ऊर्जावान बनने के लिए करें प्राणायाम… करें प्राणायाम रहें निरोग…।।। जी हाँ, प्राणायाम जीवन को खुशियों से भर देगा।
प्राणायाम अर्थ : प्राणायाम = प्राण + आयाम । इसका का शाब्दिक अर्थ है – ‘प्राण (श्वसन) को लम्बा करना’ या ‘प्राण (जीवनीशक्ति) को लम्बा करना’। (प्राणायाम का अर्थ ‘स्वास को नियंत्रित करना’ या कम करना नहीं है।) प्राण या श्वास का आयाम या विस्तार ही प्राणायाम कहलाता है।
उद्देश्य : प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य शरीर में ऊर्जा वहन करने वाले मुख्य स्रोतों का शुद्धिकरण करना है। अतः यह अभ्यास पूरे शरीर का पोषण करता है। मन में निश्चलता लाता है और शांति प्रदान करता है साथ ही एकाग्रता बढ़ाने में भी सहायक है। जीवन शक्ति बढ़ाता है और तनाव एवं चिंता के स्तर को कम करता है।
प्राणायाम की विधि : प्राणायाम करते समय मन शांत एवं प्रसन्न होना चाहिए, प्राणायाम से मन शांत एवं एकाग्र होता है। प्राणायाम करते समय मुख, आँख, नाक आदि अंगों पर किसी प्रकार का तनाव ना रखे। प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे बिना किसी उतावले, धैर्य के साथ, सावधानी से करें। कपालभाति सदैव खाली पेट करें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम श्वसन तंत्र को मजबूत बनाता है। कोरोना वायरस से बचने के लिए नोएडा के प्रसिद्ध योगगुरु सुमित शर्मा इस प्राणायाम को बेहद ही महत्वपूर्ण बताते हैं। वे कहते हैं कि इस प्राणायाम को जितना कर सकते हैं उतना ही शरीर के लिए अच्छा है। दिन में 3-4 बार भी अनुलोम विलोम कर सकते हैं।
यहां ऐसे 5 प्राणायाम दिए जा रहे हैं, जिनका रोजाना अभ्यास करना चाहिए। यहां जिस क्रम में प्राणायाम दिए गए हैं, उसी क्रम में करने चाहिए। प्राणायाम के बाद सीधे ध्यान में उतरा जा सकता है। कपालभाति को प्राणायाम के तहत नहीं माना जाता यह एक क्रिया हैं।
क्या है प्राणायाम : पंच तत्वों में से एक प्रमुख तत्व वायु हमारे शरीर को जीवित रखता है। यह वात के रूप में शरीर के तीन दोषों में से एक दोष है और सांस के रूप में यही हमारा प्राण है। प्राण शरीर के कण-कण में मौजूद है। यह कभी आराम नहीं करता और लगातार काम करता रहता है। जब तक प्राण शक्ति चलती है, तभी तक इंसान जीवित रहता है। जाहिर है, प्राण ही सब कुछ है। इन्हीं प्राणों को शुद्ध, निरोग और स्वस्थ बनाए रखने का काम प्राणायाम करता है।
प्राणायाम करने के कुछ नियम : प्राणायाम में सांस नाक से ही लेना चाहिए। प्राणायाम करने के दौरान अगर थकान महसूस हो तो बीच-बीच में सूक्ष्म व्यायाम कर लेना चाहिए। सांस को जबर्दस्ती न रोकें। प्राणायाम करने से पहले ओम का तीन बार उच्चारण कर लेना चाहिए। इस दौरान चेहरे पर मुस्कान रहे।
कपालभाति : सुखासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। दोनों नॉस्ट्रिल से गहरी सांस भीतर लें। सीना फूलेगा। अब सांस को बलपूर्वक पूरी तरह से बाहर निकाल दें। सांस को बलपूर्वक बाहर निकालना है। इस तरह से 20 सांसें बिना रुके लेनी और निकालनी है। यह कपालभाति का एक राउंड हुआ। हर राउंड के बाद कुछ लंबे गहरे सांस लें और छोड़ें और तब दूसरे राउंड पर जाएं। ऐसे तीन राउंड कर सकते हैं।
फायदे : कफ संबंधी विकारों को दूर करने में सहायक। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस ठीक होता है।
कौन न करें : जिन लोगों को ह्रदय रोग हैं, चक्कर आते हैं, हाई बीपी है, हर्निया है, वे न करें।
अनुलोम-विलोम : सुखासन में बैठ जाएं। बायें हाथ की हथेली को ज्ञान मुद्रा में घुटने पर रखें। दायें हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नॉस्ट्रिल पर रखें और अंगूठे को दायें वाले नॉस्ट्रिल पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब लेफ्ट नॉस्ट्रिल से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। फौरन ही राइट नॉस्ट्रिल से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। राइट नॉस्ट्रिल से सांस भरें और अंगूठे से उसे बंद कर दें। इस सांस को राइट नॉस्ट्रिल से बाहर निकाल दें। यह एक राउंड हुआ। 5 राउंड करें।
फायदे : तनाव को कम करता है और प्राण शक्ति को बढ़ाता है। सभी कर सकते हैं।
उज्जयी प्राणायाम : किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जाएं। आंखें बंद कर लें और दोनों नॉस्ट्रिल्स से हल्के हल्के लंबी सांस भरें और निकालें। सांस भरते और निकालते वक्त गले की मांसपेशियां सिकुड़ी हुई अवस्था में हों, जिससे एयर पैसेज छोटा हो जाए। ऐसी स्थिति में सांस लंबी और गहरी होगी। गले द्वारा पैदा किए जा रहे अवरोध की वजह से सांस लेने और बाहर निकलने की आवाज होगी।
फायदे : इस प्रक्रिया में पैदा होने वाली ध्वनि मन को शांत करती है। ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद मिलती है और हार्ट रेट कम होता है। अस्थमा और टीबी को ठीक करने में मददगार है।
कौन न करें : जिन लोगों को दिल की बीमारी हैं।
भ्रामरी प्राणायाम : सुखासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। दोनों हाथों को चेहरे पर लाएं। दोनों अंगूठे दोनों कानों में जाएंगे, तर्जनी उंगली आंखों के ऊपर रखें, मध्यमा उंगली नाक के पास, अनामिका होंठ के ऊपर और सबसे छोटी उंगली होंठ के नीचे रहेगी। नाक से गहरा और लंबा सांस लें। अब भरे गए सांस को भंवरे के गूंजने की आवाज करते हुए बाहर निकालें। यह एक राउंड हुआ। पांच राउंड कर लें।
फायदे : गुस्सा और बेचैनी को कम करता है। तनाव से छुटकारा दिलाता है।
कौन न करें : जिन लोगों को नाक या कान का इंफेक्शन है।
भस्त्रिका प्राणायाम : किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं। दोनों नॉस्ट्रिल्स से पूरी तेजी के साथ सांस अंदर लें। पूरी ताकत के साथ सांस को बाहर निकाल दें। भस्त्रिका प्राणायाम में सांस लेते हुए और निकालते हुए पूरी ताकत लगाना जरूरी है। एक बार सांस भरना और निकालना, इस तरह के 20 राउंड लगातार लगाएं और उसके बाद कुछ देर आराम करें और फिर 20 राउंड का ही दूसरा सेट लगाएं। ऐसे तीन सेट लगा सकते हैं।
फायदे : शरीर के टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मददगार है। शरीर में आक्सीजन की सप्लाई को बेहतर बनाता है और रक्त को शुद्ध करता है।
कौन न करें : जिन लोगों को ह्रदय रोग हैं, हर्निया है और हाईबीपी है। गर्मियों में न करें।
शीतली प्राणायाम : किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं। जीभ के टिप को नीचे वाले होंठ पर रख लें और उसे रोल करें। मुंह से सांस लें और सांस को रोककर रखें। अब मुंह बंद कर लें और नाक से सांस बाहर निकाल दें। यह एक राउंड हुआ। शुरुआत में दो से तीन राउंड कर सकते हैं। बाद में इसे 15 तक बढ़ाया जा सकता है।
फायदे : शरीर को ठंडा रखने में मददगार है। एसिडिटी और हाइपरटेंशन को ठीक करता है।
कौन न करें : सर्दी से पीड़ित लोगों को नहीं करना चाहिए। इसे सर्दियों में न करें।