भारतीय पक्षियों की श्रंखला में ‘एमू” ने खूबसूरती के रंग भरे। जी हां, एमू अपने खास पंखों के कारण अपनी एक अलग ही पहचान रखता है तो वहीं उसके लड़ाके तेवर भी पक्षियों की श्रंखला में उसे एक खास मुकाम देते हैं। एमू सामान्यत: आस्ट्रेलिया का पक्षी है लेकिन अब यह भारत सहित दुनिया के करीब-करीब हर देश में पाया जाता है। आस्ट्रेलिया ने तो एमू की खूबसूरती, ताकत व अन्य खूबियों को देख कर उसे ‘राष्ट्रीय पक्षी” के खिताब से अलंकृत किया है।
खास तौर से शाकाहारी पक्षियों में गिने जाने वाले एमू को मांसाहार से भी परहेज नहीं होता। पौधे-पत्तियां व घास आदि को भोज्य बनाने वाला एमू कीडे-मकोड़े भी खाता है। छिपकली व चूहे आदि उसकी पसंद में शुमार होते हैं। वन्य जीव विशेषज्ञों की मानें तो शुतुरमुर्ग के बाद एमू विश्व का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी है। खूबसूरत पंख होने के बावजूद एमू उड़ान नहीं भर सकता क्योंकि इसका शारीरिक ढ़ांचा भारी भरकम होता है। करीब दो मीटर की ऊंचाई वाले एमू का वजन सामान्य तौर पर साठ से पैंसठ किलो तक होता है। भारी भरकम होने के बावजूद एमू अत्यधिक फुर्तीला होता है।
साहस में भी एमू का कहीं कोई जोड़ नहीं। यह शत्रु से डर कर भागता नहीं बल्कि शत्रु का डट कर मुकाबला करता है। ताकत व उसकी चपलता देख कर विरोधी पक्षी या अन्य जीव पीछे हटने को विवश हो जाते हैं। एमू का रंग सामान्यत: मटमैला व भूरापन लिये होता है। मटमैला व भूरापन होने के बावजूद उसके पंख सुन्दर व चमकदार होते हैं। पंखों की चमक व सुन्दरता उसके आकर्षण को बढ़ाती हैं।
शरीर भारी भरकम होने के बावजूद एमू पचास किलोमीटर से अधिक रफ्तार से आसानी से दौड़ लगाने में समर्थ होता है। रेगिस्तान वाले इलाके भी उसके लिए कोई खास दुष्कर नहीं होते। रेगिस्तानी इलाकों में भी एमू आसानी से प्रवास करते हैं। रेगिस्तानी इलाकों का भी वह अच्छा दौड़ाक माना जाता है। नर व मादा एमू को एक साथ देख कर नर व मादा का अनुमान लगाना आसान नहीं होता क्योंकि नर व मादा में कोई खास फर्क नहीं होता।
हालांकि मादा एमू नर की तुलना में कुछ अधिक बड़ी होती है। एमू की आैसत आयु तीस वर्ष होती है तो मादा एमू करीब सोलह वर्ष तक अण्डे देती है। मादा छह से एक दर्जन तक अण्डे देती है। इन अण्डों का रंग हरा व नीला होता है। खास बात यह होती है कि मादा अण्डे देती है तो नर एमू उनको सेता है। अण्डों को सेने के बाद चूजा निकलने पर भी नर एमू उनको ऐसे ही विचरण के लिए नहीं छोड़ता। जब तक एमू का चूजा आत्मनिर्भर नहीं हो जाता, तब तक नर एमू चूजा का पालन-पोषण करता है। आत्मनिर्भर होने के बाद एमू स्वच्छंद विचरण करता है।
एमू करीब तीन फुट का घोसला बनाता है लेकिन कई बार इससे अधिक आकार का भी घोसला बनाता है। एमू सामान्यत: सामूहिक जीवन पर विश्वास करते है लेकिन जोड़े में रहने में भी उसे कोई परहेज नहीं होता। अब तो देश-विदेश में एमू पालन खेती किसानी व धंधे में भी शामिल हो चुका है। एमू के मांस, अण्डे व पंख आदि को कारोबार से जोड़ कर अच्छी आमदनी भी काश्तकार कर रहे हैं। वन्य जीव श्रंखला का यह पक्षी शांत दिखने के बावजूद हमेशा एक नये लक्ष्य व खोज में रहता है। एमू पक्षी को देश विदेश के जंगलों, रेगिस्तानों के अलावा चिड़ियाघरों में भी देखा जा सकता है।