परोपकारी ट्रस्टों की बल्ले बल्ले, आ रहा सोशल स्टाॅक एक्सचेंज

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परोपकारी ट्रस्टों की बल्ले बल्ले, आ रहा सोशल स्टाॅक एक्सचेंज…….  आखिर चार सालों की मशक्कत रंग ले ही आई और बहुत जल्दी देश का पहला सोशल स्टाॅक एक्सचेंज (एसएसई)काम शुरू भी कर देगा। इसके लिए सेबी से 22 फरवरी को हरी झंडी मिलते ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के सीनियर प्रबंधन ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। पांच-छः सामाजिक संगठनों ने एक्सचेंज से संपर्क भी स्थापित किया है।

आने वाले दिनों में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), लाभकारी सामाजिक उद्यम (फाॅर प्राॅफिट इंटरप्राइज-एफपीई) और गैर लाभकारी संगठन (नाॅन प्राॅफिट ऑर्गनाइजेशन एनपीओ) शेयर मार्केट की तर्ज पर कंपनियों की तरह अपने परोपकारी, सामाजिक कार्यों और परियोजनाओं की फाइनेंसिंग को इस नवोन्मेषी मंच-एसएसई के माध्यम से धन, पूंजी जुटा सकेंगे।

बता दें कि पहली बार 2019-20 के बजट सत्र में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोशल स्टाॅक एक्सचेंज बनाने का विचार संसद के सामने रखा था। और यह भी बताते चलें कि सबसे पहले ‘जनपथ टाइम्स’ ने सोशल स्टाॅक एक्सचेंज बनाए जाने के समाचार को 2020, 20 सितंबर को प्रकाशित किया था। सेबी के नवनिर्मित नियमों के अंतर्गत किसी भी पंजीकृत एनपीओ, एफपीओ, एनजीओ और ट्रस्ट को एस एस ई कर पंजीकरण कराने के लिए पहली शर्त यह है कि उसे पिछले तीन सालों से धर्मार्थ चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर्ड होना चाहिए। दूसरी शर्त-पिछले एक वित्तीय वर्ष में सामाजिक , परोपकारी कार्यों पर न्यूनतम 50 लाख रुपए की धनराशि व्यय की गई हो, और तीसरी अनिवार्यता यह है कि उसी वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 10 लाख रुपए की फंडिंग उसे प्राप्त हुई हो।

एसएसई इन संगठनों की लिस्टिंग के लिए पूरी पारदर्शिता अपनानी पड़ेगी। लेकिन शेयर बाजारों में कंपनियों के शेयरों की भांति इस प्लेटफार्म पर इन संगठनों के अंशपत्रों की ट्रेडिंग नहीं की जाएगी और न ही इन पर कोई रिटर्न मिलने का प्रावधान किया गया है क्योंकि निवेश को दान के रूप में मान्यता दी गई है। संगठनों के अंशपत्रों को ज़ीरो कूपन ज़ीरो प्रिंसिपल (ज़ेडसीज़ेडपी) नाम से दानदाता-निवेशकों के नाम के अंतर्गत जारी किया जाएगा।

प्रणतेश बाजपेयी