घटती स्मरण शक्ति को दुरुस्त करके याददाश्त बढ़ाने के लिए श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सक डॉ रविंद्र पोरवाल ने कुछ घरेलू नुस्खे बताएं हैं।
क्यों घटती है याददाश्त : क्षमता से ज्यादा मानसिक श्रम करना, किसी बीमारी के कारण दिमागी रूप से जल्दी थक जाना, लंबे समय तक एसिडिटी का प्रकोप रहना, कब्ज या कई कई दिन तक खुलकर पेट साफ ना होना, आंतों में गैस बनना और पेट फूलना, गंभीर बीमारी के ठीक होने के बाद आई शारीरिक और मानसिक दुर्बलता, शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना, लीवर की गंभीर और कष्ट दाई बीमारी जैसे अनेकों अनेक कारण हैं। जिनका बुरा असर स्मरण शक्ति पर होता है।
इसके अलावा विभिन्न प्रकार के नशा बीड़ी सिगरेट पीना तंबाकू खाना शराब चरस गांजा जैसी मादक पदार्थों का सेवन मन मस्तिष्क के ऊपर बुरा असर डालता है और स्मरण शक्ति कम हो जाती है। क्रॉनिक रोगों में निरंतर ली जाने वाली कुछ एलोपैथिक औषधियां शरीर की रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती हैं और इनका बुरा प्रभाव मन मस्तिष्क पर होता है, फल स्वरूप याददाश्त कम होने लगती है।
याददाश्त कम होने के लक्षण : बात करते-करते विषय वस्तु को भूल जाना, किसी जाने पहचाने व्यक्ति को देखकर उसे ना पहचान पाए, मोबाइल नंबर एड्रेस इत्यादि भूल जाना, आफिस या घर पर महत्वपूर्ण वस्तुओं कागजों पर्स पैसे चाबी आदि आदि को छोड़कर चले जाना, जिस कार्य के लिए घर या ऑफिस से निकले उसे पूरी तरह अंजाम ना दे पाना, काफी समय तक लिखने पढ़ने के बाद भी दिमाग में याद ना हो पाना जैसी अनेकों लक्षण है जो हमारी याददाश्त की कमी को प्रदर्शित करते हैं।
याददाश्त बढ़ाने के उपाय
8 घंटे की गहरी और शांत नींद लें स्वप्न रहित नींद को आदर्श माना जाता है। शारीरिक श्रम खूब करें दिन में एक बार जरूर पसीना निकलना चाहिए। यदि गहरी और शांत नींद नहीं आती है तो रात्रि सोते समय बिस्तर पर हरी धनिया का शरबत मिश्री मिलाकर पीने से याददाश्त पर बहुत अच्छा फर्क आता है। दोपहर भोजन में दाल के स्थान पर दही का सेवन करना भी अच्छा है।
भोजन तला हुआ, प्याज लहसुन फ्राई किया हुआ, अदरक टमाटर को तल भूनकर खाने से याददाश्त पर बुरा प्रभाव होता है। भारतीय संस्कृति में प्रयुक्त अनेकों प्रकार के किचन के मसालों को भी तेल में बुरी तरह भूनना और ज्यादा मात्रा में उसका सेवन करना याददाश्त को बहुत कमजोर बना देता है।
साफ मिट्टी का पेस्ट बनाकर मिट्टी की पट्टी को आंखों के ऊपर और माथे पर आधा घंटे प्रातः काल एव 20 मिनट से लेकर 30 मिनट तक शाम के समय रखने से दिमाग की चंचलता नियंत्रित होती है। गर्मी शांत होकर सुकून मिलता है और याददाश्त बढ़ती है।
एसिडिटी के कारण याददाश्त पर बुरा असर हो रहा है तो प्रातः नाश्ते में अंकुरित अनाज या ताजे फल का जूस लीजिए और एक चम्मच जीरा सुबह सुबह खाली पेट चबा चबा कर खा लीजिए। भोजन के उपरांत घर पर ही ताजे और स्वच्छ बने हुए आंवले की एक या दो मुरब्बा देसी गुलाब से निर्मित गुलकंद का सेवन करना अच्छा है, एसिडिटी पेट के अल्सर और भयंकर सांस फुलाने वाली कमजोरी को पूरी तरह जड़ मूल से ठीक कर देता है।
100 ग्राम खरबूजा के बीज सौ ग्राम तरबूज के बीज 10 ग्राम सफेद मिर्च को पीसकर आटे की तरह वारीक कर ले। 10 ग्राम यह पाउडर प्रातः खाली पेट हाय ऊपर से गुनगुना दूध पी ले। यदि इसके साथ घर में बना हुआ आंवले का एक मुरब्बा भी सेवन करें तो यह गिरती हुई याददाश्त को ठीक करके मस्तिष्क को शक्तिशाली बनाता है और विस्मृति की बीमारी से पूरी तरह छुटकारा पाने का बहुत प्रभावशाली उपाय है।
गेहूं के ताजे हरे जवारो का 50 मिली रस प्रातः खाली पेट लेने से याददाश्त बहुत तेज हो जाती है। इमली का बिना चीनी का 25 मिली रस रात्रि को सोते समय पीने से इम्युनिटी बढ़ती है। शरीर के अंदर बल और शक्ति बढ़ती है और सबसे अधिक यह याददाश्त व धैर्य बढ़ाने के लिए बहुत कारगर है।
भोजन के उपरांत शंखपुष्पी का 25 मिली काढ़ा याददाश्त को तेज करने के लिए रामबाण उपाय है। अंकुरित गेहूं, अंकुरित मोठ और अंकुरित चना बिना नमक नींबू या टमाटर आदि को मिलाएं। प्रातः खाली पेट सेवन करें। इसके ऊपर एक गिलास दूध पीने से मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। विद्यार्थियों विशेषकर उच्च शिक्षा में तब 10 घंटे या उससे अधिक समय तक पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए यह काढा सायंकाल भी पीना बहुत हितकारी है।
चरण आसन सिंहासन वीरासन अर्धमत्स्येंद्रासन पक्षी आसन और अलोम विलोम प्राणायाम भी याददाश्त को बढ़ाने के लिए बहुत कारगर साधन है।
जंक फूड फास्ट फूड और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ जिनमें कीटनाशक विभिन्न प्रकार के केमिकल इत्यादि का समावेश होता है। हमें ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना होगा। इनका पूरा असर मन मस्तिष्क पर होता है और याददाश्त पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।