सर्दी का अनमोल उपहार है तिल, जानिए कैसे करें उपयोग

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सर्दी के मौसम में तिल के विभिन्न व्यंजन स्वाद की दृष्टि से तो लाजवाब होते ही हैं लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेमिसाल होते हैं। तिल के संदर्भ में बहुत ही सुंदर और ज्ञानवर्धक जानकारी श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रजनी पोरवाल दी है।

सर्दी का अनमोल उपहार है तिल : तिल लाल, सफेद और काला मुख्यतः तीन प्रकार का होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से सभी तिल गुणकारी माने जाते हैं। तिल का उपयोग गजक, तिल के लड्डू, तिल और बाजरे के पुए और अनेकों अनेक मिठाइयां और व्यंजन के रूप में सर्दियों में घर-घर में सेवन किया जाता है। तिल शरीर को पोषण और गर्मी प्रदान करता है वही विटामिन, मिंरल्स, कैल्शियम, आयरन, मैग्निशियम, फाइबर, कॉपर, जिंक प्रोटीन आदि से भरपूर है। वही इसमें कोलेस्ट्रोल नहीं पाया जाता। फलस्वरूप यह सेहत के लिए विशेषकर हृदय की सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है।

कितना खाएं तिल : तिल चाहे काला हो या सफेद या लाल, तिल को ज्यादा मात्रा में नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह गर्म तासीर के होते हैं। इसलिए 20 से 25 ग्राम तिल का सेवन प्रतिदिन करना श्रेष्ठ है। महिलाओं और छोटे बच्चों को इससे कम मात्रा में तिल का सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और बूढ़े तथा कमजोर पाचन शक्ति वाले लोगों को तिल का सेवन कम मात्रा करना चाहिए।

तिल कैसे खाएं : तिल को बारीक पीसकर सेवन करना पौष्टिकता और आरोग्यता के साथ साथ पाचन की दृष्टि से भी सुपाच्य होता है। कमजोर शरीर वाले और जिनका हाजमा शक्ति कमजोर है पाचन ग्रंथियां लिवर, पेनक्रियाज, गॉलब्लैडर, तिल्ली आदि कमजोर है। ऐसे लोग जिनके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम है और काफी समय से रक्ताल्पता से पीड़ित हैं। वह आटे की तरह बारीक पीसा हुआ 5 से 10 ग्राम तिल को बराबर मात्रा में गुड़ व केसर मिश्रित दूध के साथ सुबह एवं शाम को सेवन करें। यह पेशाब संबंधी तकलीफों के निदान में बहुत लाभकारी नुस्खा है, जिन्हें पेशाब रात में हर घंटे में या रात्रि में बहुत ज्यादा आती है वह इस नुस्खे के साथ पानी या दूध में भीगे हुए दो से चार देसी छुआरा को चबा चबा कर या गुठली निकाल कर पीसकर सेवन करें तो गुर्दों और संपूर्ण मूत्र प्रणाली को बहुत लाभ मिलता है।

रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर कैंसर पर लगाता है ब्रेक : तिल शरीर की रक्षा प्रणाली को सशक्त और मजबूत बनाता है। यह शरीर पर होने वाले बैक्टीरिया वायरस फंगस आदि के आक्रमण से शरीर के आंतरिक अंगों की रक्षा और सुरक्षा करता है। इम्यूनिटी को बढ़ाकर अस्वस्थता से बचाव के साथ-साथ दीर्घायु प्रदान करने में भी सहायक है। यह ह्रदय के लिए बलवर्धक है।

तिल हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार है। तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। अपनी इस खूबी की वजह से ही यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है।

औषधीय गुण : तिल रक्तवर्धक है। यह उम्र की ढलती अवस्था में त्वचा पर होने वाली झुर्रियों को कम करने में मददगार है, त्वचा की कोशिकाओं को पोषण प्रदान कर आकर्षक व चिर युवा बनाए रखने में बहुत महत्त्वपूर्ण है। त्वचा और बालों की सेहत के लिए तेल के फायदे दादी मां के नुस्खे से लेकर नवीनतम वैज्ञानिक अनुसंधानों में भी मिल जाते हैं। तिल का सेवन करने से शरीर में मन मस्तिष्क में हैप्पी हारमोंस का रिसाव बढ़ जाता है। फल स्वरुप तनाव और डिप्रेशन को कम करने में सहायक हैं। तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो छोटे बच्चों के विकास की उम्र में हड्डियों के शक्तिशाली निर्माण को बढ़ाता है। इसकेअलावा यह ओस्टियो आर्थराइटिस के मरीज के जोड़ों के बीच में मौजूद कार्टिलेज के घिसने और नष्ट होने को रोककर जोड़ों के दर्द में राहत प्रदान करता है। साथ ही साथ मांस-पेशियों की अकड़न को दूर कर उन्हें मुलायम शक्तिशाली बनाने के लिए भी बहुत फायदेमंद है।