मौरंग के अवैध खनन पर शासन-प्रशासन का अंकुश नहीं

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# सवाल तो पूछेंगे # महामारी को हराने में जिला प्रशासन पस्त, माफिया अवैध मौरंग खनन करवाने में मस्त!! #

फतेहपुर। खनन विभाग पर मौरंग माफियाओं का हमेशा से दबदबा रहा है। दबदबा इतना कि खनन माफिया खनन नियमावली हो या फिर एनजीटी की गाइडलाइन सभी को बलाए ताक रखकर मौरंग खनन करवाने में पीछे नहीं रहते। पैसे की चाहत के बाद यमुना नदी की जलधारा से मौरंग निकालने जैसा अपराध भी किया जा रहा है। यदि हम नदी की जलधारा को मोड़ने की बात करें तो गलत नहीं होगा। यह काम दिन हो या फिर रात बेरोकटोक बेधड़क बड़ी-बड़ी मशीनों से किया जा रहा है। करोड़ों रुपए कमाने की लालच ने जलधारा को ही बदल दिया है।

वैसे यमुना नदी से मौरंग निकालने का काम कई क्षेत्रों में हो रहा है लेकिन खागा तहसील क्षेत्र सबसे अव्वल है। जहां अवैध मौरंग खनन का काम बड़े पैमाने पर होता आ रहा है। यहां अवैध खनन को लेकर दो पक्षों में गोली चलने कि घटनाएं भी आए दिन सुनाई देती है। मगर जब नीचे से ऊपर तक सरकारी अमला खनन माफियाओं के चंगुल में फसा हो तो फिर कार्रवाई की उम्मीद रखना बेमानी होगी। तभी तो फतेहपुर जनपद में मौरंग की लूट मची है एक के बाद एक नियमावली के उल्लंघन का सिलसिला इन घाटो में देखा जा सकता है।

खागा तहसील क्षेत्र में करीब चार घाटों से मौरंग निकालने का काम शुरू है। यदि इन घाटों से आए वीडियो को देखे तो आंखें खुली की खुली रह जाएंगी। बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग होना और यमुना नदी की जलधारा से मौरंग निकालने को आसानी से समझा जा सकता है। फिर भी ना तो खनन विभाग जाग रहा है औऱ ना ही तहसील प्रशासन। कुल मिलाकर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना आसानी से लगाया जा रहा है।

इधर जब से कोरोना वायरस की महामारी ने जनपद में कोहराम मचाया और जिला प्रशासन इस महामारी को हराने में लग गया। बस इसी का फायदा खनन माफियाओं को मिल गया। फिर क्या था वैध हो या फिर अवैध जहां पाया वही मौरंग खनन का काम शुरू कर दिया। जिस विभाग को ऐसे कामों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी है जब वो ही विभाग मुंह फेर ले तो फिर मानो अवैध खनन की मौन सहमति मिल गई हो।

सवाल हमेशा खनन विभाग से लेकर तहसील प्रशासन से पूछे जाते रहे हैं। आज भी सवाल इन्हीं विभागों से हैं कि जब सरकार द्वारा खनन नीति बनाई गई है तो फिर खनन माफियाओं को अवैध खनन कराने की इजाजत कौन दे रहा है। क्या यमुना की जलधारा से मौरंग निकालना सही है।

नागेंद्र सिंह