बहुत बड़ा मुकदमेबाज है शेयर बाजार नियामक सेबी, हजारों मुकदमे लंबित

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बहुत बड़ा मुकदमेबाज है शेयर बाजार नियामक सेबी, हजारों मुकदमे लंबित……… सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया – भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी शेयर बाजार के साथ -साथ जिंस वायदा बाजार -कमोडिटी फारवर्ड मार्केट का भी विनियमन करता है। चूंकि दोनों ही बाजारों की बुनियाद वित्तीय ही है तो जाहिर सी बात है कि सेबी और इसके निर्णयों -नियमों से प्रभावित पार्टियां दोनों ही न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाती हैं। देश में सबसे ज्यादा मुकदमे लड़ने वाला विनियामक कोई है तो वह है सेबी। निचली अदालतों से लेकर कई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक में सेबी से संबंधित मुकदमे चल रहे हैं। वैसे बाजार नियामक कंसल्टेंसी के मद पर सालाना ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा भुगतान करता है।

ज्यादा नहीं दो सालों में सेबी के ऊपर दायर किए गए और सेबी ने कितने मुकदमे किए दोनों का ब्यौरा सामने रख रहे हैं। पुख्ता जानकारी है कि अकेले सुप्रीम कोर्ट में सेबी की तरफ से और सेबी के ऊपर मुकदमों की यह स्थिति है – सेबी ने 2020-21 और 2021-22 में विभिन्न पार्टियों (पक्षकारों)पर क्रमशः 57 व 53 मुकदमे दायर किए। दूसरी तरफ विभिन्न पार्टियों ने इन दो वर्षों में क्रमशः 37 व 65 मुकदमे सेबी के विरुद्ध दायर किए। 2022 यानी पिछले साल मार्च के अंत तक सेबी के 173 और दूसरी पार्टियों के 199 मुकदमे लंबित (पेंडिंग) थे, इनमें 2021से पहले के भी मुकदमे शामिल थे, इस तरह दोनों को मिलाकर कुल लंबित मुकदमों की संख्या 372थी।

अब आते हैं विभिन्न उच्च न्यायालयों की तरफ। सेबी ने दो सालों में सिर्फ 16 मुकदमे दायर किए। लेकिन उच्च न्यायालयों में बाजार नियामक के खिलाफ मुकदमों का अंबार लगा हुआ है। पीड़ित पार्टियों की ओर से सेबी के विरुद्ध 2020-21 में 222 और 2021-22में 203 यानी दो सालों में 425 मुकदमे दायर किए गए। इस तरह से दोनों को मिलाकर उच्च न्यायालयों में 2022, मार्च अंत तक कुल 1144 मुकदमे लंबित थे। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स के अलावा निचली अदालतों में भी मुकदमे चल रहे हैं। इस प्रकार छोटी बड़ी सबको मिलाकर नियामक से संबंधित कुल लंबित मुकदमों की संख्या 3700 से अधिक है।

जानने योग्य एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें केवल शेयर बाजार से संबंधित मुकदमे नहीं हैं। वर्ष 2015 में फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) का विलय सेबी में कर दिया गया था। तब से जिंसों के वायदा बाजार का विनियमन भी सेबी करता है। जिसके कारण जिंसों से संबंधित मुकदमे भी सेबी देखता है। मुकदमों की पैरवी पर सेबी को अच्छी खासी धनराशि खर्च करनी पड़ती है। अपने सकल वार्षिक व्यय का चार प्रतिशत से अधिक यानी 2. 5 करोड़ रुपए कंसल्टेंसी पर खर्च किए जाते हैं। पिछले पंद्रह वर्षों में सेबी मुकदमों पर खर्च की गई समग्र धनराशि का अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है। नियामक ने 2021-22 में कुल मिलाकर 61 करोड़ रुपए व्यय किए।

प्रणतेश बाजपेयी