चांदी आयात भी सरकार के सामने खड़ी करेगा कड़ी चुनौती

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चांदी-आयात भी सरकार के सामने खड़ी करेगा कड़ी चुनौती……. देश में चांदी का आयात बहुत तेज रफ्तार से बढ़ा है। औद्योगिक क्षेत्र के साथ – साथ इससे बने बर्तनों और जेवरों की मांग बढ़ने का सीधा असर आयात पर पड़ रहा है। चांदी आयात पर जिस तरह से विदेशी मुद्रा खर्च में लगातार होने वाली बढ़ोतरी आने वाले दिनों में सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी करने वाली है।

देश चांदी के उत्पादन के मामले में बहुत कमजोर है। दूसरी तरफ सफेद धातु का इस्तेमाल -खपत द्रुतगति से बढ़ी है, आगे इसमें और इजाफा होना ही होना है। सोलर पैनल, रसायनों, दर्पण निर्माण, औषधीय उपचार, कंप्यूटर, मोबाइल सहित अन्य तमाम उपकरणों में लगने वाले प्रिंटेड सर्किट, इलेक्ट्रिक वाहनों की बैट्रियों, टीवी स्क्रीन, निवेश और ज्वेलरी में चांदी की खपत तेजी से बढ़ी है। २०२१-२२ में औद्योगिक खपत में जहां सिर्फ पांच प्रतिशत बढ़ी वहीं ज्वेलरी और निवेश में बाईस प्रतिशत के मुकाबले बर्तनों में अप्रत्याशित रूप से उंतीस प्रतिशत बढ़ गई।

एक तरफ मांग में साल दर इज़ाफा और दूसरी तरफ मामूली घरेलू उत्पादन। इस वजह से चांदी का आयात का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ रहा है। कहने को देश में चांदी की पांच बड़ी खानें भी हैं, इनमें से चार खानें-सिंदेसार खुर्द, रामपुर अगोछा, जवार (उदयपुर) और राजपुरा दरीबा राजस्थान में और कर्नाटक में हट्टी गोल्ड माइन्स कंपनी लिमिटेड में चांदी का खनन होता है। हट्टी के अलावा चारों खाने प्रवासी भारतीय उद्योगपति अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता रिसोर्सेज के स्वामित्व में हैं। देश में चांदी का सालाना उत्पादन ६००-७०० किलो ग्राम के बीच सीमित रहता है।

ऐसे हालात में एकमात्र विकल्प बचता है आयात। इसीलिए भारत को चांदी के खातिर दूसरे मुल्कों पर निर्भर रहना पड़ता है लेकिन जिस तेजी से बढ़ते आयात पर कीमती विदेशी मुद्रा बाहर जा रही है वह आने वाले दिनों में सरकार के सामने एक नई चुनौती खड़ी करेगी। भारत चांदी का आयात प्रमुख रूप से हांगकांग यूके, रूस, स्विट्ज़रलैंड, कज़ाख़स्तान, पोलैंड से करता है। जैसाकि वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले पांच सालों में भारत ने इस बहुउपयोगी सफेद धातु के आयात पर १ लाख २८ हजार करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की विदेशी मुद्रा ख़र्च की। भारत ने २०१८-१९ में २६,१८९ करोड़ रुपए, २०१९-२० में १९,१६२ करोड़ रुपए, २०२०-२१ में १५,९६० करोड़ रुपए, २०२१-२२ में २४,४५४ करोड़ रुपए और २०२२-२३ में ४२, ३२० करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा ख़र्च की। वैसे वैश्विक स्तर पर अमेरिका चांदी का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। उत्पादन के मामले में मैक्सिको नंबर एक है, घटते क्रम में चीन, पेरू, चिली, आस्ट्रेलिया, बोलिविया, पोलैंड, रूस, अमेरिका और अर्जेंटीना आता है। इलेक्ट्रिक लक्ज़री कारों की शक्तिशाली बैट्रियों में चांदी का बहुत इस्तेमाल होता है, मसलन टेक्सला की एक ई कार में लगभग एक किलो ग्राम चांदी इस्तेमाल होती है।

प्रणतेश बाजपेयी