पढ़े-लिखे परिवारों में भोजन के चयन में जंक फूड फास्ट फूड चाय कॉफी साफ्टडिक को प्राथमिकता देना आज़ के युग में आधुनिकता व समृद्धिशाली होने का स्टेटस सिंबल बन गया है। इस प्रकार की नादानी और भूल के कारण अनेक पढ़े-लिखे परिवार बीमारियों के मकड़जाल में फंसकर दुख उठा रहे हैं। श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर की मुख्य चिकित्सक और देश की जानी-मानी आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर रजनी पोरवाल ने दैनिक जीवन की छोटी-छोटी भूलों के कारण होने वाली विभिन्न बीमारियों पर बहुत ही ज्ञानवर्धक एवम् लाभप्रद जानकारी प्रस्तुत की है।
दूसरों को ब्लैक टी लेमन टी पीते देखा बर्गर पिज़्ज़ा जैसे मैदा वाले फास्ट फूड खाते देखकर इसे अपने घर परिवार में अक्सर सेवन करना उचित नहीं है। हमें दूसरों के अच्छे आचरण की नकल तो करनी चाहिए किंतु यह जानते हुए भी कि मैदा, रिफाइंड आयल घातक केमिकल्स रंगो और प्रिजर्वेटिव्स के साथ-साथ भारी मात्रा में चीनी नमक और मिर्च मसालों से बने हुए फास्ट फूड पाचन तंत्र के लिए नुकसानदायक हैं और हमारे शरीर की आंतरिक रक्षा प्रणाली को भी कमजोर करते हैं।
इनका हमारे पाचन ग्रंथियों लीवर पैंक्रियाज पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। विशेष फ्लेवर वाला स्वाद पैदा करने वाली बहुत ही नुकसानदायक केमिकल्स इस में डाले जाते हैं जो अपने विशेष फ्लेवर के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह सब जानते हुए भी इस प्रकार के फास्ट फूड को प्राथमिकता हमारे पढ़े लिखे होने पर भी अज्ञानता है। हमें सेहत की कीमत पर स्वाद एवं दिखावें को प्राथमिकता नहीं देना चाहिए।
परिवार में अक्सर बच्चों को ताजे फल, फलों का रस, ताजी मट्ठा दूध दही, हरी सब्जियां, सलाद, अंकुरित अनाज सूखे मेवों, जैसे पोस्टिक तत्वों के प्राकृतिक स्रोत वाले आहार के स्थान पर डिब्बाबंद फलों का रस, प्रोटीन पाउडर, पौष्टिकता के नाम पर विटामिंस और मिनरल्स की विभिन्न उत्पादों का अनावश्यक सेवन उनकी अच्छी सेहत को खराब कर देता है। वही बच्चों से लेकर बड़ों तक को चटपटा खाने की बुरी आदत भी पड़ जाती है।
विद्यार्थियों, युवा वर्गों के लोगों को ही नहीं आधुनिक महिलाओं व छोटे-छोटे बच्चों को कम आयु में ही सिगरेट, गांजा, शराब, पान मसाला जैसे नशे की आदत भी दूसरों को नशा करते हुए देखकर ही पड़ती है। प्रारंभ में इन्हें इससे असहजता होती है लेकिन कुछ समय में धीरे-धीरे इन नशीली चीजों की आदत पड़ जाती है। और यह बुरी आदत उनके स्वास्थ्य को चौपट कर देती है, हृदय रोग गुर्दे की घातक बीमारियां यहां तक की कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी का शिकार बना देते हैं।
महिलाओं में सिगरेट और शराब का प्रचलन अभिजात वर्ग में अत्यधिक देखने को मिलता है जो पढ़े लिखे होने के बावजूद भी एक दूसरे की नकल और समाज में स्टेटस की झूठी प्रतिस्पर्धा का फल होता है। वास्तव में यह बुरी आदतें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए तो खराब है घर परिवार को भी दुख और परेशानियां प्रदान करते हैं।
पढ़ी-लिखी होने के नाम पर कोल्ड ड्रिंक, शराब, फास्ट फूड, सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला या अन्य अनेक प्रकार की नशीले पदार्थों का अगर सेवन करते हैं तो यह किसी भी रूप में बुद्धिमानी नहीं है। हमें अपने जीवन को आरोग्य, प्रसन्नता और आनंद पूर्ण जीने के लिए प्रतिदिन प्रातः काल योगिक क्रियाओं में 10 मिनट योगासन और कम से कम 5 मिनट प्राणायाम के अभ्यास को जरूर जीवन में उतारे।
अपने छोटे-छोटे काम स्वयं करें। शारीरिक श्रम भरपूर करने की कोशिश करें। इस महामंत्र को जीवन में जरूर उतारें कि अनेकों आधुनिक सुख सुविधाओं वाले विलासिता पूर्ण आलसी और मक्कारी वाला जीवन अनेकों प्रकार की तकलीफों को पैदा करता है। यह धीमे जहर की तरह है जो अंदर ही अंदर शरीर को खोखला करता जाता है। हमें भरपूर शारीरिक मेहनत करने की आदत डालनी चाहिए और रोजाना ऑफिस व घर पर अपने स्वयं के कार्य करने में कभी शर्म का अनुभव ना करें।
नुकसानदायक अनेकों प्रकार की रासायनिक तत्वों से बने सौंदर्य प्रसाधनों क्रीम, पाउडर, लिपस्टिक इत्यादि का प्रयोग कम से कम करें या ना करें। यह आप की प्राकृतिक सुंदरता को प्रभावित करते हैं और नेचुरल सुंदर चेहरे को ऐसा बना देते हैं कि बिना मेकअप के आप बदसूरत दिखाई देते हैं और मेकअप करना आपकी मजबूरी बन जाता है। जबकि आप जन्म से, बचपन से प्राकृतिक सुंदर व गोरे रूपवान और लावण्यवान है लेकिन कृतिम सौंदर्य प्रसाधनों के अंधाधुन इस्तेमाल से कोमल त्वचा रुखी सुखी और खराब हो गई है।
इसलिए सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल एक सीमा से ज्यादा ना करें। विशेष अवसरों पर सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करना बुरा नहीं किन्तु नियमित रूप से अनावश्यक रूप से सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग सुंदरता की दृष्टि से ही नहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी नुकसान दायक है।
नाश्ते में अंकुरित अनाज, फल, ताजे फलों का रस, दही, दूध, ताजा मट्ठा जैसे स्वास्थ्यवर्धक आहार का सेवन करना चाहिए। भोजन में भी कम से कम एक हरी पत्तेदार सब्जी, मोटे अनाज की चपाती, एक प्लेट भरकर सलाद का सेवन आपको अनेकों दवाइयों से दूर रखेगा। रात में हल्का भोजन करें, भूख से आधा पेट खाना खाएं और खाना खाने के तुरंत बाद पानी ना पिए, पूरे दिन कुछ ना कुछ खाते रहने की भी बुरी आदत छोड़े। जिन लोगों को चाय कॉफी के बगैर सिर दर्द हो जाता है या काम करते समय आलस और नींद आने लगती है वह लोग भी इस बुरी आदत से बचने के लिए अदरक, काली मिर्च और लौंग का काड़ा पिए, आयुष काढ़ा भी एक बेहतर विकल्प है। सामान्य चाय या कॉफी के स्थान पर आयुर्वेदिक चाय भी स्वास्थ्यवर्धक होती है।