पीएम से बोले डॉक्टर्स, कोरोना virus भी अपना रंग बदल रहा

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कोरोना धैर्य एवं दुःख बर्दाश्त करने की सीमा की परीक्षा ले रहा
मन की बात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के चिकित्सकों से कोरोना नियंत्रण पर बात की। सुना भी सुनाया भी। प्रधानमंत्री ने कहा, आज आपसे ‘मन की बात’, एक ऐसे समय कर रहा हूँ जब कोरोना, हम सभी के धैर्य, हम सभी के दुःख बर्दाश्त करने की सीमा की परीक्षा ले रहा है। बहुत से अपने, हमें, असमय, छोड़ कर चले गए हैं। इस तूफ़ान ने देश को झकझोर दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, बीते दिनों इस संकट से निपटने के लिए, मेरी, अलग-अलग sectors के expert के साथ, विशेषज्ञों के साथ लम्बी चर्चा हुई है। हमारी farma- industry के लोग हों, vaccine manufacturers हों oxygen के production से जुड़े लोग हों या फिर medical field के जानकार, उन्होंने, अपने महत्वपूर्ण सुझाव सरकार को दिए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, इस समय, हमें इस लड़ाई को जीतने के लिए, experts और वैज्ञानिक सलाह को प्राथमिकता देनी है। राज्य सरकार के प्रयत्नों को आगे बढ़ाने में भारत सरकार पूरी शक्ति से जुटी हुई है। राज्य सरकारें भी अपना दायित्व निभाने की पूरी कोशिश कर रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, कोरोना के खिलाफ इस समय बहुत बड़ी लड़ाई देश के डॉक्टर और health workers लड़ रहे हैं। पिछले एक साल में उन्हें इस बीमारी को लेकर हर तरह के अनुभव भी हुए हैं। हमारे साथ, इस समय, मुम्बई से प्रसिद्द डॉक्टर शशांक जोशी जी जुड़ रहे हैं। डॉक्टर शशांक जी को कोरोना के इलाज और इससे जुड़ी research का बहुत जमीनी अनुभव है, वो, Indian College of Physicians के Dean भी रह चुके हैं। आइए बात करते हैं डॉक्टर शशांक से…

प्रधानमंत्री अभी कुछ दिन पहले ही आपसे बात करने का अवसर मिला था। आपके विचारों की स्पष्टता मुझे बहुत अच्छी लगी थी। मुझे लगा देश के सभी नागरिको को आपके विचार जानने चाहिए। जो बातें सुनने में आती उसकी को मैं एक सवाल के रूप में आपके सामने प्रस्तुत हूँ। डॉ० शशांक आप लोग इस समय दिन रात जीवन रक्षा के काम में लगे हुए हैं, सबसे पहले तो मैं चाहूँगा कि आप second wave के बारे में लोगों को बताएं। medically ये कैसे अलग है और क्या-क्या सावधानी जरूरी है।

डॉ० शशांक सर, ये जो दूसरी बाढ़ (wave) आई है। ये तेजी से आई है, तो जितनी पहली बाढ़ (wave) थी उससे ये virus ज्यादा तेज चल रहा है, लेकिन अच्छी बात ये है कि उससे ज्यादा रफ़्तार से recovery भी है और मृत्यु दर काफी कम हैं। इसमें दो- तीन फर्क है, पहली तो ये युवाओं में और बच्चो में भी थोड़ा दिखाई दे रहा है। उसके जो लक्षण है, पहले जैसे लक्षण थे साँस चढ़ना, सूखा खाँसी आना, बुखार आना ये तो सब है ही और उसके साथ थोड़ा गंध जाना, स्वाद चला जाना ये भी है। और लोग थोड़े भयभीत हुए हैं। भयभीत होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। 80-90 प्रतिशत लोगों में इसमें कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, ये mutation-Mutation जो बोलते हैं, घबराने की बात नहीं है। ये mutation होते रहते हैं जैसे हम कपड़े बदलते हैं वैसे virus भी अपना रंग बदल रहा है और इसलिए बिलकुल डरने की बात नहीं है और ये wave को हम पार कर देंगे। wave आती जाती है, और ये virus आते जाते रहता है तो यही अलग-अलग लक्षण है और medically हमको सतर्क रहना चाहिए। एक 14 से 21 दिन का ये covid का time table है इसमें वैद्य (डॉक्टर) की सलाह लेना चाहिये।

प्रधानमंत्री डॉ० शशांक मेरे लिए भी आपने जो analysis बताया, बड़ा interesting है, मुझे कई चिट्ठियाँ मिली हैं, जिसमें treatment के बारे में भी लोगों की बहुत सी आशंकाए हैं, कुछ दवाओं की मांग बहुत ज्यादा है, इसलिए मैं चाहता हूँ कि covid के treatment के बारे में भी आप लोगों को जरुर बताएँ।

डॉ० शशांक हां सर, clinical treatment लोग बहुत देरी से चालू करते हैं और अपने आप बीमारी से दब जायेंगी, ये भरोसे पर रहते हैं, और, मोबाईल पर आने वाली बातों पर भरोसा रखते हैं, और, अगर सरकारी दी गयी सूचना का पालन करें तो ये कठनाई का सामना नहीं आता है। तो covid में clinic treatment protocol है उसमें तीन प्रकार की तीव्रता है हल्का या mild covid, मध्यम या moderate covid और तीव्र covid जो severe covid बोलते हैं, इसके लिए है। तो जो हल्का covid है उसके लिए तो हम oxygen का monitoring करते हैं, pulse का monitoring करते है, बुखार का monitoring करते हैं, बुखार बढ़ जाता है तो कभी-कभी Paracetamol जैसी दवाई का इस्तेमाल करते हैं और अपने डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिये जो moderate covid होता है, मध्यम covid होता है या तीव्र covid होता है तो वैद्य के अपने डॉक्टर के साथ सम्पर्क करना बहुत जरूरी है। सही और सस्ती दवाईया available है। इसमें steroids जो है, ये, जान बचा सकती है, जो inhalers दे सकते हैं, tablet हम और दे सकते हैं हम, और, उसके साथ ही प्राण-वायु जो oxygen है वो देना पड़ता है और इसके लिए छोटे-छोटे इलाज़ है लेकिन अक्सर क्या हो रहा है कि एक नई experimental दवाई है, जिसका नाम है Remdesivir. ये दवाई से एक चीज़ जरुर होती है कि अस्पताल में दो–तीन दिन कम रहना पड़ता है और clinical recovery में थोड़ी सी उसकी aid होती है ये भी दवाई कब काम करती है, जब, पहले 9-10 दिन में दी जाती है और ये पाँच ही दिन देनी पड़ती है, तो ये लोग जो दौड़ रहे हैं Remdesivir के पीछे ये बिलकुल दौड़ना नहीं चाहिए। ये दवाई का थोडा काम है, जिनको oxygen लगता है, प्राण वायु oxygen लगता है, जो अस्पताल में भर्ती होते हैं और डॉक्टर जब बताते हैं तभी लेना चाहिए। तो ये बहुत जरूरी है सब लोगों को समझना। हम प्राणायाम करेंगे, हमारे शरीर के जो lungs हैं उसको थोड़ा expand करेंगें और जो हमारी खून पतला करने वाली जो injection आती है जिसको हम heparin बोलते हैं। ये छोटी-छोटी दवाईया देंगे तो 98% लोग ठीक हो जाते हैं तो positive रहना बहुत जरूरी है। treatment protocol वैद्य की सलाह से लेना बहुत जरूरी है। और ये जो महंगी-महंगी दवाई है, उसके पीछे दौड़ने की कोई जरूरत नहीं है sir, अपने पास अच्छे इलाज चालू है प्राण-वायु oxygen है, ventilator की भी सुविधा है, सब-कुछ है सर, और, कभी-कभी ये दवाई यदि मिल जाती है तो योग्य लोगो में ही देनी चाहिए तो इसके लिए बहुत भ्रम फैला हुआ है और इसलिए ये स्पष्टीकरण देना चाहता हूँ sir कि अपने पास world की सबसे Best treatment available है आप देखेंगे कि भारत में सबसे अच्छा recovery rate है। आप यदि compare करेंगे यूरोप के लिए, अमेरिका वही से हमारे यहाँ के treatment protocol से मरीज ठीक हो रहे है सर।

प्रधानमंत्री ने कहा, साथियो, आपको अगर कोई भी जानकारी चाहिए हो, कोई और आशंका हो, तो सही source से ही जानकारी लें। आपके जो family doctor हों, आस-पास के जो डॉक्टर्स हों, आप उनसे फ़ोन से संपर्क करके सलाह लीजिये। मैं देख रहा हूँ कि हमारे बहुत से डॉक्टर खुद भी ये जिम्मेदारी उठा रहे हैं। कई Doctors social media के जरिए लोगों को जानकारी दे रहे हैं। फ़ोन पर, whatsapp पर भी counseling कर रहे हैं। कई हॉस्पिटल की वेबसाइटें हैं, जहां जानकारियाँ भी उपलब्ध हैं, और वहां आप डॉक्टर्स से, परामर्श भी ले सकते हैं। ये बहुत सराहनीय है।

प्रधानमंत्री ने कहा, मेरे साथ श्रीनगर से डॉक्टर नावीद नजीर शाह जुड़ रहे हैं। डॉक्टर नावीद श्रीनगर के एक Government medical College में प्रोफेसर हैं। नावीद जी अपनी देखरेख में अनेकों कोरोना patients को ठीक कर चुके हैं और रमजान के इस पवित्र माह में डॉ नावीद अपना कार्य भी निभा रहे हैं, और, उन्होंने हमसे बातचीत के लिए समय भी निकाला है। आइये उन्हीं से बात करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, डॉक्टर नावीद ‘मन की बात’ के हमारे श्रोताओं ने इस मुश्किल समय में panic management का सवाल उठाया है। आप अपने अनुभव से उन्हें क्या जवाब देंगें ?

डॉ० नावीद देखिए जब कोरोना शुरू हुआ तो कश्मीर में जो सबसे पहला hospital designate हुआ As Covid hospital वो हमारा city hospital था। जो medical collage के under में आता है तो उस टाइम एक खौफ़ का माहौल था। लोगो में तो था ही वो समझते थे शायद covid का infection अगर किसी को हो जाता है तो death sentence माना जायेगा ये, और ऐसे में हमारे हस्पताल में डॉक्टर साहिबान या para-medical staff काम करते थे, उनमें भी एक खौफ़ का माहौल था कि हम इन patient को कैसे face करेंगे हमें infection होने का ख़तरा तो नहीं है। लेकिन जो टाइम गुजरा हमने भी देखा कि अगर पूरी तरीके से हम जो protective gear पहने एतिहादी तदवीर जो है, उन पर अमल करें तो हम भी safe रह सकते हैं और हमारा जो बाकी staff है वो भी safe रह सकता है और आगे-आगे हम देखते गये मरीज या कुछ लोग बीमार थे जो asymptomatic, जिनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे। हमने देखा करीब करीब 90-95% से ज्यादा जो मरीज हैं वो without in medication भी ठीक हो जाते हैं तो वक्त जैसे गुजरता गया लोगों में जो कोरोना का एक डर था वो बहुत कम हो गया। आज की बात जो ये second wave जो इस टाइम हमारी आयी है इस कोरोना में इस टाइम भी हमें panic होने की जरूरत नहीं है। इस मौके पर भी जो protective measures है, जो SOPs है अगर उन पर हम अमल करेंगें जैसे मास्क पहनना, hand sanitizer का use करना, उसके अलावा physical distance maintain करना या social gathering avoid करे तो हम अपना रोजमर्रा का काम भी बखूबी निभा सकते हैं और इस बीमारी से protection भी पा सकते हैं।

प्रधानमंत्री डॉ० नावीद vaccine  को लेकर भी लोगो के कई सारे सवाल है, जैसे कि vaccine से कितनी सुरक्षा मिलेगी, vaccine के बाद कितना आश्वस्त रह सकते हैं ? आप कुछ बात इसमें बतायें श्रोताओं को बहुत लाभ होगा।

डॉ० नावीद जब कोरोना का infection सामने आया तब से आज तक हमारे पास covid 19 के लिए कोई effective treatment available नहीं है, तो हम इस बीमारी को fight, दो ही चीजों से कर सकते हैं एक तो protective major और हम पहले से ही कह रहे थे कि अगर कोई effective vaccine हमारे पास आए तो वो हमें इस बीमारी से निजाद दिला सकता है और हमारे मुल्क में दो vaccine इस टाइम available है, Covaxin and Covishield है जो यहीं पर बना हुआ vaccine है। और companies भी जो अपनी trials की है तो उसमे भी देखा गया है कि इसकी efficacy जो है वो 60% से ज्यादा है, और अगर हम, जम्मू कश्मीर की बात करें तो हमारी UT में अभी तक 15 से 16 लाख तक लोगों ने अभी ये vaccine लगाया है। हां social media में काफी इसके जो misconception या myths हैं, इसमें आये थे कि ये-ये side effect हैं, अभी तक हमारे जो भी यहाँ पर vaccine लगे हैं कोई side effect उनमें नहीं पाया गया है। सिर्फ, जो, आम हर किसी vaccine के साथ, associated होता है, किसी को बुखार आना, पूरे बदन में दर्द या local site जहाँ पर injection लगता है वहा पर pain होना ऐसे ही side effects हमने हर मरीज में देखे हैं जो कोई gross हमने कोई adverse effect हमने नहीं देखा है। और हां दूसरी बात लोगो में ये भी आशंका थी कि कुछ लोग after vaccination यानि vaccine टीकाकरण के बाद positive हो गये इसमें companies से ही guidelines है कि उसमें अगर किसी को टीका लगा है। उसके बाद उसमें infection हो सकता है वो positive हो सकता है। लेकिन जो बीमारी की severity है, यानि बीमारी की सिद्दत्त जो है, उन मरीज में, उतनी नहीं होगी यानि की वो positive हो सकते हैं लेकिन जो बीमारी है वो एक जानलेवा बीमारी उनमें साबित नहीं हो सकती, इसलिए जो भी ये misconception हैं vaccine के बारे में वो हमें दिमाग से निकालने चाहिए और जिस-जिस की बारी आयी क्योंकि 1 मई से हमारे पूरे मुल्क में जो भी 18 साल से ज्यादा की उम्र है उनको vaccine लगाने का कार्यक्रम शुरू होगा तो लोगों से अपील यही करेंगे आप आए vaccine लगवाए और अपने आप को भी protect करें और overall हमारी society और हमारी community इससे protect हो जायगी Covid 19 के infection से।

प्रधानमंत्री ने कहा, भारत सरकार की तरफ से मुफ़्त Vaccine का जो कार्यक्रम अभी चल रहा है, वो, आगे भी चलता रहेगा। मेरा राज्यों से भी आग्रह है, कि, वो भारत सरकार के इस मुफ़्त Vaccine अभियान का लाभ अपने राज्य के ज्यादा-से-ज्यादा लोगों तक पहुँचाएँ।

प्रधानमंत्री ने कहा, रायपुर के डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में अपनी सेवाएँ दे रहीं sister भावना ध्रुव जी को ‘मन की बात’ में आमंत्रित किया है, वो, अनेकों कोरोना मरीजों की देखभाल कर रही हैं। आइये ! उन्हीं से बात करते हैं…

प्रधानमंत्री परिवार में इतनी सारी जिम्मेवारियाँ इतने सारे यानी multitask और उसके बाद भी आप कोरोना के मरीजों के साथ काम कर रही हैं। कोरोना के मरीजों के साथ आपका जो अनुभव रहा, वो जरुर देशवासी सुनना चाहेंगे क्योंकि sister जो होती है, nurses जो होती हैं patient के सबसे निकट होती हैं और सबसे लम्बे समय तक होती हैं तो वो हर चीज़ को बड़ी बारीकी से समझ सकती हैं जी बताइए।

भावना जी सर, मेरा total experience COVID में, 2 month का है। हम 14 days duty करते हैं और 14 days के बाद हमें rest दिया जाता है। फिर 2 महीने बाद हमारी ये COVID duties repeat होता है सर। जब सबसे पहले मेरी COVID duty लगी तो सबसे पहले मैं अपने family members को ये COVID duty की बात share करी। ये मई की बात है और मैं, ये, जैसे ही मैंने share किया सब के सब डर गए, घबरा गए मुझसे, कहने लगे कि बेटा ठीक से काम करना, एक emotional situation था सर। बीच में जब, मेरी बेटी मुझसे पूछी, mumma आप COVID duty जा रहे हो तो उस समय बहुत ही ज्यादा मेरे लिए emotional moment था, लेकिन, जब मैं COVID patient के पास गयी तो मैं एक जिम्मेदारी घर में छोड़ कर गई और जब मैं COVID patient से मिली सर, तो वो उनसे और ज्यादा घबराये हुए थे, COVID के नाम से सारे patient इतना डरे हुए थे सर, कि, उनको समझ में ही नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है, हम आगे क्या करेंगे। हम उनके डर को दूर करने के लिए उनसे बहुत अच्छे से healthy environment दिए सर उन्हें। हमें जब ये COVID duty करने को कहा गया तो सबसे पहले हमको PPE Kit पहनने के लिए कहा गया सर, जो कि बहुत ही कठिन है, PPE Kit को पहन करके duty करना। ये बहुत tough था हमारे लिए, मैंने 2 month की duty में हर जगह 14-14 दिन duty की ward में, ICU में, Isolation में।

प्रधानमंत्री यानी कुल मिला कर तो आप एक साल से इसी काम को कर रही हैं।

भावना Yes sir, वहाँ जाने से पहले मुझे नहीं पता था कि मेरे colleagues कौन है। हम एक team member की तरह काम किये, उनका जो भी problem थे, उनको share किये, हम जाने patient के बारे में और उनका stigma दूर किये, कई लोग ऐसे थे कि जो COVID के नाम से ही डरते थे। वो सारे symptoms उनमें आते थे जब हम history लेते थे उनसे, लेकिन वो डर के कारण, वो अपना टेस्ट नहीं करवा पाते थे, तो हम उनको समझाते थे, और जब severity बढ़ जाती थी तब उनका lungs already infected हो चुका रहता था तब उनको ICU की जरुरत रहती थी तब वो आते थे और साथ में उनकी पूरी family आती थी। तो ऐसा 1-2 case हमनें देखा और ऐसा भी नहीं कि हर एक age group के साथ काम किया हमने। जिसमें छोटे बच्चे थे, महिला, पुरुष, बुजुर्ग, सारे तरह के patient थे। उन सबसे हमने बात करी तो सब ने कहा कि हम डर की वजह से नहीं आ पाए, सबका यही हमें answer मिला। तो हम उनको समझाए सर, कि, डर कुछ नहीं होता है आप हमारा साथ दीजिये हम आपका साथ देंगे बस आप जो भी protocols है उसे follow कीजिये बस हम इतना उनसे कर पाए।

प्रधानमंत्री ने कहा, जैसे आज हमारे Medical Field के लोग, Frontline Workers दिन-रात सेवा कार्यों में लगे हैं। वैसे ही समाज के अन्य लोग भी, इस समय, पीछे नहीं हैं। देश एक बार फिर एकजुट होकर कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई लड़ रहा है। इन दिनों मैं देख रहा हूँ कोई Quarantine में रह रहे परिवारों के लिए दवा पहुँचा रहा है, कोई, सब्जियाँ, दूध, फल आदि पहुँचा रहा है। कोई Ambulance की मुफ़्त सेवाएँ मरीजों को दे रहा है। देश के अलग-अलग कोने में इस चुनौतीपूर्ण समय में भी स्वयं सेवी संगठन आगे आकर दूसरों की मदद के लिए जो भी कर सकते हैं वो करने का प्रयास कर रहे हैं। इस बार, गाँवों में भी नई जागरूकता देखी जा रही है। कोविड नियमों का सख्ती से पालन करते हुए लोग अपने गाँव की कोरोना से रक्षा कर रहे हैं, जो लोग, बाहर से आ रहे हैं उनके लिए सही व्यवस्थायें भी बनाई जा रही हैं। शहरों में भी कई नौजवान सामने आये हैं, जो अपने क्षेत्र में, कोरोना के case न बढ़े, इसके लिए, स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं, यानि एक तरफ देश, दिन-रात अस्पतालों, Ventilators और दवाईयों के लिए काम कर रहा है, तो दूसरी ओर, देशवासी भी, जी-जान से कोरोना की चुनौती का मुकाबला कर रहें हैं। ये भावना हमें कितनी ताकत देती है, कितना विश्वास देती है। ये जो भी प्रयास हो रहे हैं, समाज की बहुत बड़ी सेवा है। ये समाज की शक्ति बढ़ाते हैं।