आराध्य सिद्धिविनायक श्री गणेश जी का भव्य-दिव्य मंदिर महाराष्ट्र के मुम्बई में स्थित है। श्री गणेश जी के इस स्थान की मान्यता सिद्धपीठ की है। विशेषज्ञों की मानें तो दार्इं ओर मुड़ी सूंड वाली प्रतिमा होने से स्थान को सिद्धपीठ की मान्यता है। लिहाजा मुम्बई के सिद्धिविनायक को सिद्धपीठ का दर्जा हासिल है। मुम्बई के प्रभादेवी इलाके में स्थित सिद्धिविनायक का यह स्थान देश-दुनिया में खास तौर से प्रसिद्ध है।
सिद्धिविनायक की विशेषता यह है कि यह विग्रह चतुर्भुजी है। उपरी दायें हाथ में कमल, उपरी बायें हाथ में अंकुश है। नीचे दाहिने हाथ में मोतियों की माला है तो बायें हाथ में मोदक भरा कटोरा है। गणपति के दोनों पत्नियां रिद्धि एवं सिद्धि भी विराजमान हैं। गणेश जी का यह स्वरुप दर्शनार्थियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है। सिद्धिविनायक का यह विग्रह काले शिलाखण्ड पर विद्यमान है।
महाराष्ट्र में इस मंदिर की गणना अष्टविनायकों में होती है। विशेषज्ञों की मानें तो सिद्धिविनायक के इस मंदिर का निर्माण 1801 में हुआ था। वर्तमान में यह मंदिर 20000 वर्ग फुट में है। मंदिर की पांच मंजिला इमारत में प्रवचन सभाकक्ष, गणेश संग्रहालय, गणेश विद्यापीठ एवं अस्पताल है। इस अस्पताल में चिकित्सा निशुल्क होती है। उपर रसोई है। भोग के लिए प्रसाद इसी रसोई से आता है। अष्टभुजी गर्भगृह करीब 10 फुट चौड़ा एवं 13 ऊंचा है। गर्भगृह के चबूतरा पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का सुन्दर मण्डप है।
यहां अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी एवं दशावतार की आकृतियां अंकित हैं। मंदिर की वास्तुकला एवं सुन्दरता विशिष्टता को दर्शाती हैै। मंदिर का माहौल अनन्त शांति एवं विश्वास का अनुभव प्रदान करता है। खास यह है कि नवनिर्मित मंदिर का गर्भगृह इस प्रकार बनाया गया है कि जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु सभामण्डपम से सीधे गणपति के दर्शन कर सकें। इमारत के प्रथम खण्ड में गैलरियों का निर्माण इस प्रकार है कि श्रद्धालु सीधे गणपति के दर्शन कर सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो नित्य हजारों श्रद्धालु गणपति के दर्शन कर पुण्य के भागीदार बनते हैं।
यहां की खास फूल वाली गली है। इस फूल वाली गली में पूजा की थाली एवं पूजा का प्रसाद मिलता है। बुधवार को खास तौर से सिद्धिविनायक मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। कारण बुधवार का दिन सिद्धिविनायक को समर्पित है। विशेष रूप से गणपति आरती एवं प्रार्थनाओं का आयोजन होता है। गणपति विग्रह को ढ़कने के लिए अष्टकोणीय आश्रय बनाया गया। यह आश्रय अति सुन्दर है।
खूबसूरत डिजाइन वाला यह आश्रय स्वर्ण आवरण से आच्छादित है। मंदिर के अंदर का भाग अर्थात मण्डप भव्य-दिव्य है। लकड़ी के प्रवेश द्वार अति सुन्दर नक्काशी वाले है। ऐसी मान्यता है कि श्रद्धा एवं आस्था पूर्वक कोई भी याचना यहां अवश्य पूर्ण होती है। श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास का यह केन्द्र देश भर में खास ख्याति रखता है। देश की ख्याति प्राप्त हस्तियां गणपति के दर्शन के लिए निरन्तर आती रहती हैं।
सिद्धिविनायक गणपति के दर्शन यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट मुम्बई है। निकटतम रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनल है। इसके अलावा श्रद्धालु या पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।