लखनऊ। योगी सरकार ने प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर हर जिले के गांव और शहर में क्वारंटाइन सेन्टर बनाने के निर्देश दिए हैं। ताकि ट्रेनों व बसों में अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासियों, कामगारों को इन क्वारंटाइन सेन्टरों में रखा जा सके। इसी क्रम में लखनऊ में 5 क्वारंटाइन सेंटर तैयार किए जा रहे हैं। जिनमें से दो क्वारंटाइन सेंटर्स पर 250 बेड की व्यवस्था भी कर दी गई। इन सेन्टरों में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ खाने पीने के व्यवस्था होगी।
लखनऊ में इन जगहों पर बने हैं क्वारंटाइन सेंटर्स : मुख्यमंत्री योगी के निर्देश के बाद जिला प्रशासन लखनऊ की तरफ से क्वारंटाइन सेंटर्स चिन्हित कर लिए गए हैं। लखनऊ के मोहनलालगंज में स्थित राधा स्वामी सत्संग व्यास स्थल, कनकहा में स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल इंस्टीट्यूट, बीबीडी यूनिवर्सिटी, शहीद पथ पर स्थित अवध शिल्प ग्राम और शकुंतला देवी यूनिवर्सिटी को क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया जा रहा है। यही नहीं जिला प्रशासन ने राधा स्वामी सत्संग व्यास स्थल में 150 क्वारंटाइन बेड और सरदार वल्लभ भाई पटेल कनकहा में 100 क्वारंटाइन बेडों की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी है। देखते हुए बेडों की संख्या को बढ़ाने के निर्देश पर बेडों की संख्या में बढ़ोत्तरी की गई है।
रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और एयरपोर्ट पर हो रही स्क्रीनिंग : हाल ही में योगी सरकार की तरफ से अन्य प्रदेशों से लौटने वाले कामगारों व प्रवासियों को क्वारंटाइन करने के संबंध में प्रोटोकॉल जारी किया गया था। जिसमें प्रदेश सरकार की तरफ से रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन व एयरपोर्ट पर आने वाले यात्रियों की स्क्रींनिग के साथ ही उनकी एंटीजन व आरटीपीसीआर टेस्ट की व्यवस्था की गई है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर लोगों की जांच के लिए टीमों की तैनाती की गई है। स्क्रीनिंग में किसी भी प्रकार के लक्षण पाये जाने पर इन्हें क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। यही नहीं प्रदेश के बाहर से आने वाले ऐसे व्यक्तियों जिनके घरों में होम क्वारंटाइन की व्यवस्था नहीं हैं, उनको इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में रखा जाएगा।
गांवों पर सरकार का विशेष जोर : वहीं इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में और बेहतर इंतजाम किए हैं। निगरानी समिति का गठन सरकार पहले ही कर चुकी है, अब गांवों में नोडल अफसर भी नियुक्त किए जा रहे हैं। ताकि गांव में होने वाली व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग बेहतर तरीके से हो सके।