योगी सरकार के आदेश का मंत्री ने किया विरोध

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के बाद प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद ने भी प्रदेश में जातीय रैलियों और प्रदर्शनों पर रोक के आदेश को गलत ठहराया है। संजय निषाद ने कहा है कि अगर जातीय रैलियां नहीं होंगी तो सामाजिक न्याय कैसे मिलेगा। यह निर्णय गलत है और, इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ेगा।

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लखनऊ। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के बाद प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद ने भी प्रदेश में जातीय रैलियों और प्रदर्शनों पर रोक के आदेश को गलत ठहराया है। संजय निषाद ने कहा है कि अगर जातीय रैलियां नहीं होंगी तो सामाजिक न्याय कैसे मिलेगा। यह निर्णय गलत है और, इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ेगा। उधर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि जाति हमारा इमोशनल मामला है, और पीडीए को न्याय भी जातीय रैलियों से मिलेगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद दिवाकर की एकल पीठ के 16 सितंबर के एक आदेश ने प्रदेश की योगी सरकार को सियासी संकट में डाल दिया है। दरअसल प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के पालन में शासनादेश जारी किया है कि प्रदेश में अब जातीय रैलियां और प्रदर्शन नहीं होंगे। और सरकारी कागजात से जाति सूचक कालम हटाया जाएगा। इस आदेश के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी थी कि जाति हमारा इमोशनल मामला है, और यह पीडीए को न्याय दिलाने के लिए जरूरी है।

वहां तक तो सरकार को कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन प्रदेश सरकार के एक मंत्री और एनडीए के घटक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा है कि जातीय रेलिया नहीं होंगी तो न्याय कैसे मिलेगा। उनका कहना है कि सामाजिक न्याय के लिए जातीय रैलियां और प्रदर्शनों का होना जरूरी है। उन्होंने साफ लहजे में कहा है कि प्रदेश सरकार का यह निर्णय गलत है, और भाजपा को इससे नुकसान होगा। मंत्री निषाद ने कहा है कि जातीय रैलियां ही सामाजिक न्याय दिलाती हैं। अपने हक के लिए ही जातियां इकट्ठा होती हैं, रैलियां करती हैं। उन्होंने दोहराया कि यह आदेश गलत है और भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

* संजय निषाद ने प्रदेश में जातीय रैलियों और प्रदर्शनों पर रोक को गलत ठहराया
* मंत्री ने कहा, सरकार का यह आदेश ठीक नहीं, भाजपा को इससे होगा नुकसान
* अखिलेश यादव पहले ही कर चुके हैं आलोचना, कहा- जाति इमोशनल मामला

इसी प्रकार प्रदेश सरकार का ये आदेश आने के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा था कि जाति हमारा इमोशनल मामला है, और हम इससे अलग नहीं हो सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में सरकार पीडीए को दबाना चाहती है। यह पीडीए को उसके अधिकारों से वंचित करने की रणनीति है। उनका आरोप है कि भाजपा असल में पीडीए से घबरा गई है, इसलिए हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में इस तरह के आदेश जारी कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछड़े और दलित वर्ग के साथ अन्याय सदियों से होता चला आ रहा है। जब किसी पिछड़े और दलित के जाने के बाद घर को गंगाजल से धोया जाता है तो यह उस व्यक्ति की सामंती मानसिकता का उदाहरण होता है। ऐसे में इस तरह के आदेश पीडीए की आवाज दबाते हैं।

अभयानंद शुक्ल