सावधान ! कहीं आप अपनी सेहत से खिलवाड़ तो नहीं कर रहे

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कोविड-19 से ग्रसित होने के बाद जब रोगी रोगमुक्त हो जाता है तब भी उसके शरीर में अनेकों प्रकार की समस्याएं दुख और कष्ट देती रहती हैं। कोविड-19 के संक्रमण से मुक्ति के बाद होने वाले कष्टों के निवारण के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के बोर्ड मेंबर और देश के वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर रविंद्र पोरवाल ने बहुत ही सुंदर जानकारी दी है।

संक्रमण से मुक्ति के बाद भी आंतरिक अंगों पर बुरा असर : कोविड-19 के संक्रमण से जूझने के दौरान शरीर के आंतरिक अंगों पर बहुत बुरा प्रभाव होता है उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, उनकी अंतः शक्ति कम हो जाती है। फलस्वरुप संक्रमण मुक्त होने के उपरांत भी शारीरिक और मानसिक स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं बनी रहती हैं। उनका उपचार कराने के लिए विवश होना पड़ता है। शरीर के आंतरिक अंगों में आई शिथिलता और कमजोरी के साथ-साथ गिरती इम्यूनिटी अर्थात शरीर की रक्षा प्रणाली जब कमजोर हो जाती है तो शरीर के आंतरिक अंगों आंख, कान, मस्तिष्क, हृदय, किडनी, फेफड़ों, आंतें, हड्डियां आदि को अपनी जैव रासायनिक क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप पोषक तत्व फाइटोन्यूट्रिएंट्स मिनरल्स विटामिनों आदि की आपूर्ति उचित मात्रा में नहीं हो पाती तो शरीर संक्रमण से मुक्त होने के बाद भी दिन प्रतिदिन कमजोर होता जाता है। कई अन्य रोगों से ग्रसित हो जाता है।

कोविड-19 वायरस और इम्यूनिटी : कोविड-19 के संक्रमण का मुख्य कारण इम्यूनिटी का कम होना है, संक्रमण काल में जो दवाईयां खाई जाती है उसका शरीर की इम्युनिटी पर बुरा प्रभाव होता है। जिसके फलस्वरूप कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त होने के बाद भी शरीर के आंतरिक अंग पूर्ण आरोग्य नहीं हो पाते हैं। भूख, कब्ज गैस एसिडिटी, कोलाइटिस, आईबीएस, पेशाब की तकलीफ, भयंकर कमजोरी, जोड़ों व मांसपेशियो का दर्द, थकान आलस, नींद, लीवर, किडनी से संबंधित गंभीर रोगों के साथ-साथ ह्रदय रोगों, उच्च रक्तचाप मधुमेह जैसी अनेकों अनेक समस्याएं भयावह रूप में सामने आती हैं। इनमें कोई एक रोग या कभी-कभी दो या तीन तकलीफे एक साथ मिलकर रोगी का जीना हराम कर देती है।

बड़ी भूल यह भी है : कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त होने के तुरंत बाद अधिकांश रोगी पूर्व की भांति अपनी सामान्य दिनचर्या आहार खानपान और कार्यप्रणाली पर पुनः चलने लगते हैं। जबकि शरीर के आंतरिक अंग और मन मस्तिष्क संक्रमण मुक्त होने के बाद भी सामान्य दिनचर्या को स्वीकार नहीं कर पाता इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है कि रोग मुक्त होने के बाद अपनी दिनचर्या को धीरे-धीरे सामान्य बनाना चाहिए और धीरे-धीरे ही अपने आहार, शारीरिक श्रम, कामकाज पर वापस लौटना चाहिए।

बुखार से मुक्त होने के बाद कुछ मरीज पौष्टिकता के नाम पर भरपूर मात्रा में काजू, बादाम, किशमिश जैसे मेवे, हलवा, पूड़ी, पनीर की सब्जी आदि गरिष्ठ और बहुत देर से पचने वाले तली, मसालेदार, जंक फूड फास्ट फूड जैसे भोजन का सेवन शुरू कर देते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कमजोर हुई पाचक ग्रंथि, लिवर, पेनक्रियाज आदि पर कार्य का लोड ज्यादा हो जाता है। शरीर का संपूर्ण पाचन संस्थान पूरी शक्ति से इस प्रकार के आहार पचाने की कोशिश करते हैं लेकिन कमजोर पाचनशक्ति तला मसालेदार आहार फास्ट फूड और जंक फूड का सही ढंग से पाचन और अवशोषण नहीं कर पाते। जिसका परिणाम यह होता है कि पाचन संस्थान से जुड़ी हुई पेट की विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। वही बीमारी के समय अनेकों दिन बिस्तर पर रहने के कारण जब रोगी रोग मुक्त होता है तो उसे घर से बाहर निकलने की बहुत जल्दी होती है, अनेकों अधूरे पड़े काम और व्यापार की चिंता, घर परिवार को चलाने के लिए धन के इंतजाम की फ़िक्र के कारण कमजोर और अशक्त शरीर और कमजोर मनोदशा होते हुए भी व्यक्ति अपने काम पर वापस लौट जाता है। किंतु शरीर और मन मस्तिष्क इसके लिए तैयार नहीं होता है। फल स्वरुप कमजोरी व थकान बढ़ती जाती है और इस पर अगर समय रहते ध्यान ना दिया जाए तो यह किसी गंभीर बीमारी में बदल जाती है।

यह चूक भी बड़ी घातक : कोविड-19 से बचाव के लिए गिलोय, नीम, तुलसी, अश्वगंधा जैसी जड़ी बूटियों का अत्यधिक मात्रा में सेवन भी अच्छी सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है। यह जड़ी बूटियां शरीर के लिए हितकारी और लाभप्रद होती है। शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत करती है किंतु शरीर की जरूरत से ज्यादा मात्रा में इनका सेवन किसी भी रूप में हितकारी नहीं है। इसी प्रकार घंटों योगाभ्यास से कमजोर और अशक्त शरीर को लाभ के स्थान पर नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है। प्रतिदिन 10 मिनट से लेकर 30 मिनट तक योगिक आसन, प्राणायाम व यौगिक सूक्ष्म व्यायाम आदि का यथा आवश्यकता अभ्यास अमृत के समान लाभ प्रदान करता है।

बड़े काम के यह उपाय : प्रतिदिन प्रातः नाश्ते में अंकुरित सोयाबीन और पानी में भीगी हुई कुछ किशमिश या देसी गुड़ का सेवन करके सामान्य ताप का दूध घुट घुट कर के पी ले। ध्यान रखिए दूध उबलता हुआ गरम और फ्रिज का ठंडा नहीं लेना है। भोजन में मौसम के फल और सब्जियों जैसे टमाटर, खीरा, फूलगोभी, प्याज के साथ दो से चार कली लहसुन का खाना खाने के पहले सलाद के रूप में सेवन करने से शरीर के आंतरिक अंगों को पोषण के साथ-साथ उनकी कमजोरी को दूर करने में भी अत्यंत लाभप्रद है। दिन भर में भरपूर मात्रा में पानी पीना अति आवश्यक है। अपने शारीरिक बजन के 10 में भाग के बराबर पानी पीना स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान लाभप्रद होता है किंतु भोजन के तुरंत बाद पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं है। खाना खाने के आधे घंटे बाद ही पानी पिए।

यदि नींबू पानी पी सके तो पूरे दिन में दो नींबू का रस 1 लीटर पानी में मिलाकर चार पांच बार में एक एक गिलास करके पीना इम्यूनिटी को बढ़ाने और शरीर के अंदर एकत्रित विजातीय द्रव्यों को शरीर से बाहर निकालने और शरीर को स्वच्छ करने के लिए बहुत अच्छा होता है। भोजन में एक कटोरा भरकर हरी पत्तेदार हरी सब्जी और दाल का सेवन जरूर करें। किसी भी प्रकार के बिस्किट दालमोठ मिठाईयां फास्ट फूड चाट समोसा पूडी पराठे जैसे गरिष्ठ खाद्य पदार्थों से पूरी तरह परहेज करें। चाय कॉफी कोल्ड ड्रिंक पान मसाला बीड़ी सिगरेट तंबाकू जैसी घातक चीजों से पूरी तरह दूरी बनाएं।

प्रतिदिन प्रातः काल उठकर कुंजल गजकर्म और जलनेति का अभ्यास बहुत लाभप्रद है। योगिक आसनों में विस्तृत पाद सुप्तउत्तानपाद आसन भुजंगासन पश्चिमोत्तानासन आश्वाचालनासन और पक्षी आसन का दो दो मिनट तक सांस को सामान रखकर अभ्यास करने से शरीर फिर से नवयौवन को प्राप्त करता है। टूटी हुई मनोदशा, गिरता उत्साह और धैर्य में कमी लेकिन क्रोध और सनकीपन में बढ़ोतरी होने पर ध्यान की शरण में जाना हितकारी होता है। हार्टफुलनेस मेडिटेशन इस प्रकार की मनोदशा से मुक्ति का एक सशक्त उपाय है।