नहीं रहे जादू के शहंशाह ओ. पी. शर्मा

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जादू के शहंशाह ओ. पी. शर्मा नहीं रहे… कानपुर को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले प्रसिद्ध जादूगर ओ. पी. शर्मा अपने जादुई पिटारे को लेकर मारीशस, दुबई, इंग्लैण्ड, जापान, अमेरिका व नेपाल सहित कई देशों में जा चुके थे। उन्होंने विदेशों में उनके एक हजार से अधिक शो किए। विशेषज्ञों की मानें तो जादूगर पी सी सरकार ने जादू के 23000 शो करने का एक रिकार्ड बनाया था लेकिन जादूगर ओ पी शर्मा इस रिकार्ड से कहीं आगे निकल गए।

जादूगर ओ. पी. शर्मा देश विदेश में अब तक करीब 36000 शो कर चुके थे। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, चण्डीगढ़, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आसाम, नागालैण्ड, उत्तराचंल, गुजरात, महराष्ट्र, गोवा, आन्ध्र प्रदेश, केरल व तमिलनाडु सहित देश के तमाम राज्यों में उनके जादुई शो हो चुके हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जादूगरों की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका हैं क्योंकि जादुई करिश्मों से वह संदेश देने की कोशिश करते थे।

जादूगर ओ. पी. शर्मा के जादुई पिटारे में कन्या भ्रूण हत्या, अशिक्षा, अंधविश्वास, दहेज उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, प्रकृति रक्षा, परिवार नियोजन, नशाखोरी, लालच, एड्स आदि को रेखांकित करने वाली सामाजिक कुरीतियां शामिल हैं। कन्या भ्रुण हत्या में जादूगर दिखाते हैं कि किस प्रकार गर्भ में बालिकाओं की हत्या की जा रही है। दहेज उत्पीड़न को देखते हुए कोई नहीं चाहता कि उसके घर बालिका जन्मे। परिणाम देश में बालक-बालिका के जन्म का अनुपात या संतुलन बिगड़ रहा है। जादू का यह रंग कहीं न कहीं समाज को चिंतन के लिए विवश करता है। जादू के पिटारा से भ्रष्टाचार का राक्षस निकलता है। भ्रष्टाचार के राक्षस को राजनीति पालसी पोसती है लेकिन जब राष्ट्र जागृत होता है तो सभी का पतन हो जाता है।
सांइस एण्ड टेक्नालाजी का ही कमाल है कि स्क्रीन से निकल कर कलाकार बाहर शो में आ जाता है।

नामचीन जादूगर ओ.पी. शर्मा कहना था कि जादू को शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। जिस प्रकार दादी-नानी की कहानियां बच्चों को सकारात्मक संदेश देती हैं, उसी तरह से जादू से बच्चों को संस्कार व राष्ट्र निर्माण का संदेश दिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चे ही कल का भविष्य हैं। जादूगर ओ. पी. शर्मा व उनके बेटे सत्य प्रकाश शर्मा (जूनियर ओ. पी. शर्मा ) सयंुक्त रूप से जादुई शो दिखाते रहे। जादूगर ओ. पी. शर्मा कहते थे जादू कोई करिश्मा नहीं बल्कि साइंस एण्ड टेक्नॉलाजी एवं कला का एक ऐसा समिश्रण है जिससे दर्शक रोमांचित हो जाते हैं। चिता में बैठ कर खुद को जला लेना, रेलवे लाइन में खुद को बांध लेना आैर ट्रेन का उपर से गुजर जाना, आरा से युवक-युवती को काट देना, हवा में गायब कर देना, …. आदि आदि सब सांइस एण्ड टेक्नालाजी की उपलब्धियां हैं।

जादूगर ओ पी शर्मा का मानना था कि आंख से देखने की स्पीड से कहीं अधिक तेज स्पीड में जादूगर को अपना काम करना होता है। एक तरह से कहा जाये कि जादू चातुर्य कला है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। हालांकि जादू शो का संचालन एक इण्डस्ट्री की तरह खर्चीला है क्योंकि शो के उपकरण जुटाना आर्थिक संसाधन के बिना आसान नहीं है। हालांकि इस इण्डस्ट्री में जादू के शौकिया लोग कम ही आना चाहते है क्योंकि इसमें रिटर्न भी इतना आसान नहीं है। जादूगर ओ पी शर्मा का मानना था कि जादू का शो संचालित करने के लिए एक उद्योग की तरह काम करना होता है। जादूगर ओ. पी. शर्मा के जादुई शो में दस इंजीनियर्स की भूमिका रहती है। उनकी इस टीम में दस इंजीनियर्स के अलावा चार्टेड एकाउण्टेण्ट, वकील, मैनेजर, कम्प्यूटर इंजीनियर, टेक्नीशियन सहित करीब दौ सौ लोगों की लम्बी चौड़ी फौज होती है। सभी की अपनी जिम्मेदारियां होती हैं। बताते थे कि इनमें से 70 से 75 सहयोगियों की भूमिका मंच पर होती है जबकि अन्य सहयोगियों की भूमिका मंच से परे होती है।