‘ऊदबिलाव” की उछल कूद देख कर खास तौर से बच्चे बड़े खुश होते हैं क्योंकि ऊदबिलाव कभी पानी में गोता लगाते हुये दिखेगा तो कभी पिछले दोनों पैर पर खडे़ होकर इधर-उधर ताकते-झांकते दिखेगा। यूं कहा जाये कि ऊदबिलाव अपने में मस्त रहने वाला जन्तु है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।
ऊदबिलाव समुद्र, नदियों व बड़ी नहरों में रहने वाला जलीय जन्तु है। आस्ट्रेलिया व अन्टार्कटिका को छोड़ कर ऊदबिलाव सभी देशों में पाया जाने वाला जन्तु है। स्वभाव से शर्मिला होने के कारण अक्सर इंंसान से दूर रहता है लेकिन ऐसा भी नहीं कि उसे इंसान से कोई परहेज हो। अपने में मस्त रहने वाला व सामाजिक जन्तु ऊदबिलाव जलीय स्तनपायी होता है। ऊदबिलाव की तेरह प्रजातियां होती हैं।
खास तौर से इनका आशियाना जलाशय के निकट पत्थर की गुफाओं वाला स्थान होता है। यह मांसाहारी होता है। खास तौर से इसे खाने में मछली पसंद होती है। करीब चौदह किलो से लेकर पैंतालिस किलो वजन वाले ऊदबिलाव का स्वभाव गोताखोरों की तरह होता है जो कभी पानी में गोता लगाते दिखेंगे तो कभी उपर सतह पर नजर आयेंगे। जीव जन्तु विशेषज्ञों की मानें तो देश में ऊदबिलाव का अस्तित्व संकट में है क्योंकि इनकी संख्या तेजी से कम होती जा रही है। चबंल व शारदा आदि सहित देश की बड़ी नदियां इनका आश्रय स्थली होती हैं लेकिन इन नदियों पर संकट आने से अब इन पर भी संकट आ गया। विशेषज्ञों की मानें तो चंबल में ऊदबिलाव की दो प्रजातियां दिखती थीं।
करीब पांच साल पहले एक सर्वेक्षण में चंबल नदी में चार ऊदबिलाव दिखे थे। इसी तरह से शारदा नहर में एक दशक पहले ऊदबिलाव की संख्या चालीस के आसपास थी लेकिन अब यह संख्या घट कर दो दर्जन के आसपास रह गयी है। वन्य व जलीय जीवन के इस जीव-जन्तु को बचाने के सार्थक प्रयास होने चाहिए जिससे इनके अस्तित्व को बचाया जा सके। अन्यथा कोई बड़ी बात न होगी कि ऊदबिलाव भविष्य में विलुप्तता की श्रेणी में आ जायें।