संघर्ष से सीखें, सावधान भी रहें

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जिंदगी को बेहद शानदार तौर तरीके एवं बेहद शालीनता से जीना चाहिए। आशय जिंदगी में जिंदादिली होनी चाहिए। खास तौर से शारीरिक आवश्यकताओं का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि किसी भी व्यक्ति का विकास मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं पर निर्भर होता है। लिहाजा व्यक्ति को व्यसन से सदैव दूर ही रहना चाहिए। कारण व्यसन कहीं न कहीं व्यक्ति के सद्गुणों को प्रभावित कर उसे अक्षम बनाते हैं। जिससे व्यक्ति जीवन में अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर पाता है। सामान्य तौर पर देखें तो कोई भी व्यक्ति सफलता-कामयाबी के लिए लम्बा इंतजार नहीं करना चाहता। कम समय में यानी उसे जल्दी सफलता चाहिए।

अब सवाल उठता है कि सफलता कोई अपने हाथ में तो होती नहीं कि सफलता की इच्छा व्यक्त की आैर सफलता मिल गयी। सफलता पाने के लिए किसी भी व्यक्ति को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अनवरत प्रयास करना होता है। सफलता के लिए दिल एवं दिमाग में बस एक लक्ष्य होना चाहिए। लक्ष्य हासिल करने के लिए व्यक्ति को पूर्ण क्षमता एवं एकाग्रता से कोशिश करनी चाहिए। सफलता-कामयाबी के लिए प्रयास के साथ ही धैर्य बनाये रखना भी आवश्यक होता है। तब कहीं जाकर सफलता मिलती है। सफलता व्यक्ति के निर्णय पर भी निर्भर करती है।

सफलता पाने के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने लक्ष्य को बेहतर तौर तरीके से डिजाइन करे। लक्ष्य स्वयं तय करें क्योंकि किसी अन्य व्यक्ति को लक्ष्य में शामिल करने से निर्णय लेना आसान नहीं होता। लिहाजा लक्ष्य स्वयं तय करें, उस लक्ष्य को स्वयं डिजाइन करेंगेे तो बेहतर होगा। स्वतंत्र चलने पर व्यक्ति को कई लाभ भी होते हैं। संघर्ष के साथ ही अनुभव काफी कुछ

सिखा देतेे हैं। यह अनुभव भविष्य में बहुत काम आते हैं। संघर्ष में अक्सर समस्याएं आती हैं। समस्याएं होती हैं तो उनका समाधान भी होता है। अब उन समस्याओं का समाधान कैसे करना है… यह निर्णय व्यक्ति को स्वयं लेना होता है। यह समस्याएं व्यक्ति को शिक्षा देती है कि समस्या है तो समाधान कैसे होगा! जबकि सामूहिक स्तर पर व्यक्ति कोई निर्णय लेने में सक्षम नहीं हो पाता।

सलाह-परामर्श तो किसी से भी लिया जा सकता है लेकिन निर्णय अपने विवेक से ही लेना चाहिए। कारण विवेक से निर्णय लेने में कोई गलती होती है तो वह गलती व्यक्ति को सीख देेती है। इतना ही नहीं, लक्ष्य हासिल करने के लिए व्यक्ति को सदैव अपने दिल एवं दिमाग की आवाज सुननी चाहिए। दिल-दिमाग के निर्णय को अमल में लाना चाहिए। कारण दिल एवं दिमाग, लक्ष्य के लाभ-हानि के गुण-दोष का चिंतन करने के बाद निर्णय लेता है। लिहाजा लक्ष्य हासिल करने में किसी भी प्रकार के अवरोध की संभावना कम ही रहती है। इतना ही नहीं, लक्ष्य हासिल करने में सदैव उत्साह, ऊर्जा एवं कर्तव्यपरायणता बनी रहनी चाहिए।

लक्ष्य हासिल करने के लिए मन ही मन स्वयंं को मोटीवेट करते रहना चाहिए। कारण, हताशा व्यक्ति को हमेेशा प्रगति करने या आगे बढ़ने से रोकती है। लिहाजा इस स्थिति में व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाता है। आशय यह कि व्यक्ति को हताशा से बचना चाहिए। यह भी स्मरणीय है कि कोई भी लक्ष्य बिना डिजाइन अर्थात योजना के हासिल नहीं किया जा सकता। अत: जीवन में कामयाबी-सफलता हासिल करने केे लिए सर्वप्रथम योजना बनाएं कि किस योजना पर कार्य करना है। प्लानिंग-योजना बनने के बाद इसे एक लक्ष्य के रूप में लें कि यह किसी भी हालत में हासिल करना है। भले ही कितना संघर्ष या परिश्रम क्यों न करना पड़े। इस योजना कोे कई छोटे-छोटे हिस्सों में बांट सकते हैं। इससे लक्ष्य पाना काफी आसान हो जाएगा।

समयबद्ध कार्ययोजना बनाने का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि समय का पूरा सदुपयोग होगा। समय बर्बाद नहीं होगा। समय बर्बाद न होगा तो लक्ष्य निकट होने का अहसास करायेगा। सफलता में आलोचकों-समीक्षकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। सफलता मिलते ही आलोचकों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ जाती है। इन आलोचकों की टिप्पणियों का अध्ययन गुण-दोष के आधार पर करना चाहिए। मानव स्वभाव होता है कि किसी सफलतम व्यक्ति को नीचे गिराने के प्रयास होते हैं। लिहाजा ऐसे व्यक्तियों को पहचानना एवं आलोचना का गम्भीरता से अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। इस दशा-दिशा में नकारात्मक टिप्पणी करने वाले व्यक्तियों से दूरी बना कर रहना उचित होगा। कारण, ऐसे नकारात्मक व्यक्ति लक्ष्य से भटका सकते हैं।

लिहाजा ऐसे नकारात्मक व्यक्तियों से सावधान रहें-सतर्क रहें। कारण, ऐसे व्यक्तियों से लक्ष्य हासिल करने एवं सफलता पाने में व्यक्ति को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कार्ययोजना की अवधि में किसी व्यक्ति का कार्र्यव्यवहार उचित प्रतीत नहीं होता है तो स्पष्ट है कि वह व्यक्ति ज्वैल्सी रखता है। लिहाजा ऐसे व्यक्ति से तत्काल सतर्क-सावधान हो जाना चाहिए। हालांकि ऐसे व्यक्तियों को दुश्मन न समझें लेकिन उनको इग्नोर अवश्य करें। मन एवं मस्तिष्क में सिर्फ, सिर्फ आैर सिर्फ लक्ष्य का भेदन होना चाहिए। कारण, तभी व्यक्ति अपेक्षित सफलता हासिल कर सकेगा।