जानिए आखिर क्यों नहीं चढ़ाया भगवान शिव को केतकी का फूल

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भगवान शिव के बारे में कुछ रोचक तथ्य……. भगवान शंकर को कभी भी केतकी का फुल नही चढ़ाया जाता, इसका मुख्य वजह यह है कि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बना था। भगवान भोलेनाथ ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए 14 बार डमरू बजाया था। जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था।

हिन्दू धर्म के मुताबिक किसी भी खंडित यानि टूटी फूटी मूर्ति की पूजा नहीं करते है लेकिन शिवलिंग की टूटी हुई मूर्ति की भी पूजा कर सकते है। बहुत कम लोगों को पता है कि भगवान शिवशंकर की बहन भी थी उनकी बहन का नाम अमावरी था। जिसे माता पार्वती की जिद्द पर खुद महादेव ने अपनी माया से बनाया था।

भगवान शिव शंकर को संहार का देवता माना जाता है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ की तीसरी आँख बंद ही रहे। भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है, उसे नटराज कहते है। भगवान भोलेनाथ के माता-पिता नहीं है इसलिए वे अनादि है। यानिकी प्रभु की कोई जन्म की तिथि नहीं।

क्या आपने कभी सोचा है की गंगा भगवान शिव के सिर से क्यों बहती है ? देवी गंगा को जब धरती पर उतारने की योजना बनाई गई थी। तो बाद में यह ख्याल आया कि यदि ऐसा किया तो धरती पर भारी विनाश आ जायेगा, तब शंकर भगवान को मनाया गया कि पहले गंगा को अपनी ज़टाओं में बाँध लें, इसके बाद अलग-अलग दिशाओं से धीरें-धीरें उन्हें धरती पर उतारें।

भगवान शंकर और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल अभिषेक नहीं करते है। इसका कारण यह था कि भोलेनाथ ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था। आपको बता दें, शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था। भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उस सांप का नाम वासुकि है। शेषनाग के बाद यह सांप ही दूसरा राजा था। इससे खुश होकर भोलेनाथ ने इसे वरदान दिया की आप हमारे गले में सुरक्षा के लिए लिपटे रहेंगे। भगवान शिवशंकर के सर पर रहने के लिए चन्द्रमा को भी वरदान मिला था, इसीलिए चंद्र शिव जी के सर पर शोभित है।