परीक्षा के समय भय व घबराहट से पाएं छुटकारा

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प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान नकारात्मक सोच, परीक्षा के ठीक पहले घबराहट शुरु होना, असफलता का डर लगना, हाथ पैर में कंपन होना और ऐसा भय उत्पन्न होना कि हम लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। ऐसी भावना बार-बार मन में आना एक ऐसी परेशानी है, जो प्रतियोगी छात्र को सफलता के लक्ष्य से दूर ले जाती है यद्यपि छात्र की परीक्षा हेतु तैयारी पूरी होती है। उसका अध्ययन समुचित रूप से प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हासिल करने के अनुकूल होता है। इसके बावजूद इस प्रकार की परेशानी पूरे साल की छात्र की कठिन व कड़ी मेहनत, उसकी तपस्या, उसकी अच्छी पढ़ाई होने के बावजूद भी छात्र को प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने नही देती है। इस दुखदाई समस्या से छुटकारा पाने के लिए लिए, देश के वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ रवींद्र पोरवाल ने कुछ घरेलू उपचार दिए हैं। डॉ रवींद्र पोरवाल श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के साथ-साथ भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के बोर्ड सदस्य भी हैं। उन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव से जो घरेलू नुस्खा बताया है, वह रामबाण, अचूक लाभकारी है।

रामबाण, अचूक लाभकारी घरेलू नुस्खा

आंवला अश्वगंधा शंखपुष्पी ब्रह्मी और जटामांसी को पंसारी के यहां से लाकर बराबर बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण को प्रातः दूध के साथ और सायकाल भी एक चम्मच यह चूर्ण दूध के साथ सेवन करना चाहिए। इसके साथ यदि 4-5 छुहारा या खजूर ले लिया जाए तो बहुत श्रेष्ठ है। दूध में चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग इस उपाय को ज्यादा प्रभावशाली बना देता है। यह उपाय सामान्यता 40 दिन करने की आवश्यकता होती है लेकिन लंबे समय तक नियमित रूप से इसका सेवन करने से कोई दिक्कत नही है। वृद्धजन और प्रौढ़ अवस्था की महिलाएं एवं पुरुष जिन्हें गुस्सा बहुत आता है चिड़चिड़ापन है और हीन भावना की शिकार है, उन्हें इस दिव्य योग से बहुत लाभ मिलेगा। इस योग को सर्दी गर्मी बरसात किसी भी ऋतु में शुरू किया जा सकता है और नियमित रूप से पूरे वर्ष लेने पर भी कोई हानि नहीं है।

योगिक क्रियाएं भी बहुत हितकारी हैं

3 मिनट तक भ्रामरी प्राणायाम और 3 मिनट तक नाड़ी शोधन प्राणायाम का प्रातः काल शौच आदि से निवृत्त होकर अभ्यास किया जाए तो सोने में सुहागा है। घंटों योग क्रियाएं करने के स्थान पर 1 मिनट तक सिंहासन और 1 मिनट तक सुप्त नौकासन का अभ्यास सांस को सामान्य रखते हुए करें। सिंहासन आत्मविश्वास बढ़ा कर डर कम करने वाला महत्वपूर्ण योगिक आसन है वही सुप्त नौकासन मस्तिष्क के ज्ञान तंतुओं को बल देकर मानसिक शक्ति में अपूर्व वृद्धि कर देता है।
आसनों का अभ्यास करने के बाद पदचालन की योगिक क्रिया भी मानसिक एकाग्रता में वृद्धि करके प्रतियोगी परीक्षा के कठिन लक्ष्य को आसान बना देती है। पदचलन की क्रिया में सबसे पहले सीधे खड़े हो जाते हैं और पैर के पंजों को ऊंचा करके केवल एडी के बल तेज तेज कदमों से चलना चाहिए। इस क्रिया के अभ्यास के समय गर्दन, पूरी रीड की हड्डी कमर और घुटने सीधे होने चाहिए दोनों हाथ भी पूरी तरह टाइट होने चाहिए। लंबी गहरी व तेज स्वास प्रस्वांश लेते छोड़ते हुए शरीर का बैलेंस बनाकर लगभग एक से दो मिनट तक चलना चाहिए।
यह क्रिया करने के बाद अब इसके विपरीत क्रिया करते हैं जिसमें एड़ियों को जमीन से उठाते हैं और पैर के पंजों के बल चलकर यही प्रक्रिया दोबारा 1 से 2 मिनट तक पूरी रीड की हड्डी कमर सीधा रखकर चलना चाहिए इस क्रिया के अभ्यास के दौरान सांस लंबा गहरा होना चाहिए। परिचालन की यह क्रिया जब पढ़ते पढ़ते थक जाएं तब दिन में दो-तीन बार एक 1 मिनट तक कर लेने से शरीर की अकड़न और थकान दूर होकर चुस्ती फुर्ती और उत्साह का एहसास होता है।

अलविदा कहे चाय और कॉफी को

कुछ प्रतियोगी छात्र अपनी एकाग्रता बनाए रखने के लिए या नींद से बचने के लिए बार बार चाय कॉफी जैसे उत्तेजक पदार्थों का सेवन करते हैं। इनका सेवन केवल मानसिक स्तर पर ही नहीं शरीर की आंतरिक अंगों के लिए भी हितकारी नहीं होता है। इसलिए प्रतियोगी परीक्षा के प्रतिभागियों को ज्यादा मात्रा में या कई बार चाय कॉफी कोल्ड ड्रिंक इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके स्थान स्वास्थ्य वर्धक आयुर्वेदिक चाय का प्रयोग करना चाहिए। आयुर्वेदिक चाय बनाने के लिए सूखा अदरक या सोठ व मोटी सौफ बराबर मात्रा में और छोटी इलायची व दालचीनी की चौथाई मात्रा लेकर सबको मिक्सी में पीसकर आयुर्वेदिक पोष्टिक चाय का पाउडर बनाकर रख ले। यह आयुर्वेदिक एवं पौष्टिक चाय सामान्य रूप से ली जाने वाली कॉफी चाय की तुलना में त्वरित ऊर्जा प्रदान करने वाला और मन मस्तिष्क के अंदर उत्साह की गंगा बहाने वाला एक सरल योग है। साथ ही साथ चाय कॉफी के शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर होने वाले दुष्प्रभावों से बचाकर शानदार स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है और चाय कॉफी के स्वाद से कम अच्छा नहीं है।

सेब का छिलका अथवा चने के छिलके की भूसी 20 ग्राम मात्रा में एक गिलास गर्म पानी में गुड़ एवम आधा चाय का चम्मच देसी चाय का पाउडर डालकर खूब उबालें। इसमें आवश्यकता अनुसार दूध मिला सकते हैं या बिना दूध के ही इसे ग्रीन टी की तरह पी सकते हैं। यदि बिना दूध के इस का सेवन करते हैं, तो इसमें आधा नींबू भी मिलाकर इसके स्वाद को और अच्छा बना सकते हैं। यह खूब भूख लगाता है, पेट को साफ करता है, गैस एसिडिटी डकारे जैसी तकलीफ पूरी तरह ठीक हो जाती है। कब्जियत दूर होकर खुलकर पेट साफ होता है। जिससे मन प्रसन्न हो जाता है और शरीर हल्कापन का एहसास करता है, इसे दिन में तीन चार बार भी लेने पर कोई हर्ज नहीं है।

आहार कैसा लें

प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागियों को हल्का सुपाच्य भोजन लेना चाहिए, भोजन पचने में बहुत सरल हो लेकिन भोजन की कैलोरी वैल्यू ज्यादा हो भोजन में मिनरल और विटामिंस की भरपूर मात्रा होनी चाहिए ताकि शरीर एवं मन मस्तिष्क के लिए जरूरी सभी तत्वों की पूर्ति हो सके। पूड़ी पराठे और तली चीजें ज्यादा चिकनाई मसाले वाले गरिष्ठ खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। मैदा चीनी जंक फूड दालमोठ बिस्किट जैसे पदार्थ ना लें या कभी-कभी बहुत थोड़ी मात्रा में ही इनका सेवन करें।फास्ट फूड समोसा, चाट, डोसा, इडली इनमें मसालों की मात्रा सामान्य भोजन से बहुत ज्यादा होती है। इसलिए इनका सेवन ना करें।

मूंग अथवा मसूर की छिलके वाली दाल और चपाती के साथ टमाटर, चुकंदर और प्याज काट कर सलाद का सेवन अच्छा है। सलाद में अमरूद और सेब भी आवश्यकता अनुसार लिया जा सकता हैं। सब्जियों में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भरपूर मात्रा में करें। दूध और दही का सेवन भोजन के तुरंत बाद ना करें यदि दूध, पनीर, दही या दूध दही से बने किसी पदार्थ का सेवन भोजन के साथ कर रहे हैं तो छिलके वाली मूंग की दाल का सेवन ना करें। भोजन के तुरंत बाद पानी भी ना पिए किंतु भोजन के आधा से एक घंटे बाद देसी चाय का सेवन अच्छा है। ताजे फलों का एवं फलों के रस का भरपूर मात्रा में सेवन करें। विशेषकर पीले और नारंगी रंग के फलों का सेवन ज्यादा हितकारी होता है क्योंकि पीले और नारंगी रंग के फलों में लाइकोपीन विटामिन सी जैसे तत्व होते हैं जो बहुत बहुत लाभ पहुंचाते हैं।

इन घरेलू जड़ी बूटियों, योग व आहार में परिवर्तन करने का यह चमत्कारी उपाय न केवल प्रतियोगी छात्रों के लिए बल्कि आम नागरिकों महिलाओं पुरुषों यहां तक की वृद्ध नागरिकों के लिए भी बहुत उपयोगी है लाभकारी है।