गुणकारी मिट्टी से बनें सेहतमंद, गंभीर बीमारियों से मिलेगी मुक्ति

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पंच तत्वों से हमारा शरीर बना है इन पंचतत्व में मिट्टी तत्व बहुत महत्वपूर्ण है। मिट्टी तत्व से आरोग्यता प्राप्ति के बारे में बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट रोड सिविल लाइंस कानपुर की मुख्य चिकित्सका डॉ रजनी पोरवाल ने दी है।

पृथ्वी तत्व और उससे जुड़ी बीमारियां : भक्ति सागर में स्वामी चरण दास जी ने कहा है कि हमारी त्वचा हड्डियां नस नाडियां रोम छिद्र और मांस आदि पृथ्वी तत्व से बनते हैं और पृथ्वी तत्व की कमी होने के कारण अथवा पृथ्वी तत्व में विकृति आने से इन अंगों की विभिन्न प्रकार की समस्याएं और रोग शरीर व मन मस्तिष्क को बीमार कर देते हैं। योग और नेचुरोपैथी प्राकृतिक रूप से आरोग्यता प्राप्ति का चमत्कारिक व प्रभावशाली लाभ देने वाला मार्ग है। जब हमारे आचार विचार आहार और जीवन शैली इत्यादि में विलासिता आलस्य और स्वाद लोलिपता हावी हो जाती है तब हमारे शरीर के निर्माण में आधार पृथ्वी तत्व, अग्नि तत्व, वायु तत्व और आकाश तत्वों में विकृति आने लगती है। जिस तत्व में गड़बड़ी होती है उसी तत्व से संबंधित अंग की बीमारियां पीड़ित को भोगनी पड़ती है।

धैर्य से कारण समझिए : जब हमारे शरीर के निर्माण का आधार तत्व में कोई गड़बड़ी उत्पन्न हो जाए तब उसे दुरस्त करने के लिए हमें कुछ समय के लिए आहार में बदलाव करना चाहिए। कुछ उच्च शिक्षित और धनवान लोग शरीर को हिलाना डुलाना, मेहनत करना, ऐसा भी थोड़ा सा भी शारीरिक श्रम करने से बचते हैं अपना स्वयं का व्यक्तिगत काम या घर के कामकाज करना भी पसंद नहीं करते। पानी भी फ्रिज का ठंडा या शुद्ध के नाम पर महीनों पुराना बोतल में बंद पानी पीना पसंद करते हैं, यह सोच अच्छी सेहत के लिए उचित नहीं है।

प्राकृतिक रूप से जीवन जीने का प्रयास करते हुए एयर कंडीशनर विलासिता व अन्य दूसरे साधनों को त्याग कर भरपूर शारीरिक श्रम करना चाहिए अपने रोजाना के घर परिवार के अधिकांश कार्यों को खुद ही करने का प्रयास करना चाहिए।

आहार को भी गंभीरता से समझे : ताजे फल सलाद हरी सब्जियां दूध दही मट्ठा अंकुरित अनाज सूखे मेवों इत्यादि का भरपूर मात्रा में प्रयोग प्राकृतिक चिकित्सक की सलाह से करना चाहिए। रस आहार या फलाहार और सप्ताह में 24 घंटे का उपवास केवल रोगों से मुक्त ही नहीं दिलाते हैं बल्कि शरीर की इम्युनिटी में जबरदस्त इजाफा करके दीर्घायु भी प्रदान करते हैं। ध्यान रखिए कि 24 घंटे के उपवास में 3 से 5 लीटर ताजा जल का सेवन करना चाहिए। बहुत आवश्यकता होने पर ताजे फलों का सेवन या ताजे फल का जूस का सेवन कर सकते हैं। सुझाव है कि एक सामान्य कद काठी और वजन बाले उपवास कर रहे साधक को 12 घंटे में ज्यादा से ज्यादा 1 लीटर जूस लिया जा सकता है।

मिट्टी उपचार भी जानिए : पृथ्वी तत्व की गड़बड़ी से उत्पन्न होने वाले रोगों में मिट्टी चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है। साफ-सुथरी जमीन से दो तीन फीट गहरी ताजी मिट्टी का प्रयोग प्राकृतिक चिकित्सा में किया जाता है। पेट पर मिट्टी की पट्टी प्रातः खाली पेट 30 मिनट तक लगाने से पुराने से पुराना लीवर का रोग, लाइलाज हो गई कडबी खट्टी डकारो की समस्या एसिडिटी, खाना खाने के बाद पेट फूलना अफारा होनाऔर भयंकर गैस पेट के मीठे-मीठे दर्द के साथ होना, आईबीएस अल्सरेटिव कोलाइटिस आंतों की सूजन आदि समस्याएं जड़ से ठीक हो जाती है। वही माथे पर 20 से 40 मिनट पर मिट्टी का लेप मन मस्तिष्क को तरोताजा करके याददाश्त को बढ़ाता है और माइग्रेन घबराहट एंजायटी अनिद्रा, नकारात्मक चिंतन तथा डिप्रेशन से बाहर निकाल कर आनंद में और खुशियों वाला जीवन का मार्ग बताता है।

मिट्टी स्नान क्या है कैसे करते हैं : जिन्हें बरसों से नींद ना आए हो खींज गुस्सा चिड़चिड़ापन तनाव डर और भय के साथ विभिन्न प्रकार की अन्य अनेकों मानसिक बीमारियां घुन की तरह शरीर को नुकसान पहुंचा रही हो तब एक घंटा प्रतिदिन मिट्टी स्नान करने से कायाकल्प हो जाता है और चमत्कार जैसा फायदा पहले दिन से ही मिलने लगता है। यह स्नान वास्तव में शरीर के अंदर एकत्रित और बीमारियां पैदा कर रहे विजातिय, विष तत्वों को बाहर निकालकर डिटॉक्सिफिकेशन का सबसे प्रभावशाली और सशक्त साधन है।

मडबाथ करने की विधि : मिट्टी स्नान करने के लिए लगभग 5 किलो से 10 किलो तक साफ-सुथरी मिट्टी को पानी में भिगोकर गाढ़ा पेस्ट बनाएं 50 ग्राम नारियल का तेल या सरसों का तेल भी मिला दो और पूरे शरीर पर बालों से लेकर चेहरे पूरे शरीर के एक-एक अंग पैर के अंगूठे आधा इंच मोटा पेस्ट लगाएं मिट्टी का पेस्ट पूरे शरीर में जमीन पर बैठकर लगाएं और दोनों हाथों से रगड़ रगड़ कर अच्छी तरह मालिश करते रहे अगर शरीर की तासीर ठंडी हो तो मिट्टी का लेप उबलते गर्म पानी में बनाना चाहिए। जिससे कि गुनगुना गुनगुना मिट्टी का लेप पूरे शरीर में लगे मिट्टी स्नान करते समय बंद कमरे का प्रयोग करें। जिससे ठंडी हवा शरीर में ना लगे और आधा घंटे अच्छी तरह मिट्टी से मालिश करने के बाद गुनगुने पानी में 2 निंबू निचोड़ कर उससे स्नान कर ले। पहले दिन ही शरीर हल्का मन खुश और जितनी भी बीमारियां और समस्याएं हैं उन का प्रकोप कम होने लगेगा। एक ज्ञानवान अनुभवी सच्चे और अच्छे बिना लालच के निराश हताश परेशान रोगियों की सेवा करने वाले योगाचार्य, प्राकृतिक चिकित्सक से सलाह लेकर मिट्टी स्नान को कम से कम 40 दिन के लिए जीवन में अवश्य उतारे। कोई भी असुविधा होने पर लेखक से पूर्ण निशुल्क और निस्वार्थ सेवा भावना से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।

योगासनों की शरण में आए : पृथ्वी तत्व की विकृति होने पर या जब शरीर रोग ग्रसित हो जाता है तो उस शरीर के आंतरिक अंग को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए योगासनों का अभ्यास जरूर करना चाहिए। साधक को प्रारंभिक रूप से शास्त्रों में बताए हुए आसन और शुरुआत में केवल नाड़ी शोधन या अलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। आसन 10 से 15 मिनट प्रतिदिन और प्राणायाम 5 से 10 मिनट प्रतिदिन अच्छी सेहत के लिए उचित है। आसन और प्राणायाम किसी योग विशेषज्ञ से प्रशिक्षण लेकर ही करें। किताब में पढ़कर या यूट्यूब में देखकर आसन और प्राणायाम का अभ्यास करने से बहुत बार लाभ के स्थान पर नुकसान उठाना पड़ता है।