नयी दिल्ली। भारत को दबाव में लेने में विफल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार भारत पर 25 परसेंट का टैरिफ ठोंक ही दिया। हालांकि इसे लागू करने की तारीख एक अगस्त से बढ़ाकर सात अगस्त कर दिया है। आपरेशन सिंदूर के समय से ही भारत पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत ट्रंप लगातार लगभग 30 बार ये बयान दे चुके हैं कि भारत और पाक के बीच जारी लड़ाई को उन्होंने ही रुकवाया। उनका दावा है कि इसके लिए उन्होंने भारत को व्यापार का लालच दिया। इसमें गौर करने वाली बात ये है कि आपरेशन सिंदूर को रोकने की सूचना भारत से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दे दी।
इसके बाद से ही राहुल गांधी समेत पूरा विपक्ष नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बयानबाजी में लगा हुआ है। अब जब ट्रंप ने भारत पर 25 परसेंट का टैरिफ भी ठोंक दिया है तो एक बार फिर विपक्ष मोदी सरकार पर और हमलावर है। ट्रंप भारत और रूस की व्यापारिक साझेदारी से इतने नाराज़ हैं कि उन्होंने भारत और रूस को भी डेड इकोनॉमी वाला घोषित कर दिया। खबर है कि ताजा बयान में उन्होंने दावा किया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। लेकिन कांग्रेस के ही कुछ नेता ट्रंप और राहुल गांधी से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि ट्रंप बेबुनियाद बातें कर रहे हैं। जबकि भारत को ‘डेड इकोनॉमी’ कहने पर राहुल गांधी ने ट्रंप का समर्थन करते हुए कहा है कि ट्रंप का अनुभव इकोनॉमी के मामले में अच्छा है। ऐसे में अगर उन्होंने कहा है, तो ठीक ही कहा है।
राहुल गांधी की इस बात का समर्थन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी करते हुए कहा है कि अगर ट्रंप कह रहे हैं तो सही ही होगा। ऐसे में आपरेशन सिंदूर, बिहार के एसआईआर के नाम पर मोदी सरकार को घेरने वाले विपक्ष को अब नया हथियार मिल गया है। दुखद यह है कि विपक्ष अपने देश के जिम्मेदारों की बात को दरकिनार कर ट्रंप की बात को प्रचारित करने में लगा है। खैर, इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि राहुल गांधी आजकल डोनाल्ड ट्रंप की कठपुतली के रूप में दिख रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप के बयान, जिसमें भारत को डेड इकोनॉमी बताया गया है, पर राहुल गांधी ने कहा है कि ट्रंप ने सबके सामने फैक्ट रखा है। और सच्चाई भी यही है कि मोदी सरकार ने भारत की इकोनॉमी को गहरी चोट पहुंचाई है। ट्रंप के बयान के कुछ देर बाद संसद परिसर में राहुल गांधी ने कहा कि वे राष्ट्रपति ट्रंप के बयान से सहमत हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर हर व्यक्ति यह बात मानता भी है। राहुल गांधी की बात की ताईद करते हुए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का भी कहना है कि अगर ट्रंप कह रहे हैं, तो सही कर रहे होंगे। यानी दोनों नेताओं को ट्रंप की बात पर पूरी तरह विश्वास है। दोनों नेता लगातार इस मुद्दे को उछाल भी रहे हैं। राहुल गांधी की इस बात का समर्थन अखिलेश के अलावा विपक्ष के कई नेताओं ने भी किया है।
दूसरी ओर भारत से आयात पर 25 फासदी का टैरिफ लगाने का घोषणा करने के कुछ घंटों बाद ट्रंप ने कहा कि भारत और रूस अपनी बर्बाद इकोनॉमी को एक साथ गर्त में ले जा सकते हैं, पर मुझे इसकी परवाह नहीं है कि भारत, रूस के साथ क्या करता है। उन्होंने कहा कि हमने भारत के साथ बहुत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके शुल्क बहुत अधिक हैं। दरअसल अमेरिका रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर भारत से नाराज है। और इसीलिए उसने भारत पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। अब एक ताजा दावे में ट्रंप ने कहा है कि अब भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा। सूत्रों का कहना है कि ट्रंप ने आपरेशन सिंदूर को रोकवाने का श्रेय लेने की असफल कोशिश के जरिए भारत की नरेंद्र मोदी सरकार पर ट्रेड के लिए दबाव बनाने की गरज से ही बार-बार ये बयान दिया कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई रोकवाई। जब भारत ने ट्रंप की शर्तों पर ट्रेड समझौता करने से मना कर दिया तो रिएक्शन में ट्रंप ने भारत पर 25 परसेंट टैरिफ लगा दिया है। उनका ताजा बयान इसी बारगेनिंग टैक्टिस का हिस्सा लगता है।
हालांकि जानकार बताते हैं कि भारत की इकोनॉमी पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत ने ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड समझौता कर लिया है। दरअसल ट्रंप भारत और रूस के बढ़ते व्यावसायिक रिश्तों से परेशान हैं। इसी खीझ में उन्होंने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की है। परंतु ट्रंप के इस बयान ने भारत के विपक्ष को मोदी के खिलाफ बोलने का मौका दे दिया है। विपक्ष का कहना है कि मोदी के फास्ट फ्रेंड ट्रंप ने भारत के साथ गद्दारी की है। खबर यह भी है कि डोनाल्ड ट्रंप के परिवार का भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में अच्छा खासा निवेश है। ऐसे में ट्रंप पर एक सवाल उठता है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था को डेड बताकर वे भारत की इकोनॉमी को कमजोर बता रहे हैं, उसी देश में उनका परिवार पैसा क्यों लगा रहा है।
उधर कांग्रेस के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं और गठबंधन सहयोगियों ने ट्रंप पर जमकर निशाना साधा है। यानी इस मुद्दे पर राहुल गांधी के अपने ही उनको आईना दिखा रहे हैं। इस बाबत कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने कहा है कि नई दिल्ली को वाशिंगटन डीसी की अनुचित मांगों के आगे नहीं झुकना चाहिए। जबकि कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला का कहना है कि ट्रंप क्या कहते हैं, मायने ये नहीं रखता है, मायने ये रखता है कि हमारी इकोनॉमी बीते दस सालों में बहुत मजबूत हुई है। हम चीन की तरह निर्यात पर भी निर्भर नहीं हैं, हमारे पास घरेलू मार्केट है। शिवसेना उद्धव गुट की नेता और सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि भारत की इकोनॉमी विश्व की सबसे तेज बढ़ती हुई इकोनामी है। इसके अलावा कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने भी कहा है कि ट्रंप की बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत ही नहीं है। इस बाबत उत्तर प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम और सांसद दिनेश शर्मा ने कहा है कि इस समय जो भारत का विरोधी है, वह राहुल गांधी का मित्र है। चूंकि यही उनकी फितरत है, ऐसे में उनसे यही उम्मीद भी है।
हमारे पास विकल्पों की कमी नहीं- शशि थरूर : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका-भारत ट्रेड डील को चुनौतीपूर्ण बताते हुए कहा कि यूरोपीय यूनियन से हमारी बात चल रही है। इसके अलावा हमने ब्रिटेन के साथ एक समझौता पहले ही कर लिया है और अन्य देशों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। अगर हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते तो हमें अमेरिका के बाहर अपने बाजारों में विविधता लानी पड़ सकती है। वैसे भी हमारे पास विकल्पों की कमी नहीं है। केरल से सांसद शशि थरूर ने कहा कि अगर अमेरिका अपनी अनुचित मांगों पर अड़ा रहता है तो भारत को भी किसी और तरफ रुख करना चाहिए।
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, ट्रंप गलत : कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर कहा है कि उनका बयान गलत है, हमारी आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी कमजोर नहीं है। ऐसे में अगर कोई यह दावा करता है कि वह हमें आर्थिक रूप से बर्बाद कर सकता है, तो यह उसकी गलतफहमी है, ट्रंप भ्रम में जी रहे हैं। राजीव शुक्ला ने अमेरिका-पाक ऑयल डील पर कहा कि पाक के साथ अमेरिका के ऑयल डील को लेकर हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। वैसे भी कोई भी देश यह तय नहीं कर सकता कि हम किसके साथ व्यापार कर सकते हैं, और किसके साथ नहीं।
प्रियंका चतुर्वेदी ने साधा डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना : शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि भारत दुनिया की टॉप पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। ऐसे में इसे डेड इकोनॉमी कहना केवल अहंकार या अज्ञानता की स्थिति से ही आ सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत के सामने आर्थिक चुनौतियां हैं और उसे अभी प्रति व्यक्ति आय पर काम करने की जरूरत है, लेकिन उसकी ये आर्थिक चुनौतियां डेड इकोनॉमी के बराबर तो नहीं हैं। ऐसे में ट्रंप का बयान साफ तौर पर एक मनमाफिक व्यापार समझौता करने की रणनीति है।
डेड नहीं ‘डैशिंग’ इकॉनमी है भारत : अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप खीझ में भारत को डेड इकॉनमी बता रहे हैं। उनके कहने का अर्थ यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फेल हो चुकी है, और अब वह गर्त को जाने वाली है। जबकि जानकारों का कहना है कि ये न सिर्फ ट्रंप की अज्ञानता है, बल्कि उनकी मूर्खता और घमंड को दर्शाता है। जानकार बताते हैं कि भारत डेड इकॉनमी होने से कोसों दूर है। भारत वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक रफ़्तार का इंजन है, और आँकड़े इनकी गवाही देते हैं। भारत वर्तमान में विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसका आकार लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर है। जल्द ही यह जर्मनी को पीछे छोड़ तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। भारत की इकोनॉमी में बढत का सिलसिला बीते 10 वर्षों से लगातार चल रहा है, तथा आगे और भी चलना पक्का है। वर्ष 2015-25 के बीच भारत की औसत जीडीपी दर 6%-6.5% रही है। जबकि इस बीच भारत ने कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और दूसरे वैश्विक संकट झेले हैं। और भारत के मुकाबले चीन इस दौरान 6% या उससे नीचे की ही रफ़्तार से बढ़ा है। चीन की जीडीपी वृद्धि दर और भी धीमी होती जा रही है। इसके अलावा अमेरिका की इकोनॉमी 1.9% की स्पीड से बढ़ रही है, जबकि भारत की इकोनॉमी 6.4 के रेट से बढ़ रही है। विश्व बैंक का भी कहना है कि भारत विश्व की तेज रफ्तार से बढ़ने वाली इकोनॉमी है।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक