कहीं आप भी इस गंभीर बीमारी के शिकार तो नहीं

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ओस्टियोआर्थराइटिस जॉइंट्स की क्षयकारी बीमारी है। आधुनिक विलासिता पूर्ण जीवन शैली और अप्राकृतिक आहार इस बीमारी का मुख्य कारक है। यह बात श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सा और सुप्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ रविंद्र पोरवाल ने बताई।

डॉ रविंद्र पोरवाल ने बताया कि ओस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों का दर्द अकड़न और सूजन देने वाली बीमारी है जो पीड़ित को चलने फिरने से लाचार कर देती है क्योंकि इस बीमारी में जोड़ों के बीच में स्थित मुलायम हड्डी कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है। साथ ही साथ जॉइंट्स के बीच में जो तैलीय पदार्थ सायनोवियल फ्लुएड होता है। उसका निर्माण भी कम हो जाता है। फल स्वरूप जोड़ों में उठते बैठते या चलते समय चटचट की आवाज आने लगती है। भरी जवानी में ही कार्टिलेज और तैलीय पदार्थ सायनोवियल फ्लुएड का नुकसान शुरू हो जाता है और हड्डियों से जोड़ों से कट कट की आवाज शुरू हो जाती है।

युवावस्था में यह ज्यादा तकलीफ नहीं देती है और युवा वर्ग इस तकलीफ के प्रति सतर्क नहीं होते हैं। कोई कष्ट न होने के कारण इसकी अनदेखी कई कई वर्षों तक करते रहते हैं। ध्यान न देने पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह दुखदाई बीमारी भी धीरे धीरे बढ़ती जाती है। जब तक जवानी रहती है… शरीर में ताकत रहती है… बल और सामर्थ के साथ-साथ मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

बीमारी के शुरुआती लक्षण होने के बावजूद भी चलने फिरने में कोई तकलीफ नहीं आती किंतु वृद्धावस्था में जब मांसपेशियां शिथिल और कमजोर हो जाती हैं। मांसपेशियों में जबरदस्त अकड़न आने लगती है व शरीर की ताकत कम हो जाती है तब जीवन के इस मोड़ पर ओस्टियोआर्थराइटिस अपना पीड़ा और लाचारी देने वाला तांडव शुरू करती है और जोड़ों में सूजन और भीषण दर्द का कारण बन जाती है। रोगी के जीवन की एक एक सांस कष्टमय हो जाती है।

युवावस्था में अनियमित दिनचर्या और जंक फूड फास्ट फूड तले मसालेदार भोजन का खूब सेवन करना युवाओं का शौक होता है। साथ ही साथ आजकल के समय छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बड़े विद्यार्थी तक पढ़ाई की बोध से दबे रहते हैं। पढ़ाई का तनाव शारीरिक मेहनत बिल्कुल ना करना और पूरे दिन विलासिता पूर्ण जीवन जीना इस बीमारी के मुख्य कारण है। अगर हमें अपने शरीर में इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते हैं तो हमें जीवन में अपनी गलतियों और भूलों को सुधारना चाहिए और एक आनंदपूर्ण निरोगी जीवन का मार्ग अपनाना चाहिए। दिनचर्या में बदलाव करने पर प्रारंभिक की स्थिति में थोड़ा बहुत शारीरिक और मानसिक कष्ट उठाना पड़ सकता है। किंतु यही आलस्य आपके निरोगी जीवन में दुख और तकलीफ लाकर कष्ट पैदा करने का कार्य करेगा।

जवानी में जब जोड़ों से आवाजें आना कट कट की आवाज जोड़ों में सुनाई देने लगे तो हमें उसी समय इस बीमारी के मूल कारण को समझ कर इसका पूर्ण निदान करने का प्रयास करना चाहिए। अपने भोजन में बदलाव करके आधा घंटा प्रतिदिन योगाभ्यास करके और बाजारू चीजों के स्थान पर हरी सब्जियां फल और जूस का भरपूर मात्रा में सेवन करके कम उम्र में ही जोड़ों पर बुरा प्रभाव डाल रही इस बीमारी को खदेड़ कर बाहर कर सकते हैं।

कम उम्र में ओस्टियोआर्थराइटिस को बढ़ने से पूरी तरह रोका जा सकता है। भरपूर श्रम करना और संतुलित पौष्टिक आहार का सेवन तथा जंक फूड फास्ट फूड तले मसालेदार भोजन से बचाव ही इस बीमारी से मुक्त का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। मांसपेशियों की अकडन को कम करके उन्हें लचीला और मजबूत बनाने के लिए प्रतिदिन आधा घंटा योगाभ्यास जरूर करना चाहिए। अगर प्रातकाल उगते हुए सूर्य की छत्रछाया में योगाभ्यास करते हैं तो ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से भी बचाव आसानी से संभव हो सकता है। वही ओस्टियोआर्थराइटिस से जूझ रहा शरीर पूर्ण निरोगी हो जाता है।