीप कुमार ने भी पैचअप के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने के. आसिफ से “मुगल ए आजम” मेें अनारकली के रोल के लिए मधुबाला की सिफारिश की। वो मान गये।

मधुबाला ने दिलीप कुमार के सामने एक शर्त रखी कि वे उनके वालिद से सॉरी बोल दें आैर गले लगा लेें तो हमारा निकाह हो सकता है। लेकिन दिलीप साहब इस बात पर अड़ गये कि जब मैंने कोई गलती ही नहीं की तो मैं सॉरी क्यों बोलूँ ? मधुबाला अपने वालिद को सबसे ज्यादा चाहती थीं। वे उनको दुख पहुंचाकर शादी नहीं करना चाहती थीं।
दोनों फिल्म ‘मुगल-ए-आजम” में साथ शूटिंग जरूर करते रहे थे, लेकिन साथ रहते हुए दोनों एक-दूसरे के लिए बिल्कुल अजनबी बने रहे। एक सीन में दिलीप कुमार को मधुबाला को थप्पड़ मारना था। कैमरा चालू हुआ आैर डायलॉग पूरा होने के बाद उन्होंने मधुबाला को इतनी जोर का थप्पड़ जड़ दिया कि उसकी गूंज सेट पर खड़े सभी टेक्नीशियनों ने सुनीं। एकदम खामोशी छा गयी। मधुबाला के गाल पर चार उंगलियों के निशान छप गये। के. आसिफ मधुबाला को सेट से दूर ले गये आैर बोले,’ ये थप्पड़ बताता है कि दिलीप तुमसे अब भी बहुत प्यार करता है। तुमसे नहीं बस वो तुम्हारे वालिद के व्यवहार से खफा है। देखना इस शॉट को एक दिन दु़निया याद करेगी। वेल डन।”
(विभिन्न स्त्रोतों से साभार)

प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव