फिर जोर पकड़ रहा है संभल का दंगल

फिर जोर पकड़ रहा है संभल का दंगल पुलिस और प्रशासन ने संभल दंगे के आरोपियों के पोस्टर चौराहे-चौराहे पर लगवा दिए विधानसभा उपचुनाव से फुरसत पाकर योगी सरकार का ध्यान फिर संभल की ओर प्रयागराज महाकुंभ के पूर्ण होने के बाद इस काम में और तेजी आने के आसार

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लखनऊ। प्रदेश की सरकार का ध्यान अब संभल की ओर आ गया है। अब संभल में दंगाइयों को लेकर सख्ती बढ़ने लगी है। हाल ही में हर चौराहे पर उनके पोस्टर लगा दिए गए हैं। सरकार के रुख को देखकर अब संभल के दंगाइयों की बेचैनी बढ़ गई है। ये बेचैनी सिर्फ बीते 24 नवंबर के गुनहगारों में नहीं है, बल्कि उनमें भी है जिन्होंने 1978 में भी उत्पात मचाया था। योगी सरकार अब सबका हिसाब कर रही है। इसीलिए 24 नवंबर के दंगों की जांच के साथ ही 1978 में हुए दंगों की भी जांच शुरू हो गई है। यानी तब और अब दोनों मामलों के गुनहगारों की खैर नहीं। इस सिलसिले में बीते 24 नवंबर के बवाल में वांछित दंगाइयों के पोस्टर शहर के अन्य हिस्सों के अलावा विवाद का कारण बने शाही जामा मस्जिद की दीवारों पर भी चस्पा किए गए हैं। कुल 74 आरोपियों के पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों पर संभल के सीओ और कोतवाल के सीयूजी नंबर दिए गए हैं। जनता से उनके बारे में जानकारी मांगी गई है और इनाम देने की बात कही गई है।
प्रदेश में विधानसभा का उपचुनाव 8/10 के स्कोर से जीतने के बाद योगी सरकार अब निश्चिंत हो गई है। उसने मान लिया है कि यहां हुई हिंसा का नकारात्मक असर उसके कोर वोट बैंक पर नहीं पड़ने वाला है।

आंकड़े यह भी कहते हैं कि भाजपा ने उन जगहों पर भी जीत दर्ज कराई है जहां मुसलमान अधिक संख्या में हैं। कम से कम कुंदरकी की जीत का तो यही इशारा है। हालांकि समाजवादी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों ने धांधली और सत्ता के बल पर जीतने का आरोप लगाया है किंतु जीत तो जीत होती है। जीतने के बाद किसी जन प्रतिनिधि की सेहत पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ता कि जीत कैसे मिली। इसमें सोने में सुहागा रहा मिल्कीपुर में भी जीत जाना। मिल्कीपुर में भाजपा ने अवधेश प्रसाद की जीत के लगभग चौगुने अंतर से सीट हथिया कर वहां रिकॉर्ड कायम कर दिया है। अब ऐसे योगी सरकार को एक बड़ा नैतिक बल भी प्राप्त हुआ है। अब वह निश्चिंत होकर दंगाइयों पर कार्रवाई कर रही है।
पिछले दिनों संभल दंगे की जांच में जुटी एजेंसियों ने दंगे के आरोपियों के पोस्टर चौराहे-चौराहे पर लगवाए तो दंगे के आरोपियों की बेचैनी भी बढ़ी हुई है। इसके साथ ही घोषणा की गई है कि इनकी पहचान बताने वाले को पुलिस की ओर से इनाम दिया जाएगा।

पिछले साल नवंबर में कोर्ट के आदेश पर संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने गई कोर्ट कमिश्नर की टीम पर हुए पथराव और बवाल के बाद दंगे हो गए थे। इन दंगों में पांच लोगों की मौत भी हुई थी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई लोगों को नामजद किया। यहां तक कि सांसद जियाउर रहमान बर्क को भी नामजद किया गया। वहां के विधायक के बेटे को भी इस मामले में दोषी बनाया गया है। इसके बाद जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने दबाव बनाते हुए पूरे जिले में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया और सड़कों को चौड़ा करना शुरू किया। इस अभियान की जद में सांसद का घर भी आया। यहां तक की सांसद के घर की बिजली भी काटी गई जो की लोड से ज्यादा चल रही थी। इसी अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत सैकड़ों साल पुराने मंदिर भी मिले। उन पर कब्जा कर लिया गया था, टैरेस बनाकर ढंक दिया गया था, कूड़ेदान बना डाल दिया गया था। प्रशासन ने उन की सफाई कराकर उनमें पूजा आदि का काम शुरू कर दिया है। इस दौरान कुओं के लिए प्रसिद्ध संभल में कई कुछ कुओं को भी खोजा गया और उनका जीर्णोद्धार कराया गया है। चंदौसी में एक सैकड़ों साल पुरानी बावड़ी भी मिली है। इसके अलावा पुलिस प्रशासन में विवाद की जड़ संभल की शाही जामा मस्जिद के ठीक सामने एक बड़ी पुलिस चौकी का भी निर्माण शुरू कर दिया है, जो लगभग पूरा होने को है। उम्मीद है कि जल्द ही उसका शुभारंभ कर दिया जाएगा।‌ यानी कि अब संभल के उत्पातियों की खैर नहीं है।

पोस्टर पर कोतवाल संभल और सीओ संभल का सीयूजी नंबर भी लिखा गया है। इस बारे में पुलिस जनता से भी मदद मांग रही है। ये पोस्टर अस्पताल चौधरी सराय, मौहल्ला जगत, कोटगर्वी, नखासा चौराहा और चमन सराय में भी लगाए गए हैं। पोस्टर पर नेहरू जैकेट पहने, चश्मा लगाए एक दाढ़ी वाले मौलाना की तस्वीर भी है। उस पर लिखा है कि गत 24 नवंबर को संभल जामा मस्जिद के पास हुई हिंसा में ये व्यक्ति शामिल था। उस अज्ञात व्यक्ति का नाम पता बताने वाले को इनाम दिया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार 24 नवंबर को हुए बवाल के सिलसिले में बीते दिनों आरोपित शारिक साठा की पत्नी से भी पुलिस ने पूछताछ की थी। इस बाबत शारिक साठा की पत्नी रोशन ने कहा कि मैं कई बार दुबई जा चुकी हूं। वहां मेरी पति से भी मुलाकात हुई है। उसने बताया कि व्हाट्सऐप कॉल के जरिए भी उनसे बातचीत होती है। वो दुबई में कहीं रहते हैं। संभल के एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र ने बताया कि शारिक पाठा की पत्नी के बयानों के आधार पर हम आगे की कार्रवाई करेंगे। यानि पुलिस दुबई भी जा सकती है। खबरें ये भी आई थीं कि आसपास के जिलों से कई लोग दंगे वाले दिन संभल में इकट्ठा हुए थे। बताया जाता है कि दुबई में बैठे शारिक साठा ने हीं दंगे की पूरी कहानी रची थी। उसने अपने गुर्गों को भेजकर न सिर्फ भीड़ के बीच अफरातफरी मचवाई, बल्कि यूपी पुलिस को बदनाम करने की प्लानिंग भी की। खबर है कि वह सीएम योगी की सरकार को अस्थिर करना चाहता था। बताया जाता है कि उसके दो गुर्गों को गिरफ्तार कर पुलिस ने उसे हिंदुस्तान लाने की प्लानिंग भी बनानी शुरू कर दी है।

इसके अलावा योगी सरकार ने बर्ष 1978 में संभल में हुए दंगों की फाइल फिर खोलने और उसकी जांच करने के आदेश भी दिए हैं। इन दंगों में 184 लोग मारे गए थे। बताया जाता है कि एक मस्जिद के इमाम की कथित रूप से हत्या के बाद संभल में उत्पात शुरू हुआ था, जिसने दंगे की शक्ल ले लिया था। इन दंगों की आग करीब दो महीने तक सुलगती रही। कई लोगों की जानें गईं थीं। योगी सरकार ने अब उस मामले की जांच संभल के एएसपी उत्तरी को सौंपी है। इस आदेश के बाद संभल समेत पूरे प्रदेश में खलबली मची हुई है।

उधर संभल की शाही जामा मस्जिद/हरिहर मंदिर विवाद को लेकर हुए सर्वे के दौरान हुई हिंसा के तार आतंकी गतिविधियों से जुड़े होने की आशंका भी सामने आई है। एजेंसियां अब आईएसआई और अलकायदा के कनेक्शन की भी जांच कर रही हैं। एसआईटी को शक है कि दीपा सराय व नखासा में रह रहे आईएसआई और अलकायदा के एजेंटों ने बवाल के लिए हथियारों की सप्लाई और फंडिंग की थी। खुफिया विभाग ने हिंसा के तार आतंकी संगठनों से जुड़े होने का भी इनपुट दिया। इसके बाद एसआईटी ने आतंकी कनेक्शन पर भी जांच शुरू कर दी है। खुफिया विभाग का पहला शक संभल के शारिक साठा पर है, जो आतंकी दाऊद गैंग का सदस्य है। शारिक बड़ा वाहन चोर भी है। उस पर दिल्ली, एनसीआर, उत्तराखंड व अन्य राज्यों में 50 से ज्यादा वाहन चोरी व लूट के मामले दर्ज हैं। वह जेल से छूटने के बाद फर्जी पासपोर्ट बनवाकर दिल्ली से दुबई भाग गया था। जहां जाली नोट का काम कर रहा है। पुलिस को शक है कि 24 नवंबर को हुई हिंसा में शारिक ने फंडिंग करने के साथ हथियार भी भेजे, जिसके बाद उनके गुर्गों ने घटना को अंजाम दिया। इसके अलावा संभल पुलिस ने पांच और आतंकियों को चिन्हित किया है, जिनका संबंध संभल से है। पुलिस को शक है कि इन पांचों में से ही किसी ने संभल में हिंसा में इस्तेमाल किए गए हथियार पहुंचाये हैं। इन पांच आतंकियों के नाम में दो अहम नाम शाहिद अख्तर और उस्मान हुसैन है। आशंका है कि शाहिद अख्तर अफगानिस्तान में है और अलकायदा का लड़ाका है।

शाहिद की तरह उस्मान हुसैन ने भी साल 1999 में पाकिस्तान जाकर हरकत ऊल मुजाहिदीन नाम के आतंको संगठन में ट्रेनिंग ली थी। और वह साल 2012 में भारत छोड़ने के बाद से संभल के आतंकियों से जुड़ा हुआ है। वहीं, संभल के नखासा का ही रहने वाला शरजील अख्तर साल 2012 से भागा हुआ है। इस वक्त अलकायदा का एक्टिव आतंकी है। सूत्रों के मुताबिक संभल हिंसा की जांच कर रही एसआईटी का शक संभल के दीपा सराय में रहने वाले मोहम्मद आसिफ और जफर महमूद पर भी है। इन पर पूर्व में अलकायदा से जुड़े होने का आरोप था। पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रयागराज में महाकुंभ के पूर्ण होने के बाद योगी सरकार का पूरा ध्यान इसी ओर होगा।

क्या है संभल शाही जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद : संभल जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का उल्लेख इतिहास में होने का दावा किया जा रहा है। इसी को लेकर संभल की स्थानीय अदालत में याचिका दाखिल की गई थी। उस अदालत के आदेश पर ही सर्वे टीम उस मस्जिद में गयी थी। जिसके बाद शरारती तत्वों ने वहां दंगा कर दिया था। संभल को पृथ्वीराज चौहान की दूसरी राजधानी भी कहा जाता है। इसके अलावा मंडलीय गजेटियर के अनुसार अबुल फजल की ‘आइन-ए-अकबरी’ में संभल में भगवान विष्णु के प्रसिद्ध हरिहर मंदिर के बारे में लिखा गया है। पुराने संभल शहर के मध्य में विशाल टीले को कोट यानी किला कहा जाता है. यहां भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर होने का प्रमाण है। कहा जा रहा है कि मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान या राजा जगत सिंह या बरन के डोड राजा विक्रम सिंह के परपोते नाहर सिंह ने कराया था। एचआर नेविल ने मुरादाबाद गजेटियर (वर्ष 1911) में लिखा था कि मंदिर अब अस्तित्व में नहीं है। अब इसकी जगह एक मस्जिद ने ली है। मस्जिद भवन पर प्लास्टर किया गया है। इसके अलावा संभल में पांच तीर्थ और 19 कूपों की बात की गई है। खबर है कि एएसआई की टीम ने इसी को लेकर अपना सर्वे किया है। कुएं की खुदाई के दौरान सैकड़ों साल पुरानी बावड़ी मिली है।

गौरव शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार