यूपी में आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर ज्यादा फोकस

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लखनऊ। लखनऊ में 10-12 फरवरी के मध्य होने जा रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए योगी सरकार ने निवेश का जो लक्ष्य तय किया है, इसकी पूर्ति में आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर की अहम भूमिका होने जा रही है। 10 लाख करोड़ का निवेश जुटाने के लिए योगी सरकार ने अलग-अलग विभागों का भी लक्ष्य तय कर दिया है। सबसे ज्यादा 1.2 लाख करोड़ का लक्ष्य अकेले आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग को दिया गया है। वहीं, एमएसएमई, यूपीसीडा, टेक्सटाइल, हाउसिंग, सिविल एविएशन समेत कुल 32 विभागों के लिए अलग-अलग लक्ष्य तय किए गए हैं। निवेश के लिए कुल 35 विभागों का चयन किया गया है, जिसमें 3 विभागों को कोई लक्ष्य तो नहीं मिला है लेकिन सरकार को वहां भी अच्छे निवेश का भरोसा है।

इन सभी 32 विभागों की ओर से निवेश सारथी पोर्टल पर निवेशकों की क्वेरीज को हैंडल करने के लिए नोडल अफसरों की नियुक्ति की गई है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का बीड़ा उठाया है। पीएम की इसी मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को भी वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाकर देश की प्रगति में योगदान देने के लिए अपनी टीमों को मिशन मोड में काम पर लगा दिया है। जीआईएस-23 इसी मिशन का हिस्सा है।

बड़े निवेश की बड़ी तैयारी : आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स में निवेश को लेकर सरकार सबसे ज्यादा उत्साहित है। यही वजह है कि जीआईएस-23 के जरिए जो 10 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा गया है, उसमें 1/10 हिस्सा आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए रखा गया है। यानी इस सेक्टर के जरिए 1.20 लाख करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे। इसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई है। देश से लेकर विदेशी निवेशकों तक को इस क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया गया है। सरकार को सकारात्मक रिस्पॉन्स भी मिला है। कई बड़ी कंपनियों ने निवेश को लेकर रुचि दिखाई है। विदेशों में होने जा रहे रोड शो और ट्रेड शो के जरिए भी बड़े विदेशी निवेशकों को उत्तर प्रदेश में इस सेक्टर में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए दो टीमें अलग-अलग देशों का दौरा करने जा रही हैं।

आईटी नीति में निवेशकों को दी गई है राहत : योगी सरकार ने अपनी नई आईटी नीति में निवेशकों को कई तरह की छूट का प्रावधान किया है। सीएम योगी ने बीते दिनों ग्रेटर नोएडा में डेटा सेंटर की शुरुआत की थी, जिसके बाद मंत्रिपरिषद की बैठक में 7 और डेटा सेंटर पूरे प्रदेश में खोलेने का निर्णय किया है। यह डेटा सेंटर निजी निवेशकों के सहयोग से खोले जाएंगे। इसी तरह, प्रदेश के हर अंचल में आईटी सिटी बनाने और हर डिवीजन में आईटी पार्क बनाने का भी निर्णय लिया गया है। तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी खोलने की भी योजना है। मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार निजी क्षेत्र के निवेशक आईटी पार्क बनाएंगे तो उन्हें 25 प्रतिशत या 20 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। साथ ही स्टांप ड्यूटी में शत प्रतिशत तक छूट मिलेगी। वहीं, आईटी सिटी विकसित करने पर प्रदेश सरकार 25 प्रतिशत या 100 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी देगी। प्रदेश में रोजगार देने पर भी अलग-अलग तरह की छूट का प्रावधान किया गया था। सरकार को इस नीति के जरिए 1.5 लाख रोजगार के अवसर सृजित होने का भरोसा है।

अन्य सेक्टर्स को भी मिला है टारगेट : आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के बाद एमएसएमई को सबसे ज्यादा 75 हजार करोड़ और यूपीसीडा को 70 हजार करोड़ का लक्ष्य दिया गया है। इसके बाद टेक्सटाइल, हाउसिंग, सिविल एविएशन, जीनीडा, यीडा, पब्लिक वर्क्स और एनर्जी जैसे विभाग हैं जिन्हें 60 हजार करोड़ का निवेश लाने का लक्ष्य मिला है। इसी तरह अर्बन डेवलपमेंट को 50 हजार करोड़, एफएसडीए, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत, मेडिकल हेल्थ व गीडा को 40 हजार करोड़ का लक्ष्य मिला है। इसके अलावा यूपी को 30 हजार करोड़, हॉर्टीकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग को 25 हजार करोड़ व टूरिज्म को 20 हजार करोड़ का लक्ष्य दिया गया है। सरकार का प्रयास है कि लक्ष्य के हिसाब से विभाग तैयारी करें और निवेशकों को उसी के हिसाब से प्रोत्साहित किया जाए।

10 लाख करोड़ से ज्यादा निवेश का लक्ष्य : दिलचस्प बात ये है कि निवेश के लिए 10 लाख करोड़ से भी ज्यादा का लक्ष्य तय किया गया है। यदि सभी 32 विभागों को दिए गए लक्ष्य को काउंट किया जाए तो यह 11 लाख 25 हजार करोड़ तक पहुंच जाता है। यानी योगी सरकार जीआईएस-23 के जरिए 11 करोड़ से ज्यादा के निवेश का लक्ष्य लेकर चल रही है। कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए कि उत्तर प्रदेश में होने वाला निवेश इस लक्ष्य से भी आगे निकल जाए, क्योंकि जिन तीन सेक्टर को कोई लक्ष्य नहीं दिया गया है उनमें भी भारी निवेश की संभावना है। ये तीन सेक्टर आईआईडीडी, केन एवं शुगर और कृषि हैं। इन तीनों ही क्षेत्रों में भी निवेशकों ने रुचि दिखाई है और संभावना है कि यहां भी बड़ा निवेश हो सकता है।

निवेशकों के लिए योगी सरकार ने निवेश सारथी पोर्टल की शुरुआत की है। सभी विभागों ने पोर्टल पर निवेशकों की क्वेरीज के समाधान के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है। नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वो तय लक्ष्य के अनुरूप ही निवेशकों को प्रोत्साहित करेंगे। समय-समय पर निवेशकों का फॉलो-अप किया जाएगा। इसके लिए समयसीमा भी निर्धारित की गई है। यदि कोई निवेशक निवेश के प्रति अपनी इच्छा जताता है तो उसे समय-समय पर निवेश से जुड़ी जानकारियां और इंसेटिव्स के बारे में जानकारी देनी होगी। इसके अलावा स्पष्ट निर्देश हैं कि निवेशकों को निवेश सारथी पोर्टल के जरिए ही एमओयू के लिए प्रोत्साहित करना है।