नई दिल्ली। विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष सुश्री निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने उदीयमान भारत के लिए युवा पीढ़ी के योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि यदि हमें भारत को विश्व गुरु बनाना है, तो इसके लिए बौद्धिक योद्धाओं की जरुरत है।
उन्होंने कहा कि आज विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारतीय चला रहे हैं। हमारी प्रतिभाओं का लाभ दुनिया के दूसरे देश उठा रहे हैं। यह प्रतिभाएं जब अपने देश में रहकर कार्य करेंगी, तभी उदीयमान भारत का निर्माण होगा। सुश्री भिड़े शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ को संबोधित कर रही थी।
‘उदीयमान भारत और युवा’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सुश्री निवेदिता भिड़े ने कहा कि शिक्षा का मतलब यह नहीं है कि दिमाग में कई ऐसी सूचनाएं एकत्रित कर ली जाएं, जिसका जीवन में कोई इस्तेमाल ही न हो। हमारी शिक्षा जीवन निर्माण, व्यक्ति निर्माण और चरित्र निर्माण पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं में असीम प्रतिभा और ऊर्जा है। इसका समुचित विकास और उपयोग किए जाने की जरुरत है।
सुश्री भिड़े के अनुसार भारत में जब भी युवा शक्ति की बात होती है, तो स्वामी विवेकानंद का नाम हम सभी के ध्यान में आता है। स्वामी विवेकानंद भारत के युवा को अपने गौरवशाली अतीत और वैभवशाली भविष्य की एक मजबूत कड़ी के रूप में देखते थे। स्वामी जी का विचार था कि सामाजिक स्वतंत्रता और सामाजिक समानता के बीच समन्वय बिठाकर ही सामाजिक उत्थान के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
सुश्री निवेदिता भिड़े ने कहा कि युवा शक्ति को सही मायने में राष्ट्र शक्ति बनाने का एक व्यापक प्रयास आज देश में देखने को मिल रहा है। संकट के काल में भारत ने संपूर्ण विश्व को नई राह दिखाई है। वैक्सीन निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता का आज पूरी दुनिया को लाभ मिल रहा है। भारत की महानता हमारे ज्ञान और विज्ञान में है, लेकिन इस महानता का असली मकसद विज्ञान, तकनीक और नवाचार को समाज से जोड़ने का भी है और इसमें युवाओं की अहम भूमिका है।
कार्यक्रम का संचालन आउटरीच विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने किया एवं स्वागत भाषण प्रो. (डॉ.) संगीता प्रणवेन्द्र ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन आईआईएमसी, कोट्टायम कैंपस के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अनिलकुमार वाडावतूर ने किया।