स्मार्टमीटर के लिए 2.4 लाख करोड़ पर टपक रही लार…… बिजली की बड़े पैमाने पर होने वाली चोरी को रोक पाने में अब तक असफलता ही हाथ लगी है। खूब हाथ-पैर मारने के बाद सरकार की सारी उम्मीदें स्मार्टमीटरों पर टिक गईं हैं। सरकार ऐसा मानती है कि देश में प्रत्येक उपभोक्ता के यहां स्मार्टमीटर लगाकर हर साल तकरीबन 80 हजार करोड़ रुपए की होने वाली बिजली चोरी रोकी जा सकेगी। अगले दो सालों में पचीस करोड़ स्मार्टमीटर लगाने की सरकारी योजना है। इस पर सरकार द्वारा लगभग 2.4लाख करोड़ रुपए खर्च करने का खुलासा होने के बाद भारतीय स्मार्टमीटर बाजार पर विदेशी कंपनियों की लार टपकने लगी और वे यहां की कंपनियों के माध्यम से अरबों रुपए लगाकर लम्बी कमाई करने की तैयारी में हैं।
दरअसल सरकार बिजली वितरण कंपनियों के भारी भरकम घाटे से तंग आ चुकी है। बिजली कंपनियां जिसे प्रेषण-वितरण हानि (ट्रांसमिशन ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन लाॅसेस) कहती हैं वह वस्तुत: बिजली-चोरी होती है। स्मार्टमीटर वेब आधारित सिस्टम से कनेक्ट होते हैं और इनसे बिजली वितरण करने वाली खस्ताहाल कंपनियों की वित्तीय सेहत में बहुत सुधार किया भी जा सकता है। स्मार्टमीटर परियोजना के तहत कुल पचीस करोड़ स्मार्टमीटर लगाए जाने हैं। स्मार्टमीटर निर्माण में केंद्र सरकार की एनर्जी एफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड, इंटेलिस्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, एच पी एल इलेक्ट्रिक ऐंड पावर लिमिटेड, एवन मीटर्स, ग्राम पावर (सिंगापुर की पोलारिस की कंपनी), शनीडर इलेक्ट्रिक और जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लगी हैं। इनमें से अधिकतर कंपनियां चीन से आयात करती हैं या चीनी पुर्जों से तैयार करती हैं। अभी तक करीब डेढ़ करोड़ स्मार्टमीटर लगाए गए हैं।
जानकारी के अनुसार सिंगापुर का जीआईसी ग्रुप भारतीय स्मार्टमीटर बाजार में जोरदारी के साथ उतर रहा है। जीआईसी की सहयोगी जेम व्यू इन्वेस्टमेंट प्रा. लि. ने जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के साथ बीते दिन निवेश समझौता किया है जिसके तहत जीनस उत्पादन, मार्केटिंग के साथ-साथ उपभोक्ताओं को राष्ट्रीय स्तर पर बिक्री बाद होने वाली समस्याओं के समाधान मुहैया कराएगी, इसके लिए टेक्नोलॉजी पर आधारित प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा। जीआईसी सोलह हजार करोड़ रुपए का निवेश कर रही है। जीनस के संयुक्त प्रबंध निदेशक जितेंद्र कुमार अग्रवाल क़े अनुसार इसके अलावा जीआईसी से सम्बद्ध कंपनी चिसविक इन्वेस्टमेंट जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर में 519 करोड़ रुपए का निवेश करेगी।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भारतीय स्मार्टमीटर निर्माताओं के वित्तपोषण के लिए पचास करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराएगा। स्मार्टमीटर निर्माताओं से ली गई जानकारी के अनुसार एक स्मार्टमीटर के निर्माण और इसकी स्थापना पर तकरीबन चार हजार रुपए की लागत आती है। सरकारी लक्ष्य के तहत पचीस करोड़ स्मार्टमीटर लगने के बाद देश में बिजली की चोरी बंद हो या नहीं, बिजली-वितरण कंपनियों की वित्तीय सेहत में सुधार होगा भी अथवा नहीं यह तो आने वाला ही खुलासा करेगा। लेकिन यह तो निश्चित है कि 2.4 लाख करोड़ रुपए की इस परियोजना से स्मार्टमीटर कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत जरूर हो जाएंगी।
प्रणतेश बाजपेयी