जानिए क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी

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# शिवचरण चौहान

दीपावली के एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान श्री कृष्ण ने प्राग ज्योतिषपुर के राजा राक्षस नरकासुर का वध किया था। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बनाया था। और सत्यभामा की मदद से नरकासुर का वध किया था। नरकासुर को वरदान मिला था कि उसकी मौत किसी नारी के ही हाथों होगी। इसलिए द्वारकाधीश श्री कृष्ण ने सत्यभामा के हाथों नरकासुर का वध करवाया था।

वरदान प्राप्त करने के बाद नरकासुर अहंकारी हो गया था, उसने ऋषि-मुनियों और भद्र जनों पर अत्याचार शुरू कर दिया था। ऋषि-मुनियों और आम लोगों की करीब 16000 पत्नियों को उसने अपने कारागार में बंद कर दिया था और अपनी पत्नी बनने का दबाव डाल रहा था। जब अत्याचार की पराकाष्ठा हो गई तो कृष्ण ने अपनी पटरानी सत्यभामा की मदद से नरकासुर का वध कर दिया।

कारागार में बंद 16000 महिलाओं को मुक्त कराकर भगवान कृष्ण ने उन्हें अपने घर जाने को कहा था। किंतु 16000 स्त्रियां अपने घर जाने से डर गई कहीं उनके पति उन्हें निष्कासित ना कर दें अस्वीकार ना कर दें, इसलिए कृष्ण से प्रार्थना की कि वह उनकी शरण में रहना चाहती हैं। भगवान श्री कृष्ण ने 16000 महिलाओं का उद्धार किया और अपनी रानियां स्वीकार कर लिया। भगवान श्री कृष्ण के आठ पटरानियां पहले से ही थीं। इस तरह श्री कृष्ण की 16008 रानिया हो गईं। पराधीन शोषित पीड़ित नारियों का उद्धार करने के कारण ही उनकी याद में नरक चतुर्दशी को एक दीपक जलाया जाता है। कुछ स्थानों पर इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं।

नरक चतुर्दशी के दिन सुबह पानी में अपामार्ग यानी चिचड़ी पौधे के पत्ते डालकर स्नान करने का विधान है। कहते हैं इस तरह स्नान करने से मनुष्य के पाप कट जाते हैं और उसे नर्क में नहीं जाना पड़ता है। कुछ लोग इसे यम पूजा का पर्व कहते हैं। वैसे तो दीपावली पांच पर्वों का महापर्व है। और सभी पांचों दिन कोई न कोई पर्व होता है। भगवान श्री राम के अयोध्या आने पर उनकी स्वागत में कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीप जलाकर खुशहाली मनाई जाती है। इसे दीपावली कहा जाता है।

धनतेरस को धनवंतरी और कुबेर की पूजा होती है तो नरकासुर पर विजय प्राप्त करने पर श्री कृष्ण के पूजा नरक चतुर्दशी को की जाती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रथमा यानी परेवा को भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन की पूजा की थी इसीलिए गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। भैया दूज को यमुना और कालिंदी यानी भाई बहन का पर्व मनाया जाता है। इस तरह दीपावली पांच दिन मनाई जाती है। दीपावली पर्व नहीं महापर्व है। दीपावली का पर्व सुख समृद्धि आरोग्य और वैभव लाए यही ईश्वर से कामना की जाती है।