लखनऊ। उत्तर प्रदेश में महाकुंभ 2025 के सफल और ऐतिहासिक आयोजन के बाद एकजुट हो रहे सनातनी समाज की आवाज से घबराए विपक्ष विशेषकर समाजवादी पार्टी में बेचैनी है। इसीलिए उसने अब हिंदुओं में बंटवारे की पुरजोर कोशिश आरंभ कर दी है। पहले महाराष्ट्र के सपा विधायक और प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी को विक्टिम बना मुसलमानों को रिझाने की कोशिश की गई। और अब राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के विवादित बयान को दबाने की गरज और दलितों को आकर्षित करने के लिए सपा रामजीलाल सुमन को दलित कहकर दलितों को रिझाने की कोशिश है। अखिलेश यादव ने वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के समय भी अमित शाह के सामने बड़े साफ शब्दों में कहा था कि बंटवारा तो हमारा पीडीए परिवार ही करेगा, आपकी हिंदू-मुसलमान को बांटने की कोशिश सफल नहीं होगी। आप पीडीए परिवार को जिस तरह उपेक्षित कर रहे हैं, उसका जवाब आने वाले चुनाव में पीडीए परिवार देगा। इसके पहले अपने निर्वाचन क्षेत्र कन्नौज में गौशालाओं से बदबू आने की बात कह कर अखिलेश यादव संत समाज और भाजपा की आलोचना का शिकार हो चुके हैं। उन्हें अभी तक अपने इस बयान का कोई डिफेंस नहीं मिल पाया है। जब भी इस पर सवाल होते हैं तो अखिलेश यादव और उनके प्रवक्ता सवाल को घुमा देते हैं।
इस समय सोशल मीडिया उन्हें नकली यादव तक बनाने पर आमादा है। इस प्रकार तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल में अगर हिंदू और गैर हिंदू की लड़ाई जोर पकड़ रही है तो उत्तर प्रदेश में इसे सवर्ण बनाम पीडीए की लड़ाई बनाने की कोशिश है। सपा के नेता इसकी पुरजोर कोशिश में लग गए हैं। राजनीतिक दल इसके नफा-नुकसान के गुणा-भाग में जुट गए हैं। उधर भाजपा ने हिंदुओं को एकजुट करने और दलितों को रिझाने के लिए इस बार आम्बेडकर जयंती को समारोहपूर्वक मनाया। उसने इस मामले में बाकी दलों को पीछे छोड़ दिया, ताकि रामजीलाल सुमन मामले में दलित समाज को अच्छा संदेश दिया जा सके।
पिछले दिनों अखिलेश यादव ने वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह के भाषण पर कमेंट करते हुए कहा था कि बांटेगा तो हमारा पीडीए ही, देख लेना। अब अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से भी कहा है कि पीडीए में देश की 90% आबादी आती है, इसलिए हमें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हम पूरी मजबूती के साथ सांसद रामजीलाल सुमन के साथ खड़े रहेंगे। अखिलेश ने सांसद रामजीलाल सुमन के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए ही बीते दिनों आगरा जाकर सांसद सुमन से उनके घर पर मुलाकात भी की। उन्होंने कहा कि भाजपा वाले और उनकी करणी सेना दलितों का अपमान करने में लगी है, लेकिन हम उनका यह प्रयास सफल नहीं होने देंगे। यदि रामजीलाल सुमन के साथ कोई दुर्घटना होती है तो इसकी सारी जिम्मेदारी योगी सरकार की होगी। उन्होंने योगी पर आरोप लगाया कि उनके सचिवालय के लगभग दो दर्जन अधिकारियों में से सिर्फ दो ही पीडीए परिवार के हैं। वहां पर सामंती सोच प्रभावी है और सवर्णों का वर्चस्व है, इसीलिए दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की नहीं सुनी जा रही है।
वैसे भी अखिलेश यादव ने जिस तरह से अपने सांसद रामजी लाल सुमन का बचाव किया है, उससे यही लगता है कि राणा सांगा पर सिर्फ जुबान ही सांसद रामजीलाल सुमन की थी पर विचार अखिलेश यादव के ही थे। अखिलेश यादव ने कभी भी सुमन के बयान के लिए उनकी आलोचना नहीं की। सांसद सुमन उस जाटव समाज से आते हैं, जिससे बसपा प्रमुख मायावती भी हैं। सूत्रों का कहना है कि पूरी कवायद बसपा के जाटव वोट बैंक को अपनी तरफ खींचने की पुरजोर कोशिश है। ताकि एमवाई समीकरण में दलित को जोड़कर उसे पीडीए के रूप में और मजबूत किया जा सके। यूपी में आगरा को दलितों की राजधानी कहा जाता है, क्योंकि आगरा और आसपास के जिलों में दलितों की आबादी अधिक है। ऐसे में उन्होंने यहां दलितों की वकालत और सुमन से मुलाकात कर एक राजनीतिक मैसेज देने की कोशिश की है।
यूपी में बीते विधानसभा चुनाव तक मुस्लिम-यादव समीकरण यानी एमवाई की बात करने वाले अखिलेश यादव अब पीडीए की बात करते हैं। वे हिंदुओं को जातियों में बांट कर और इसमें मुसलमानों को जोड़कर नया सियासी समीकरण बनाने की कोशिश में हैं। किंतु उनका यह दांव बीते विधानसभा उपचुनाव में फेल हो गया। फिर भी उनको लगता है यह समीकरण आने वाले विधानसभा चुनाव में काम कर जाएगा। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अपने सांसद सुमन का बचाव भी इसीलिए किया ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव की लड़ाई को दलित बनाम सवर्ण का रंग दिया जा सके। और अभी तक वे इस अभियान में सफल भी दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि जिस तरह से करणी सेवा ने आगरा में 12 अप्रैल को राणा सांगा के जन्मदिवस पर प्रदर्शन किया वह हिंदू एकता के लिए खतरा भी हो सकता है। क्योंकि इससे अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी को दलित वर्ग को यह समझाने में आसानी रहेगी कि क्षत्रिय समाज दलित समाज के सांसद को डराने की कोशिश कर रहा है।
यहां एक और बात भी जोड़ना जरूरी है कि पीडीए के ए यानी अल्पसंख्यक को लेकर सपाई इतने बेचैन हैं कि उन्हें नमाज पढ़ने में भी कोई संकोच नहीं है। इस मामले में समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक रविदास मेहरोत्रा का उल्लेख करना जरूरी है। उन्होंने बीते रमजान माह के दौरान मुसलमानों के साथ बाकायदा नमाज पढ़ी और निकटता दिखाने की कोशिश की। हालांकि भाजपा ने इस पर खूब चुटकियां लीं और इसे मुस्लिम तुष्टिकरण की इंतेहा करार दिया। मुस्लिम समाज को भी शायद उनका यह काम रास नहीं आया। इस पर बरेली वाले मौलाना शहाबुद्दीन रजबी बरेलवी ने कहा कि यह उसूलन और शरीयत के हिसाब से गलत है। उन्होंने कहा कि अगर रविदास मेहरोत्रा को नमाज इतनी ही प्यारी है तो वह पहले कलमा पढ़ें, रोजा रखें और हज करें। उसके बाद हम उन्हें गले लगाने को तैयार हैं। पर अभी तक मौलाना शहाबुद्दीन रजबी बरेलवी के बयान पर रविदास मेहरोत्रा का कोई रिएक्शन नहीं आया है।
दूसरी ओर अखिलेश यादव ने कन्नौज में गौशाला से बदबू आने वाला बयान देकर भाजपा और संत समाज को उद्वेलित कर दिया है। भाजपा जहां इसे सनातन और गौ माता का अपमान बता रही है, वहीं यह सवाल भी उठा रही है कि कोई यदुवंशी इस तरह का बयान कैसे दे सकता हैं। भाजपा के नेता कहते हैं कि बदबू गौशाला से नहीं आती है बल्कि अखिलेश यादव के दिमाग में भरी हुई है। वे मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो गए हैं। उन्हें सारी कमियां सिर्फ सनातन, उसके रीति रिवाज और उससे जुड़े धर्मस्थलों में ही दिखती है। जबकि गाय हमारी सनातन परंपरा का आधार है। सारे सनातनी गाय को माता मानते हैं। ऐसे में माता के रहने के स्थान को बदबूदार कहना अखिलेश यादव की निकृष्ट मानसिकता को ही दिखाता है। इस मुद्दे पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा है कि अब मैं उनकी सोच को क्या कहूं, बस यही कह सकता हूं कि उनकी सोच में ही गंदगी है। उनका कहना है कि गाय तो हमारी माता है, देश का सम्मान है, उसके प्रति ऐसा विचार ठीक नहीं है।
सपा भी अब हिंदुत्व की राह पर चल पड़ी : हालांकि समाजवादी पार्टी पर हिंदू विरोधी और मुस्लिम समर्थक होने का आरोप लगाया जाता है, किन्तु इधर वह हिंदुओं को रिझाने के लिए भी कुछ काम कर रही है। इसके दो संकेत बीते दिनों दिखाई दिए। भाजपा को अयोध्या से हराकर विपक्ष के पोस्टर ब्वॉय बने सांसद अवधेश प्रसाद पासी ने बहुत दिनों के बाद या यों कहें कि सांसद बनने के बाद पहली बार चैत्र नवरात्र में अयोध्या में प्रभु श्रीराम लला के सपरिवार दर्शन किए तो चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। सांसद ने न सिर्फ खुद रामलला के दर्शन किए बल्कि यह भी कहा कि शीघ्र ही उनके पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव भी राम लला के दर्शन करने आएंगे। फिर तो इस पर राजनीतिक चर्चा शुरू हो गई। लोग कयास लगाने लगे कि मिल्कीपुर के विधानसभा उपचुनाव में मिली बुरी हार के बाद तथा पूरे उपचुनाव में भी भाजपा से परास्त होने के बाद सपा के जिम्मेदारों को अब अकल आ गई है। और अब वे हिंदुत्व की तरफ लौटने लगे हैं। सपा के हिंदुत्व की तरफ लौटने का एक और उदाहरण है, इटावा में बन रहा केदारनाथ मंदिर। बताया जाता है कि ये मंदिर हूबहू केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति होगा। जानकारी के अनुसार यह मंदिर अक्षांश रेखा पर स्थित है, और इसी रेखा पर महादेव के अन्य मंदिर भी स्थित हैं। कुछ लोग इसे महाभारत की कथा से भी जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि पांडवों ने महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद जब अनगिनत हत्याओं का प्रायश्चित करने की सोची तो उन्होंने ज्योतिषियों के सुझाव पर केदारनाथ में मंदिर की स्थापना की थी।
जानकारों का कहना है कि यादव परिवार भी शायद ऐसा ही कुछ प्रायश्चित करना चाहता है, और इस मामले में महादेव से बड़ा कोई दयालु नहीं है। इसीलिए पांडवों की तरह महादेव का मंदिर बनाया जा रहा है। खबर है कि यादव परिवार इसके पहले इटावा में भगवान विष्णु का मंदिर बनवाना चाहता था। जिसकी घोषणा अखिलेश यादव ने स्वयं की थी। उसके लिए जमीन भी खरीद ली गई थी। किंतु अचानक विष्णु मंदिर से शिव मंदिर की ओर जाना किसी नई कहानी को जन्म देता है। बताते हैं कि यादव परिवार का मानना है कि जब से उसने अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाई, प्रदेश में होने वाले दंगों पर आंखें मूंद ली और अल्पसंख्यकों की खुशी के लिए हिंदुओं की उपेक्षा की है, उसका प्रायश्चित करना जरूरी है। और इसीलिए पांडवों की तर्ज पर इटावा में केदारेश्वर महादेव का मंदिर बनाया जा रहा है। और सब कुछ पंडितों की राय पर हो रहा है। क्योंकि विष्णु मंदिर को छोड़कर सपा जिस प्रकार से शिव मंदिर बनवाने में लग गई है, यह सिर्फ संयोग नहीं हो सकता। खबर है कि जिस जमीन को विष्णु मंदिर के लिए खरीदा गया था, उसी पर शिव मंदिर बनाया जा रहा है। यानी कि कुछ तो बात है जिसे यादव परिवार अभी सार्वजनिक नहीं करना चाहता। इस शिव मंदिर के बारे में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने स्वयं अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है, और इसकी औपचारिक सूचना दी है। लोगों का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर का विरोध करके भगवान भोले शंकर के आराध्य श्रीराम का अपमान किया है। इस लिए अब वे भोले शंकर के मंदिर की स्थापना क़र प्रायश्चित करना चाहते हैं। कुल मिलाकर अब पीडीए के साथ-साथ समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर भी बढ़ने की कोशिश में है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक इंटरव्यू में कहना था कि हम कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं, वरना मथुरा में अब तक बहुत कुछ हो गया होता। यानी वे अपने हिंदू वोटरों को साफ संकेत देना चाहते हैं कि वे ही हिन्दू समाज के हित रक्षक हैं। और मौका मिलते ही वे श्री कृष्ण जन्म स्थान यानी इदगाह की जगह पर भव्य मंदिर बनवाएंगे। वैसे भी प्रयागराज महाकुंभ में बढ़ी योगी की टीआरपी का जलवा अभी भी बरकरार है। उस महाकुंभ का ही असर है कि हिंदू समाज लगातार एक होता जा रहा है, और इसी को लेकर सपा और बाकी विपक्ष बेचैन है।
इसके अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लोगों को हिंदुओं से अनुशासन सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक सनातनी आए, किंतु वहां कोई लूट, संपत्ति का विनाश, आगजनी या अपहरण नहीं हुआ। योगी ने कहा कि इसी को धार्मिक अनुशासन कहते हैं। अगर आप सुविधा चाहते हैं, तो आपको अनुशासन का पालन भी करना चाहिए। उन्होंने हिंदू मंदिरों और मठों द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में दान के उदाहरण भी दिए। इसी संदर्भ में उन्होंने सवाल किया कि क्या वक्फ बोर्ड ने इतनी संपत्ति होने के बावजूद इस तरह का कल्याणकारी काम किया है। योगी का साफ और सपाट कहना है कि देश में हिंदू सुरक्षित रहेगा, तभी मुसलमान भी सुरक्षित रहेगा। और फिर तब पूरा देश सुरक्षित होगा। उनका मानना है कि जहां पर भी हिंदू बहुतायत में हैं, वहां शांति रहती है और वहां हिंदू और मुसलमान दोनों अपने-अपने तरीके से प्रगति के मार्ग पर चलते हैं। किंतु जहां भी मुसलमान अधिक रहते हैं, वहां दंगे फसाद होते हैं और हमेशा अराजकता फैली रहती है। इसलिए मुसलमानों को अपनी आबादी बढ़ाने पर कम, शिक्षा व सामाजिक उत्थान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसी में उनका और देश का भला है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी धर्मांतरण के मुद्दे पर कहा है कि अगर सभी धर्म एक हैं तो धर्मांतरण की जरूरत ही क्या है। उनका कहना है कि भारत के सभी लोग सनातनी हैं, इसलिए धर्मांतरण की जरूरत नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग अपनी सत्ता के लिए धर्मांतरण कराते हैं, ये ठीक बात नहीं है। लोगों को ये बात समझनी चाहिए कि अगर आप हिंदू हैं तो आपको हिंदू ही रहना है, डर और लालच में धर्म नहीं बदलना चाहिए। संघ प्रमुख का कहना है कि हमें अपना घर, मंदिर और श्मशान सुरक्षित रखना होगा, देश और सनातन अपने आप सुरक्षित हो जाएगा। इसके अलावा आरएसएस के सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा है कि अगर संघ के कार्यकर्ता काशी और मथुरा के मंदिरों के लिए आंदोलन करना चाहते हैं, तो संगठन को इससे कोई परहेज नहीं है। पर इसका ध्यान रखा जाना चाहिए कि सभी मस्जिदों के लिए ऐसा प्रयास नहीं होना चाहिए। क्योंकि इससे अव्यवस्था फैलती है। इस प्रकार वे मथुरा और काशी के लिए आंदोलन शुरू करने को हरी झंडी दिखा रहे हैं। और यह उनका यह बयान भाजपा को मजबूत करेगा। अब तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि अब हिंदुओं को एकजुट होने की ज़रूरत है। इसी एकजुटता से ही भारत फिर विश्वगुरु बनेगा और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। भागवत ने कार्यकर्ताओं के साथ पंचायत कर हिंदू धर्म का संदेश देने को कहा। उन्होंने सनातन धर्म को सर्वोपरि रखने पर भी ज़ोर दिया।
इसके अलावा भाजपा ने इस बार संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती को भी पूरे धूमधाम के साथ निभाया। पार्टी ने पूरे देश में विशेषकर उत्तर प्रदेश में जयंती के कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन जगहों पर दलितों को बुलाकर सम्मानित किया गया। कुल मिलाकर इसके जरिए उनसे एकजुटता का परिचय दिया गया, ताकि समाजवादी पार्टी के दलित बनाम सवर्ण वाले नैरेटिव को ध्वस्त किया जा सके। क्योंकि ठीक उसी के पहले सांसद रामजी लाल सुमन के विवादित बयान के बाद क्षत्रिय समाज भडक उठा था और सांसद के खिलाफ आवाज उठने लगी थी। समाजवादी पार्टी ने इसे तुरंत एक दलित सांसद के अपमान से जोड़ कर दलित बनाम सवर्ण का नैरेटिव गढना शुरू कर दिया था।
खलनायक बन गए हैं अखिलेश : उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने सांसद रामजीलाल सुमन के राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान पर कहा कि सांसद अखिलेश यादव के केवल मोहरे हैं। महापुरुष राणा सांगा पर अखिलेश यादव ने जान बूझकर सुमन से बयानबाजी करवाई ताकि जातीय उन्माद भड़के। राजभर ने कहा कि असली खलनायक तो अखिलेश यादव हैं। और सच कहूं तो अखिलेश यादव राष्ट्रीय खलनायक हो चुके हैं। उन्होंने शंका व्यक्त करते हुए कहा कि अब वे सुमन को शहीद कर देंगे। उनका कहना है कि पासी समाज राष्ट्रभक्त व धर्मभक्त है, और वह भी वास्तविकता समझ रहा है। इसके अलावा पासी समाज इस पूरे षडयंत्र से खिन्न है और समय आने पर सपा को जवाब भी देगा।
कांग्रेस के साथ मिलकर यूपी का चुनाव लड़ेगी सपा : अखिलेश यादव ने बीते रविवार 20 अप्रैल को ऐलान किया है कि उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस का गठबंधन जारी रहेगा। और दोनों दल मिलकर 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इस प्रकार अखिलेश ने बहुत दिनों से चली आ रही उन अटकलों को भी खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया है कि दोनों दलों में खटास है और अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। हालांकि कांग्रेस की ओर से अभी तक इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। उधर सूत्रों का कहना है कि इस गठजोड़ में आम आदमी पार्टी की भी एंट्री हो सकती है। खबर है कि अखिलेश से आप सांसद संजय सिंह की इस बाबत चर्चा चल रही है। बताते हैं कि दोनों अच्छे मित्र भी हैं। इसके अलावा बीते लोकसभा चुनाव में आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस से मतभेद के बावजूद लखनऊ आकर सपा के पक्ष में पत्रकार वार्ता की थी।
अखिलेश के पीडीए के दांव में तेजस्वी का तड़का : समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीए वाले दांव में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने 65 परसेंट आरक्षण का तड़का लगा दिया है। प्रयागराज महाकुंभ से उठे सनातनी ज्वार के बाद बिहार में हुए बाबा बागेश्वर की कथाओं में उमड़े हिंदुत्व की आवाज से घबराए बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव ने अब राज्य में 65 परसेंट आरक्षण का दांव चला है। तेजस्वी का कहना है कि संख्या के आधार पर आरक्षण न देकर दलितों और पिछड़ों का हक मारा जा रहा है। उन्होंने वादा किया कि हमारी सरकार आई तो हम दलितों और पिछड़ों के लिए 65 फ़ीसदी आरक्षण देने का कानून लाएंगे। तेजस्वी का कहना है कि हम जब नीतीश कुमार के साथ सरकार में शामिल थे, तब हमारे ही दबाव में जातीय सर्वे कराया गया था। परंतु अब भाजपा के दबाव में नीतीश कुमार उसके मुताबिक आरक्षण लागू नहीं कर रहे हैं। इसलिए हमारी सरकार बनी तो हम कानून बना कर दलितों और पिछड़ों को 65 फ़ीसदी आरक्षण देने का कानून लाएंगे।
धीरेंद्र शास्त्री का हिंदू जोड़ो अभियान भाजपा के पक्ष में : अपनी कथाओं के माध्यम से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लगातार हिंदू समाज को जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने हिंदू जोड़ो अभियान के नाम से पद यात्रा भी की है, और अन्य पदयात्राओं की योजना भी बना रहे हैं। इस प्रकार वे भी भाजपा का काम आसान करते जा रहे हैं। प्रयागराज में सफल महाकुंभ के बाद बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बिहार के गोपालगंज जिले में अपनी कथा का आयोजन किया था। कथा में सनातनियों की भारी भीड़ जुटी थी। इससे परेशान होकर राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं ने बाबा के खिलाफ बयान बाजी भी शुरू कर दी थी। और यहां तक कह दिया था कि इन बाबाओं का बिहार के लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। इस दौरान आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर भी बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के घर पर मेहमान बनकर पहुंचे थे। इन दोनों की बिहार में मौजूदगी ने माहौल ऐसा बना दिया था कि लगा पूरे बिहार में हिंदुत्व का ज्वार उठ गया है। इसी से राजद और इंडी गठबंधन परेशान हो गया था। कुल मिलाकर जितनी तेजी से धीरेंद्र शास्त्री का हिंदू जोड़ो अभियान सफल हो रहा है, उतनी ही तेजी से भाजपा का काम आसान होता जा रहा है। और विपक्ष यही आरोप भी लगाता है कि बाबा बागेश्वर सिर्फ भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए कथाएं करते हैं, और भाजपा का राजनीतिक एजेंडा चलते हैं। गोपालगंज में कथा के दौरान बाबा बागेश्वर को धमकियां भी दी गई थीं। जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि मुझे जितना रोकोगे, मैं उतना ही आऊंगा। अगर बहुत ज्यादा रोकोगे तो यहीं पर मठ बना लूंगा और फिर कथाएं करूंगा। वैसे भी यह संजोग ही है कि बिहार में जब भी चुनाव आते हैं तो बाबा बागेश्वर की कथाएं उसके पहले हो ही जाती हैं। इसे लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक