-संघ प्रमुख आज दिल्ली में करेंगे पदाधिकरियों के साथ बैठक, कोरोना और किसान आंदोलन से नुकसान पर भी होगी चर्चा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की गिरती साख को बचाने के लिए अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) ने कमर कस ली है। संघ के 10 बड़े पदाधिकारी शनिवार को दिल्ली में आयोजित एक बैठक में शामिल होंगे। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। संघ प्रमुख डा. मोहन भागवत, दत्तात्रेय होसबले, कृष्ण गोपाल, सुरेश सोनी और भाजपा के केंद्रीय संगठन मंत्री बी एल संतोष सहित कई बड़े नेता दिल्ली पहुंच भी चुके हैं।
राजधानी में संघ की इस मंत्रणा का एजेंडा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड है। इसीलिए संगठन मंत्री संतोष को उत्तर प्रदेश भेजा गया था ताकि वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष सहित उन विधायकों से भी विस्तार से चर्चा करें जो पिछले छह माह से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। ताकि विधानसभा चुनावों से पहले वहां पर आपसी खींचतान को विराम मिल सके। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कामकाज और अंदरूनी चहल कदमी की विस्तृत रिपोर्ट संतोष, संघ को सौंपेंगे और अपनी राय भी देंगे। दरअसल संघ के नेताओं का मानना है कि बिहार की तरह अब उत्तर प्रदेश में कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहिए अन्यथा उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों का असर पूरे देश पर पड़ेगा। इसके लिए वे बीजेपी के भी कुछ नेताओं से चर्चा करेंगे ताकि अगले वर्ष जनवरी-फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को कोई नुकसान न उठाना पड़े।
सूत्रों से यह भी पता चला है कि संघ के अधिकांश नेता उत्तराखंड की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने के पक्ष में नहीं है। क्योंकि संघ पदाधिकारियों को यह भी रिपोर्ट मिली है कि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलने से कोई ज्यादा फायदा नहीं मिला है और वहां पर कार्यकर्ताओं के अंदर असंतोष बढ़ रहा है। संघ की बैठक में किसान आंदोलन को लेकर भी चर्चा होगी क्योंकि उसमें भी उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से के किसान नेता सक्रिय हैं। जिसका विधानसभा चुनावों पर असर पड़ेगा। यह भी पता चला है कि उक्त मंत्रणा के बाद उत्तर प्रदेश में योगी को पहले से और ज्यादा मजबूत किया जाएगा। जिसमें मंत्रिमंडल विस्तार के लिए उन्हें छूट मिल सकती है।
सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश पर ध्यान : उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां भी हालात उत्तराखंड में जो त्रिवेंद्र रावत के हुए थे, उसी तरह के बनते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री और उनके विधायकों के बीच गतिरोध जारी है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और मुख्यमंत्री योगी कई बार आमने-सामने होते दिखाई दिए हैं। इसके अलावा कई विधायकों ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ जात-पात करने का आरोप लगाया है।
किसान आंदोलन चिंता का बड़ा सबब : दिल्ली की सीमाओं पर पिछले छह महीने से ज्यादा समय से चल रहा किसानों का आंदोलन भी भाजपा और आरएसएस के लिए गले की हड्डी बना हुआ है। केंद्र सरकार को लगा था कि आंदोलन लंबा चलेगा तो बिखर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तो किसानों का नारा यही है कि जब कानून वापसी होगी तभी घर वापसी होगी। दिल्ली के साथ लगते हरियाणा में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर भी किसानों ने प्रतिबंध लगा दिया है। किसानों और पुलिस के बीच कई बार हिंसक घटनाएं भी सामने आई हैं। जिसको लेकर केंद्र सरकार भी चिंतित है।
ज्ञानेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार