अद्भुत! भारत के मंदिरों में है 50 लाख किलो सोना

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अद्भुत! मंदिरों में है 50 लाख किलो सोना…… जो भी सरहदपार से आक्रमणकारी -आक्रांता भारत में घुसे सबने अत्याचार, विध्वंस का तांडव तो किया ही साथ ही पहले अनगिनत मंदिरों को जीभर के लूटा और दुर्लभ से दुर्लभतम मूर्तियों को नष्ट करने में कोई कोरकसर नहीं बाकी रखी, लूट का सिलसिला सदियों तक चला। इतना मंज़र झेलने के बाद भी आभूषण, सिंहासन, बर्तनों के रूप में और निखालिस सोने का भंडार भरा हुआ है भारत के मंदिरों में। नापतोल में गणना की जाए तो 40-50लाख किलोग्राम सोना जमा है।

विश्व में सोने से संबंधित विषयों पर मान्यता प्राप्त संस्था वर्ल्ड गोल्ड कौंसिल (डब्ल्यूजीसी) है। डब्ल्यूजीसी ने कुछ वर्षों पूर्व भारत के मंदिरों में चार हजार टन अर्थात चालीस लाख किलोग्राम से अधिक सोना होने का अनुमान लगाया था। मंदिरों में प्रति दिन भक्तों द्वारा अर्पित धन और सोना के चढ़ावे को देखते हुए मौजूदा में भारत के सभी मंदिरों में समग्र रूप से सोने का भंडार पैंतालीस- पचास लाख किलोग्राम है।

एक विवाद में देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2011 में पद्मनाभन स्वामी मंदिर में सोने की मात्रा जांचने के लिए एक टीम गठित की थी। इस टीम ने उस समय केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभन स्वामी मंदिर में आभूषण, सिक्कों सहित तेरह लाख किलोग्राम सोना मौजूद होने की पुष्टि की थी। सोने की वर्तमान कीमत के आधार पर स्वयं ही अनुमान लगा लीजिए, यह विश्व का सबसे अधिक समृद्ध मंदिर है।

आंध्र प्रदेश, तिरुपति बालाजी तिरुमला मंदिर में भक्तों से प्रतिवर्ष पांच सौ करोड़ रुपए का चढ़ावा प्राप्त होता है, बारह सौ किलो ग्राम सोना अर्पित किया जाता है। दसवीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर के पास विभिन्न रूपों में 52 हजार किलो ग्राम सोना है। केरल में गुरुवायुरप्पन मंदिर के पास 2 हजार 500 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां हैं, श्रद्धालु प्रतिवर्ष 15-26 किलो ग्राम सोना अर्पित करते हैं।

नासिक के शिरडी स्थित साईंबाबा का चर्चित स्वर्ण सिंहासन 94किलो ग्राम का है, भक्तों से सालाना 300-350 करोड़ रुपए का चढ़ावा आता है। यही नहीं बैंक में 380 किलो ग्राम सोना, 4 हजार 428 किलो ग्राम चांदी और 1800 करोड़ रुपए जमा हैं। जम्मू की सुरम्य पहाड़ियों पर विराजी वैष्णो देवी मंदिर के पास 1200 किलो ग्राम सोना है, यहां भक्तों से प्रतिवर्ष 480-500 करोड़ रुपए की भेंट देवी महारानी को प्राप्त होती है। अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर के नाम से विश्व विख्यात हरमंदिर साहब को हर साल 500-600करोड़ रुपए का चढ़ावा मिलता है। केरल में ही स्थित है सबरीमाला मंदिर जिसकी सालाना आय 100-110 करोड़ रुपए होती है, इसकी आर्थिक स्थिति 245-250 करोड़ रुपए की आंकी गई है। अब आते हैं मुंबई से शुरू होकर देश -विदेश तक ‘बप्पा मोरिया’ को बच्चों,- बूढ़ों – जवानों की जबान पर बस गए’ गणपति बप्पा मोरिया ‘यानी सिद्ध विनायक जी के पास 158 किलो ग्राम सोना है, भक्तगण हर साल 120-125 करोड़ रुपए अपने प्रिय गजानन को अर्पित करते हैं।

अपने विशिष्ट स्थापत्य के लिए जगविख्यात मीनाक्षी अम्मां मंदिर में 60-70 करोड़ रुपए का चढ़ावा आता है। आइए जगन्नाथ जी के वासस्थल पुरी में, बलदाऊ-सुभद्रा-कृष्ण के अप्रतिम विग्रह से परिपूर्ण भगवन जगन्नाथ जी लिखत-पढ़त में 30 हजार एकड़ भूमि के स्वामी हैं। महाराज जी के पास 209 किलो ग्राम के स्वर्ण आभूषण हैं। गुजरात, सोमनाथ मंदिर 1700 एकड़ के भूस्वामी हैं, इसके अलावा 35 किलो ग्राम सोना और 11 करोड़ रुपए भी हैं। काशी नगरी में अपनी मौज में रहने वाले बाबा विश्वनाथ सांसारिकता से विरक्त अवश्य हैं लेकिन भक्तों ने इनके लिए छः करोड़ रुपए की संपत्ति बना रखी है।

महाराष्ट्र, कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर में 14 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां हैं। बोधगया जी, बिहार में महाबोधि मंदिर को सालभर में औसतन 100-110करोड़ रुपए का चढ़ावा प्राप्त होता है। देवताओं के सेनापति स्वामी कार्तिकेय का ‘कुक्के सुब्रमण्य’ मंदिर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ में स्थित है। श्रद्धालुगण स्वामी कार्तिकेय को हर साल 90-100 करोड़ रुपए भेंट करते हैं। इनके अलावा दिल्ली में लक्ष्मी नारायण जी का बिरला मंदिर, अक्षरधाम मंदिर, अयोध्या जी -मथुरा-वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध मंदिर नाथद्वारा श्री नाथ जी मंदिर, भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर, असम में कामाख्या मंदिर, बृहदेश्वर मंदिर तंजौर, सहित ऐसे अनेकों छोटे -बड़े मंदिर हैं जिनमें सोना – चांदी तथा अन्य परिसंपत्तियां हैं जिनके आधार पर भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहना अतिशयोक्ति नहीं है।

प्रणतेश बाजपेयी