सिख गुरु जहां भी गए, शक्ति-विश्वास का प्रकाश फैलाया

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लखनऊ। सिख गुरुओं का अपना एक गौरवशाली इतिहास है। उनमें देश और धर्म के लिए आत्म बलिदान देने की परंपरा रही है, जो आज भी नई प्रेरणा देती है और समाज को ऊर्जा देती है। आज व्यापक साधन हैं तब भी हमें एक जगह से दूसरी जगह जाने में समय लगता है और हमे कठिनाई होती है, लेकिन जिस समय साधन नहीं थे, उस समय गुरु नानक देव ने देश ही नहीं बल्कि देश के बाहर धार्मिक उपदेश देकर मानवता का कल्याण किया।

ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर डीएवी कॉलेज के मैदान में आयोजित प्रकाशोत्सव पर कही। इससे पहले सीएम योगी ने गुरु नानक दरबार में मत्था टेका। इस दौरान कमेटी के सदस्यों ने उन्हे अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर सिख समाज को अपनी हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि आज गुरु नानक देव जी का पावन प्रकाश उत्सव है, पूरे देश और दुनिया में जहां भी भारतवंशी निवास कर रहे हैं वो पूरी श्रद्धा के साथ इसे मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिख गुरु जहां भी गए, शक्ति और विश्वास का प्रकाश फैलाया। उनका जीवन और शिक्षाएं पीढ़ियों को राष्ट्र, धर्म और मानवता के लिए निस्वार्थ रूप से समर्पित रहने के लिए प्रेरित करती हैं। मध्यकाल में जब विधर्मियों के आतंक से देश, धर्म और मानवता के साथ हमारी बहन बेटियों की इज्जत खतरे में थी। स्वयं के अस्तित्व के लिए मानवता गुहार लगा रही थी, उस कालखंड में मानवता के कल्याण के लिए जो प्रकाश पुंज प्रकट हुआ, जिन्होंने मानवता कल्याण के लिए अपने उपदेशों और जनजागरण के माध्यम से एक बड़े अभियान को अपने हाथों में लिया, उन प्रकाश पुंज को हम गुरु नानक देव के नाम से जानते हैं। आज उन्हीं का प्रकाश उत्सव है, जिसे हम सब श्रद्धा के साथ मना रहे हैं। इसकी मैं आप सबको बधाई देता हूं। जो भी स्वार्थ से उठकर परमार्थ के लिए देश और धर्म के लिए कार्य करेगा उसका नाम इसी तरह युगों युगों तक स्मरण किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यहां तो हम बड़े उल्लास के साथ प्रकाश पर्व मना रहे हैं, लेकिन क्या ये ननकाना साहिब में भी सम्भव हो पा रहा है, ये सोचने का विषय है। इतिहास केवल पढ़ने का विषय नहीं है बल्कि यह एक मार्गदर्शक होता है। इससे हमको प्रेरणा मिलती है और यह हमको अतीत की गलतियों से सबक सीखने की प्रेरणा भी देता है। आखिर गुरु नानक का ननकाना साहिब हमसे अलग क्यों है? वहां ये पर्व मनाने के लिए स्वतंत्रता क्यों नही है? इसको भी सोचना चाहिए।