सर्दियों का मौसम सेहत के लिए अच्छा माना जाता है किंतु वृद्धावस्था में उच्च रक्तचाप, स्वास दमा और खांसी, जोड़ों के दर्द से चलने में लाचारी की समस्या हो तब यह स्वास्थ्यवर्धक मौसम भी कष्ट दाई हो जाता है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय भारत सरकार के बोर्ड मेंबर और श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सक डॉ रविंद्र पोरवाल ने सर्दी के मौसम में अस्वस्थ कमजोर वृद्धों के जीवन को आनंद पूर्ण जीने का सुगम मार्ग बताया है।
चलने या काम करने पर सांस फूलना : वृद्धावस्था में लेटे रहने पर या बैठने पर सांस सामान्य रहती है न कमजोरी लगती है ना दम उखड़ती है किंतु थोड़ा सा भी शारीरिक श्रम करने पैदल चलने सीढ़ी चढ़ने या घर का कामकाज करने पर जब सांस फूलने लग जाए.. खांसी शुरू हो जाए तो यह फेफड़ों की समस्या के साथ-साथ शरीर के आंतरिक अंगों की भी कमजोरी को प्रदर्शित करती है और कमजोर इमयूनिटी तथा असक्त शरीर के कारण इस प्रकार की समस्याएं होने की संभावना होती है।
इस समस्या से पीड़ित लोगों को 5 मिली तुलसी की पत्ती का रस, 5 मिली देसी अदरक का रस और 5 मिली पान का रस तीनों चीजों को मिलाकर गुनगुना करें और शहद के साथ इसे सुबह और शाम सेवन करें। इससे फेफड़ों को ताकत मिलती है। श्वास नली में जमा हुआ कफ निकल जाता है। फेफड़ों में शुद्ध प्राणवायु का संचार बढ़ जाता है। साथ ही साथ खुलकर भूख लगती है और पेट साफ होने लगता है।
इसके साथ प्रातः नाश्ते में दो खजूर या दो छुआरा पानी में भीगा हुआ बादाम और आधा अखरोट एवं 4 या 5 हरा पिस्ता को 50 ग्राम दूध में मिक्सी में अच्छी तरह चला ले और जब यह पेस्ट बन जाए तो इससे सुबह खाली पेट चाट ले यह बहुत ही करामाती उपाय है जो कमजोर और अशक्त शरीर को बलशाली और शक्तिशाली बना देता है। इसके साथ ताजा टमाटर का सूप पीना भी हितकारी है। एक आंवला डालकर पाव भर गाजर का रस निकालकर घुट घुट कर दोपहर में भोजन करने की आधे घंटे बाद पी लेना पौष्टिकता की दृष्टि से ही नहीं, शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए भी एक कारगर उपाय है।
आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खा भी आजमाए : देसी घी में तला हुआ सहजन का गोंद अलसी के भुने हुए बीच और भुना हुआ काले तिल और खरबूज के भुने हुए बीज को बराबर बराबर मात्रा में लेकर आटे की तरह बारीक पीस लें। अब इसमें देसी गुड़ की चासनी मिलाकर छोटे-छोटे लगभग 20 ग्राम से 30 ग्राम वजन के लड्डू बना ले। और एक-एक लड्डू प्रातः साईं काल दूध के साथ या भोजन के बाद सेवन करने से गिरती सेहत को संजीवनी मिल जाती है। शरीर की रक्षा प्रणाली मजबूत होती है। मांसपेशियां हड्डियां गुर्दे और नस नाड़ियों को फिर से ताकत मिलती है और उनकी कमजोरी दूर हो जाती है। यह प्रयोग 3 महीने कर लेना चाहिए।
अगर एक लड्डू को खाने के बाद आधा पाव दूध घुट घुट कर के पी ले तो बहुत श्रेष्ठ होता है। यह हृदय, अस्थियों और नस-नाड़ियों को ताकत देकर उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है। हृदय को शक्ति प्रदान करता है और उच्च रक्तचाप तथा कोलेस्ट्रॉल पर प्रभावी अंकुश लगाकर हृदय की सेहत को अच्छा बना देता है। यही नहीं चलने फिरने में सांस फूलना कमजोरी लगना, भूल जाना, रात्रि में घंटों इंतजार के बाद हल्की नींद मुश्किल से आना आदि समस्याओं का चमत्कारिक ढंग से निदान करने वाला यह दादी मां का नुस्खा है।
सर्दियों में आहार बिना सोचे ना लें : सर्दियों में वृद्ध लोगों को आलू का पराठा, पकोड़े कचोडिया जैसी तली मसालेदार खाद्य पदार्थों की नियमित सेवन से बचना चाहिए। कभी-कभी इनका सेवन बुरा नहीं है लेकिन ध्यान रखिएगा कि बूढ़े लोगों को इस प्रकार की खाद्य पदार्थों को सदैव भूख से कम आधा पेट ही इन खाद्य पदार्थों का सेवन करें और इनके सेवन के तुरंत बाद पानी ना पिए।
चमत्कारी उपाय जीवन में उतार लें : पूडी कचौड़ी पकौड़ो को खाने से पहले किसी बर्तन या एक कटोरे में गुनगुना पानी रखें और पूरी कचौड़ी या पकोड़े को जिसे आपको खाना है, उसे गरमा गरम इस पानी में डालते हैं और तुरंत निकाल कर खा ले यह कुरकुरा भी रहेगा लेकिन पूरी पकोड़े के ऊपर जो हानिकारक ट्रांसफेट और फैटी एसिड्स इकट्ठे होते हैं वह पानी में छूट जाते हैं और तला खाने से शरीर को जो नुकसान पहुंचता है वह नुकसान न्यूनतम हो जाता है। और इसका अच्छा प्रभाव पाचन तंत्र के ऊपर पड़ता है। लिवर पेनक्रियाज जैसी पाचन ग्रंथियां शक्तिशाली हो जाती हैं। एसिडिटी नियंत्रण में रहती है। आईबीएस और कोलाइटिस के मरीज केवल एक बार शौच को जाने लगते हैं।
लेकिन यह बात ध्यान में रखें कि एक पूरी को धो लें और जब इसका सेवन कर लै फिर दूसरी गरम पूरी को ही बर्तन में रखें पानी में डूबोना चाहिए। अगर चार पांच पूरियों को एक एक साथ पानी में डुबोने के बाद खाने की थाली में रखेंगे तो यह पूर्णिया कचोरिया और पकोड़े हलुआ की तरह मुलायम हो जाएंगे और खाने में अच्छा नहीं लगेगा। लगभग 15 मिनट से 30 मिनट के बीच में कटोरा या बर्तन का और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि पानी में डालने के बाद पूरी कचोड़ी या पकोड़े के कुरकुरेपन में कोई भी कमी नहीं आती है लेकिन अगर इसे पानी में डूबाकर फिर तुरंत ही निकाल कर थोड़ी देर के लिए रख दिया जाए, तो यह है मसालेदार तला खाद्य पदार्थ 5 मिनट से लेकर 15 मिनट के बीच में ही सेहत के लिए अहितकारी हो जाता है।