न्यूज के खातिर छटपटा रहे निजी एफएम रेडियो चैनल

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छटपटा रहे निजी एफएम रेडियो चैनल न्यूज के खातिर…….. निजी एफएम चैनल उद्योग बंदिश की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है।एक तरफ पूरी आजादी के साथ प्रिंट, डिजटल और सोशल मीडिया सक्रिय है तो दूसरी ओर निजी क्षेत्र के एफ एम रेडिओ चैनलों को समाचार प्रसारित करने की अनुमति नहीं है। जिसकी वजह से निजी एफएम चैनल का समग्र विकास नहीं हो पा रहा है।

सरकार का यह दावा कि निजी एफएम रेडियो स्टेशनों की संख्या बढ़ी है। यह कहना भी सच है कि निजी रेडियो स्टेशन स्थापित करने की लाइसेंसिंग प्रक्रिया पहले से काफी सरल कर दी गई है। यह भी तो जान लें कि एफएम का मतलब होता है – फ्रिक्वेंसी माॅड्युलेशन अर्थात रेडियो तरंग की तात्कालिक आवृत्ति को बदलकर वाहक तरंग में सूचना की एनकोडिंग करना।

इसके बावजूद मुट्ठीभर निजी एफएम चैनल ही ठीक ठाक चल रहे हैं क्योंकि इनका लाइसेंस बड़े मीडिया हाउस और कुछेक औद्योगिक घरानों को ही मिला था। भरपूर वित्तीय संसाधनों और सत्ता से मजबूत सम्बंधों की धमक रखने वाले निजी एफएम चैनल अच्छे से चल रहे हैं और उन्हीं का वर्चस्व भी है, जैसे रिलायंस ब्राॅडकास्ट नेटवर्क लिमिटेड के पास 58 एफएम चैनल हैं, जबकि देश में कुल 388 निजी एफएम चैनल हैं।

निजी एफएम रेडियो चैनल की कहानी तेईस साल पुरानी है जब साल 2000 में पहली बार सरकार ने 108 निजी एफएम चैनलों की नीलामी की थी। देश में पहला निजी रेडियो स्टेशन-चैनल ‘रेडियो सिटी बंगलौर’ जुलाई, 2001 में शुरू हुआ था। 2001से 2023 के बीच मोबाइल, बैंकिंग, एयर ट्रवेल, सोशल मीडिया और विभिन्न उद्योगों सहित चौतरफा उदारीकरण, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बोलबाला है, लेकिन निजी एफएम चैनलों को समाचार प्रसारित करने की स्वतंत्रता अभी तक ‘दिवास्वप्न’ बना हुआ है।

निजी क्षेत्र को एफएम रेडियो चैनल का लाइसेंस लेने के खातिर पापड़ नहीं बेलने पड़ते हैं और न ही सालों का इंतजार। लाइसेंस की पंद्रह जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था जिन्हें घटाकर आठ कर दिया गया है। इसके अलावा लाइसेंस के लिए आवेदन आनलाइन करने की व्यवस्था से बहुत -बहुत आसानी हो गई। अब आवेदन करने के छः माह के भीतर लाइसेंस जारी करने से राहत मिलेगी, कुछ समय पहले तक चार साल लग जाते थे। बेशक सरलीकरण होने से 284 नगरों में कम क्षमता वाले ट्रांसमीटर के रेडियो स्टेशन की स्थापना यानी 808 एफएम चैनलों की अगली होने वाली नीलामी में निजी क्षेत्र पूंजी लगाने का जोखिम उठाएगा। हो सकता है तब तक इस क्षेत्र को समाचार प्रसारित करने की स्वतंत्रता भी मिल जाए। इस साल प्रधानमंत्री ने अप्रैल में आल इंडिया रेडियो (एआईआर) के नए 91 एफएम चैनल का वर्चुअल उद्घाटन किया था। एआईआर के अंतर्गत यानी सरकार के स्वामित्व में रेडियो चैनल की संख्या बढ़ कर 615 हो गई है, निजी क्षेत्र के 388 रेडियो चैनल को मिलाकर देश में इनकी कुल संख्या 1003 हो गई है।

बताते चलें कि विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई 13300 फुट पर भारतीय सेना की मदद से स्थापित एफएम रेडियो स्टेशन करगिल के हम्बातिंगला में है, लेफ्टिनेंट जनरल अनिन्द्य सेन गुप्ता ने पिछले साल सितंबर में इसका उद्घाटन किया था।जहां तक भारतीय रेडियो इंडस्ट्री का संबंध है इसका 2100 करोड़ रुपए सालाना का कारोबार है। सरलीकरण होने से नया पूंजी निवेश होने से विस्तार तो होगा ही। प्रोग्रामर, रेडियो जाॅकी और टेक्नीशियन को रोजगार मिलेगा।

प्रणतेश बाजपेयी