अरबों के खेल में एक दर्जन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की प्रैक्टिस पर प्रतिबंध

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हेरा-फेरी में शामिल दर्जनभर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की प्रैक्टिस पर प्रतिबंध, तगड़ा जुर्माना.. कार्पोरेट जगत के अतिमहत्वाकांक्षी प्रमोटर्स और ऑडिट फर्मों की मिलीभगत से करोड़ों-अरबों रुपयों की हेरा-फेरी के कई नए मामले सामने आए हैं। पंद्रह साल पहले सत्यम कंप्यूटर्स के प्रमोटर और प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय ऑडिट फर्म प्राइस वाटरहाउस की सांठगांठ से 7100 करोड़ रुपए के गबन के नक्शेकदम पर नामी ऑडिट फर्मों के तकरीबन एक दर्जन सनदी लेखाकारों (चार्टर्ड अकाउंटेंट्स) पर लाखों रुपए का जुर्माना ठोकने के साथ-साथ दो से पांच सालों तक ऑडिट करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

प्राप्त जानकारी अनुसार ‘काॅफीडे’ ब्रांड नाम से काॅफी बीन्स और काॅफी के कारोबार करने वाले नामी काॅफी डे एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड (सीडी ईएल) ग्रुप की सात सब्सिडियरी यानी सहायक कंपनियों के माध्यम से 3535 करोड़ रुपए की हेराफेरी में ऑडिट फर्म एएसआर एमपी ऐंड कं. (फर्म संख्या 0183505पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया और साथ ही दो वर्षों तक ऑडिट करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। शेयर बाजार नियामक सेबी ने काॅफी डे इंटर प्राइज़ेज़ लि. और इसकी प्रमुख सब्सिडियरी काॅफी डे ग्लोबल लि. के वर्ष 2018-19 के खातों की जांच में हेराफेरी को पकड़ा।

सेबी के खुलासे के बाद राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने अपने स्तर से भी पड़ताल करने पर 12 अप्रैल को अपने आदेश में ऑडिट फर्म और ऑडिट करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को दोषी पाया। प्राधिकरण ने सीए सुंदरेशा ए एस( आईसीएआई सदस्य संख्या 197728) पर 10लाख रुपए जुर्माना 5 सालों तक ऑडिट पर प्रतिबंध, सीए प्रनव जी.आंबेकर (आईसीएआई सदस्य संख्या 240379), सीए मधुसूदन (आईसीएआई सदस्य संख्या 238953), प्रदीप चंद्रा सी, चैतन्य जी, सीए लविता शेट्टी पर भी 5-5 लाख रुपए जुर्माना और ऑडिट पर 5-5सालों का प्रतिबंध लगा दिया है। प्राधिकरण ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस (डीएचएफएल) के 2017-18 में हुए 31 हजार करोड़ रुपए के चर्चित मामले में इस कंपनी की 17 शाखाओं का ऑडिट करने वाली फर्म के. वर्गीस ऐंड कं. (आईसीएआई फर्म रजिस्ट्रेशन नं. ००4525s) के सभी चार चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर 1-1 लाख रुपए जुर्माना ठोंका है। इस फर्मि के चार पार्टनर सीए के नाम हैं मैथ्यू सैम्युएल, सैम वर्गीस, हरीश कुमार और एम. भास्करन। इन चारों सीए पर एक वर्ष का ऑडिट प्रतिबंध भी लगाया गया है।

बताते चलें कि अजय-स्वाती पीरामल ग्रुप ने वैधानिक प्रक्रिया के तहत 2021 में डीएचएफएल का अधिग्रहण कर लिया था, तभी से इसका नाम पीरामल कैपिटल ऐंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड है। राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण ने कुछ महीने पहले विकास डब्ल्यू एसपी लि. से जुड़ी ऑडिट फर्म एस ओमप्रकाश ऐंड कं.के सीए ओमप्रकाश अग्रवाल (आईसीएआई रजिस्ट्रेशन नं.06105 c) पर 3 लाख रुपए जुर्माना और तीन वर्षों का ऑडिट प्रतिबंध लगाया था। इसी दरम्यान मीडिया कंपनी ट्रिलाॅजिक डिजिटल मीडिया लि.(स्टाॅक एक्सचेंज में सूचीबद्ध) के प्रमोटरों के साथ सांठगांठ में कंपनी के खातों में 70 करोड़ रुपए से ज्यादा की बंगलिंग में शामिल ऑडिट फर्म में पार्टनर सीए राजीव बंगाली पर पांच वर्षों के ऑडिट प्रतिबंध के साथ साथ 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। बंगाली की मदद से कंपनी के डाइरेक्टर अनुराग बत्रा (कार्पोरेट आईडी नं. L74140 MH199 PLC 246168) ने 2016-17 के‌ दौरान कंपनी के वार्षिक खर्च में 3041 प्रतिशत की फर्जी वृद्धि दर्शाई थी, यही नहीं ऑडिटर को साधकर फर्जी घाटा दर्शाया और कंपनी की नेटवर्थ निगेटिव दिखा कर करोड़ों रुपए निकाल लिए थे। नोटबंदी में भी किया गए लम्बा घपला पकड़ में आया था।

ध्यान दिलाते चलें कि कानपुर में विक्रम कोठारी उदय देसाई द्वारा बैंकों के तकरीबन चार हजार करोड़ रुपए का स्कैंडल फरवरी 2018 में उजागर हुआ था जिसमें ‌में कई स्थानीय ऑडिट फर्में और उनसे जुड़े नामी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की अहम भूमिका थी, इनमें से एक सीए ने एक राजनीतिक पार्टी के कद्दावर नेतापूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद से मजबूत संबंधों का भरपूर फायदा उठाते हुए जांच एजेंसियों की गिरफ्त से अपने को बचा लिया था। ऐसी कारगुजारी करने वाले सीए कालासफेद करने कराने में आज भी सक्रिय हैं, लेकिन इनसे बदनाम ‌तो समूचा सीए प्रोफेशन होता है।

प्रणतेश बाजपेयी