अटल जी की कविता के जरिये मुख्यमंत्री ने विपक्ष को दिखाया आईना

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आदमी न ऊंचा होता है, न नीचा होता है.. आदमी तो आदमी होता है
नेताओं के साख का संकट सबसे बड़ा
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को विधान परिषद में विपक्ष की टीका-टिप्पणी को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी की कविता का जिक्र कर विपक्ष को उनके आचरण के लिए आईना दिखाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल जी ने लिखा था, आदमी न ऊंचा होता है, न नीचा होता है, आदमी न छोटा होता है, न बड़ा होता है, आदमी तो आदमी होता है। अटल जी की कविता की इन लाइनों को पढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ने विपक्षी सदस्यों खास कर समाजवादी पार्टी के सदस्यों को इंगित करते हुए कहा कि उन्हें सुनने की आदत डालनी चाहिए। सदन में सदस्यों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह लोकतांत्रिक मूल्य का सम्मान करें। अपने आचरण से नजीर बनाएं। लेकिन अब इसका उल्टा हो रहा है। जनता ऐसे व्यवहार को पसंद नहीं करती। इसलिए सदस्यों को लोकतांत्रिक मूल्य का पालन करना चाहिए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को विधान परिषद में राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए विपक्षी सदस्यों को यह सलाह दी। हुआ यह कि सदन में जैसे ही मुख्यमंत्री ने बोलना शुरु किया, वैसे ही सपा सदस्यों ने टीका-टिप्पणी करना शुरु कर दिया, जिस पर मुख्यमंत्री ने हसते हुए कहा कि हम ऐसी दवा देंगे जिससे आप सब की पीड़ा दूर हो जाएगी। इस पर सपा के सदस्यों ने फिर टिप्पणी की। जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सदस्यों को सुनने की आदत होनी चाहिए। यह संसदीय लोकतंत्र की परिपाटी रही है। आप लोग सदन की गरिमा को सीखिए, मैं जानता हूँ कि आप किस प्रकार की भाषा और किस प्रकार की बात सुनते हैं। हम उसी प्रकार का इलाज भी समय समय पर करते हैं। इस पर विपक्षी सदस्यों की टीका-टिप्पणी जारी रही तो मुख्यमंत्री ने कहा गर्मी यहाँ दिखाने की जरूरत नहीं है, यह सदन है इसकी मर्यादा का पालन करें । पालन करना सीखे, जो जिस भाषा में समझेगा, उसे उसी भाषा में जवाब मिलेगा। अगर बोलते हैं तो सुनने की आदत डालें। गर्मी मत दिखाइए।सदन में आचरण रखिये। समझाइए मत। जिस तरीके से आप लोग बोल रहे हैं, उत्तेजना दिखाने की जरूरत नही, जब बारी आएगी तो बोलियेगा।

स्टेट गेस्ट हाउस कांड से हर कोई वाकिफ है : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को यह नसीहत देने के बाद स्टेट गेस्ट हाउस कांड का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि स्टेट गेस्ट हाउस कांड कौन नही जानता है। अच्छी बातों को स्वीकार करना चाहिए। अपने आचरण से नजीर बनाना चाहिए। आज का सबसे बड़ा संकट विश्वसनीयता। आजादी के बाद के कई वर्षों तक नेता शब्द सम्मान का प्रतीक था, अब नहीं। इसके मूल में विश्वसनीयता का ही संकट है। आप अपने आचरण से ही पहचाने जाते हैं। गेस्ट हाउस कांड सबको याद होगा। दुर्भाग्य से कुछ लोगों के संस्कार ही ऐसे होते हैं। कुछ लोगों को गलतफहमी है कि सदन में शोर मचाने से उनका प्रभाव बढ़ेगा। साख बढ़ेगी, लेकिन जनता ऐसे व्यवहार को ठीक नहीं मानती है। यही वजह है कि वह आपको हर चुनाव में खारिज करती आ रही है। आजादी से पहले नेताओं का जनता के बीच जो सम्मान था, वह अब नहीं है। साख गिरना ही इसकी मूल वजह है।