कोविड 19 ने भले ही तमाम उद्योगों को कड़की की कड़वी घुट्टी पिला दी हो लेकिन भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), भारतीय स्टेट बैंक, बैंक आॅफ बड़ौदा (बीओबी ) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी ) को यकीनन बस कुछ ही दिनों में अरबों रुपए से मालामाल करके मानेगा। अक्टूबर के पहले सप्ताह के गुजरते ही इन चार सरकारी उपक्रमों की तिजोरियों में कुल तकरीबन दो हजार करोड़ रुपए भर जाना निश्चित है। यूनिट ट्रस्ट आॅफ इंडिया (यूटीआई) एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) में अपनी शेयर हिस्सेदारी का कुछ अंश बाजार में बेचने से इनकी झोलियां भर जाएंगी।
यूटीआई एएमसी के प्रमोटर पिछले काफी समय से अपने हिस्से के शेयरों को निकालने के प्रयास में थे। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में अनुमति देकर इनकी मुराद पूरी भी कर दी। सेबी की मंजूरी के तहत शेयर बेचने की तैयारी पहले ही पूरी कर ली गई थी। पांचों प्रमोटरों के कुल 3 करोड़ 89 लाख 87081 शेयर बेचे जाने हैं। वैसे तो एएमसी के शत-प्रतिशत शेयर इन्हीं पांच प्रमोटर के पास है। बेचे जाने वाले कुल शेयरों की ये संख्या यूटीआई एएमसी की कुल चुकता शेयर पूंजी 126.79 करोड़ रुपए (पेड अप इक्विटी कैपिटल) का 30.75 प्रतिशत है। एएमसी की कुल चुकता शेयर पूंजी 10 रुपए अंकित मूल्य के 12 करोड़ 67 लाख से अधिक शेयरों में बंटी हुई है।
सेबी अनुमति के अनुसार यूटीआई एएमसी के पांच प्रमोटर ये शेयर 552-554 रुपए प्रति शेयर की कीमत पर बेच सकेंगे। शेयरों की बिकवाली से एलआईसी को 577-579 करोड़ रुपए और इतनी ही रकम भारतीय स्टेट बैंक तथा बैंक आॅफ बड़ौदा के खाते में आएगी, जबकि पंजाब नेशनल बैंक के हाथ 210-211 करोड़ आएंगे। पांचवां प्रमोटर अमेरिकी फंड टी रो ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लि. की सहायक टी रो प्राइस इंटरनेशनल है जो कि सिर्फ 38.036 लाख शेयर बेचेगी जिससे इसे 210-211 करोड़ की रकम मिलेगी।
वैसे यूटीआई एएमसी के कुल में से 26 प्रतिशत शेयर टी रो के अधिकार में हैं। प्रस्तावित शेयर बिक्री के लिए एएमसी का आईपीओ मंगलवार 29 सितंबर को खुलेगा और निवेशकों को शेयरों में पैसा लगाने के लिए 1अक्टूबर को बंद होगा। आईपीओ के तहत आवंटित शेयर 9 अक्टूबर तक निवेशकों के डिमैट अकाउंट में आ जाएंगे। बिक्री किए गए शेयरों की लिस्टिंग मुंबई स्टाॅक एक्सचेंज और नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज में कराई जाएगी। बिक्री के लिए कुल 3 करोड़ 89 लाख में से 35 प्रतिशत शेयर रिटेल यानी फुटकर निवेशकों के लिए होंगे।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी