लखनऊ। राजनीति और कूटनीति में एक स्थापित सत्य यह है कि इसमें कोई किसी का न तो स्थाई मित्र होता है और न ही स्थाई शत्रु। इसीलिए जो डोनाल्ड ट्रंप कल तक नरेंद्र मोदी की तारीफ करते नहीं थकते थे आज उनसे खफा हैं। और दूसरी तरफ जो कांग्रेस और राहुल गांधी ट्रंप से सम्बन्धों को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते थे अब उन्हीं की भाषा बोलने लगे हैं। दरअसल ये कुल मामला एक-दूसरे के स्वार्थ को पूरा करने का है। ट्रंप को लगता है कि वे इस तरह का बयान देकर नरेंद्र मोदी और भारत को दबाव में लेकर पाकिस्तान की तरह अपना पिट्ठू बना लेंगे। दूसरी तरफ राहुल गांधी को भी लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों को लेकर मोदी सरकार को घेरना ज्यादा आसान है। डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार 35 बार ये दावा कर दिया है कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई रूकवाई। और इसी दावे को आधार बनाकर राहुल गांधी कह रहे हैं कि मोदी सरकार एक विनिंग पोजीशन को छोड़कर डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में सरेंडर कर गई।
ऐसे में इस मामले में वह कहावत चरितार्थ होती दिखाई दे रही है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। एक तरफ अमेरिका अपने टैरिफ टैक्टिस के चलते विश्व में अलग-थलग पड़ता दिखाई दे रहा है, तो वहीं राहुल गांधी भी अपने बेतुके और बे-सिर-पैर के बयानों के चलते भारतीय राजनीति में अपना महत्व कम करते जा रहे हैं।
भारत की तेज रफ्तार से बढ़ रही इकोनामी और उसके विश्व की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने के कारण जितना परेशान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं, उतना ही परेशान भारत में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हैं। ट्रंप को लगता है कि अगर इसी तरह भारत की इकोनॉमी बढ़ती रही तो भारत हमारी चौधराहट को कबूल नहीं करेगा। और राहुल गांधी इसलिए परेशान हैं कि अगर इसी तरह मोदी के नाम का डंका बजता रहा तो उनके सत्ता में आने के चांसेस धीरे-धीरे खत्म होते जाएंगे। इसीलिए दोनों नेता नरेंद्र मोदी से नाराज हैं, परेशान हैं। शायद यही कारण है कि जब भी डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं कि हमने भारत-पाक के बीच में युद्ध रुकवाया तो राहुल गांधी तत्काल उसको लपक लेते हैं, और कहते हैं कि मोदी ने ट्रंप के आगे सरेंडर कर दिया। और फिर जब डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था डेड इकोनामी है, तो इस बात को भी राहुल गांधी इसलिए पकड़ लेते हैं ताकि वे यह साबित कर सकें कि भारतीय अर्थव्यवस्था नरेंद्र मोदी के कारण छिन्न-भिन्न हो गई है। ताकि विपक्ष के नेता के रूप में उनके पास कहने के लिए कुछ बचा रहे। वैसे ये वही राहुल गांधी हैं जो नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद भारत के अमेरिका से मजबूत होते रिश्तों के कारण ट्रंप को पसंद नहीं करते थे। उन्होंने कभी उनकी तारीफ नहीं किया, 2014 के बाद तो बिल्कुल ही नहीं। क्योंकि तब मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मित्रता की चर्चाएं थी, दोनों का आपस में अच्छा कोऑर्डिनेशन था। किंतु भारत के बढ़ते प्रभाव और उसकी बढ़ती इकोनॉमी के चलते अब ट्रंप परेशान हैं। और अब उन्होंने बारगेनिंग करना शुरू कर दिया है, इस बारगेनिंग के चक्कर में वह भारत से दूर होते चले गए हैं। और इसी स्थिति का फायदा उठाकर राहुल गांधी ट्रंप की बातों को सही बताते हुए नरेंद्र मोदी पर हमलावर हैं। आजकल राहुल गांधी को डोनाल्ड ट्रंप की सारी बातें सही और सच्ची लग रही हैं।
दरअसल ट्रंप नाराज इस कारण हैं, क्योंकि नरेंद्र मोदी और भारत उनका पिट्ठू बनने को तैयार नहीं हैं। पिछले दिनों ट्रंप ने भारत से कहा कि रूस से तेल मत खरीदो पर नरेंद्र मोदी ने मना कर दिया। क्योंकि रूस हमारा पुराना मित्र है और तेल भी सस्ता दे रहा है। मोदी का कहना है कि सस्ता तेल भारत की आर्थिक स्थिति के लिए भी ठीक है। इसके अलावा ट्रंप रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भी नाराज हैं, क्योंकि वह उनके कहने पर यूक्रेन पर हमला नहीं रोक रहे हैं। और पुतिन उनके इस दावे पर भी चोट पहुंचा रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि वे रूस और यूक्रेन की लड़ाई रोकवा देंगे। ट्रंप इस दावे पर भी चुनाव जीत कर आए हैं। और चूंकि भारत के पुतिन से अच्छे संबंध हैं, इसलिए ट्रंप को यह बात अच्छी नहीं लग रही है। वे इंडिया के जरिए पुतिन को दबाव में लेना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि भारत रूस से तेल खरीद कर रूस को आर्थिक रूप से मजबूत न करे, लेकिन भारत उनके दबाव में नहीं आ रहा है।
इसके अलावा ट्रंप ने नरेंद्र मोदी से यह अपेक्षा की थी कि वे पाकिस्तान की तरह उसके लिए नोबेल प्राइज की सिफारिश करें, लेकिन मोदी ने मना कर दिया। बताते हैं कि जब नरेंद्र मोदी कनाडा में मीटिंग के लिए गए थे, तब डोनाल्ड ट्रंप ने अपेक्षा की थी कि मोदी अमेरिका आकर उनके साथ बैठक करें और वहीं से उनकी नोबेल प्राइज की दावेदारी का समर्थन करें। किंतु तब तक ट्रंप दबाव बनाने की रणनीति के तहत ये बयान दे चुके थे कि उन्होंने ही भारत-पाक के बीच लड़ाई रूकवाई। ऐसे में नरेंद्र मोदी ने उनका इशारा समझ लिया और अमेरिका नही गये। खबर है कि डोनाल्ड ट्रंप अपनी इस उपेक्षा से भी नाराज हैं। दरअसल ट्रंप ने यह सोचा था कि जिस तरह उन्होंने पाकिस्तान के जनरल आसिम मुनीर को अपने यहां दावत देकर नोबेल की सिफारिश वाला बयान दिलवा दिया, शायद इस तरह नरेंद्र मोदी भी कर दें, किंतु नरेंद्र मोदी उसके लिए तैयार नहीं हुए। क्योंकि नरेंद्र मोदी अगर ऐसा करते तो घरेलू मोर्चे पर उन्हें जवाब देना भारी पड़ जाता। भारत का विपक्ष पहले से ही ट्रंप के बयान को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर था। ऐसे में नरेंद्र मोदी ने इस मामले में सावधानी बरती और डोनाल्ड ट्रंप के झांसे में नहीं आए।
इसके अलावा ट्रंप ने भारत से कहा कि हमारी शर्तों पर व्यापार करो पर भारत ने मना कर दिया। डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार करके भारी मुनाफा कमा रहा है। ऐसे में वे चाहते हैं कि भारतीय उत्पादों पर भारी टैक्स लगे पर भारत को यह पसंद नहीं है। इसीलिए भारत ने विकल्प के रूप में ब्रिटेन और रूस की तरफ कदम बढ़ाया है। इसके अलावा इन दिनों चीन की भी बोली भारत के प्रति थोड़ी डायलूट हुई है। इसे लेकर भी ट्रंप परेशान हैं। उधर ट्रंप की धमकी से बेपरवाह भारत में ब्रिटेन से फ्री ट्रेड का समझौता कर लिया है और रूस से तेल खरीद ही रहा है।
ट्रंप दरअसल दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं, और वहां के कानून के मुताबिक अमेरिका में कोई व्यक्ति दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है। ऐसे में ट्रंप के पास बहुत ज्यादा समय नहीं है। वे चाहते हैं कि जाते-जाते अपने लिए नोबेल पुरस्कार की जमीन पुख्ता कर लें ताकि पुराने पाप धुल जाएं। पिछले दिनों खबर आई थी कि उनका कोई पुराना सेक्स स्कैंडल था, जिसके बारे में चर्चाएं शुरू हो गई थीं। ऐसे में उनकी बदनामी शुरू हो गई थी। इसके अलावा उनके चुनाव अभियान में सबसे बड़े मित्र और मददगार रहे अमेरिकी उद्योगपति एलोन मस्क ने भी उनका साथ छोड़ दिया है, जो उनके लिए एक बड़ा सेटबैक है। एलोन मस्क ने उनकी रोक के बावजूद भारत में अपनी टेस्ला कार का शोरूम खोल दिया है। उन्होंने तो एक नयी पार्टी का भी एलान कर दिया है। ट्रंप इन सब घटनाओं से बहुत परेशान हैं। उन्हें लगता है कि अगर सब ऐसे ही चलता रहा तो उनकी इमेज को बहुत बड़ा बट्टा लगेगा। इसीलिए वे चाहते हैं कि कोई न कोई जुगाड़ करके नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन तो हो ही जाए, किंतु पाकिस्तान के अलावा किसी देश ने उनकी इस दावेदारी का समर्थन नहीं किया है। इस मामले में नरेंद्र मोदी भी घास नहीं डाल रहे हैं। इसके अलावा भारत ने ट्रंप के आपरेशन सिंदूर रोकने सम्बंधित सभी दावों को भी खारिज कर दिया है। संसद में भी बयान दे दिया गया है कि भारत-पाक की लड़ाई रोकने में किसी देश की कोई भूमिका नहीं थी। लेकिन बार-बार बयान देकर ट्रंप सिर्फ भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं और राहुल गांधी ट्रंप के उन्हीं बयानों को लेकर नरेंद्र मोदी पर हमलावर हैं। लेकिन विपक्ष के उनके साथी भी अब धीरे-धीरे यह मानने लगे हैं की लड़ाई रोकने में ट्रंप की कोई भूमिका नहीं थी।
इस मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर, राजीव शुक्ला, मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम और शिवसेना उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी के बयान महत्वपूर्ण हैं। ये सभी लोग राहुल गांधी के बयानों की हवा निकाल रहे हैं। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप और राहुल गांधी दोनों ही खिसियाए हुए हैं, और अनर्गल बयान बाजी पर उतर आए हैं। इसी से नाराज होकर ट्रंप ने अब पाकिस्तान के सिर पर हाथ रखा है और भारत की तुलना में पाकिस्तान पर 6 फीसदी कम यानी मात्र 19 परसेंट का टैरिफ लगाया है। हालांकि पाक अवाम उनकी चालाकी को समझ रही है और उसे इस पर विश्वास नहीं हो रहा है। पाकिस्तानी जनता यह भी मानती है कि पुतिन भारत के अच्छे दोस्त हैं, और उन्होंने उनकी हर समय मदद की है। पाक अवाम का तो यहां तक कहना है कि भारत तो अभी तक ट्रंप से दोस्ती का दिखावा कर रहा था, क्योंकि भारत का असली दोस्त तो रूस ही हैं। पाक की अवाम का मानना है कि भारत ने ट्रंप को इतने दिन तक बेवकूफ बना कर रखा। दूसरी तरफ ऑपरेशन सिंदूर के बाद पुतिन के समझाने पर ही शायद चीन ने भी भारत के प्रति अपना नजरिया बदला है। उसके विदेश मंत्री ने तो यहां तक कहा है कि अब समय आ गया है भारत, चीन और रूस का एक परिसंघ बनना चाहिए जो दुनिया में एक मजबूत ताकत बनकर उभर सकता है। हालांकि इतनी जल्दी चीन पर विश्वास करना होशियारी भरा कदम नहीं होगा, किंतु इस समय यह बात ट्रंप को परेशान तो कर ही रही है।
इस खबर के बाद से ही ट्रंप और परेशान हैं। उनको लगता है कि अगर ये तीनों देश साथ मिल गये तो उनकी चौधराहट खत्म हो जाएगी। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप की लगातार कोशिश है कि भारत के खिलाफ बयान दे देकर नरेंद्र मोदी को दबाव में लाकर अपना उल्लू सीधा किया जाए। किंतु भारत के लोग भी अब उनके बयानों को बहुत तवज्जो नहीं दे रहे हैं। इस बाबत शिवसेना उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का बयान काफी महत्वपूर्ण है। वे कहती हैं कि ट्रंप क्या कहते हैं, इससे हमें कोई सरोकार नहीं। हम तो अपने डीजीएमओ, अपनी सेना और अपनी सरकार की बात मानते हैं। इसके अलावा ट्रंप के बयान की धज्जियां उड़ाते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर और राजीव शुक्ला कहते हैं कि ट्रंप का यह कहना कि भारत एक डेड इकोनामी है, गलतबयानी है। उनका कहना है कि भारत पिछले 10 सालों में लगातार तरक्की कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। भारत सिर्फ उत्पादन ही नहीं कर रहा, उसकी अपनी मार्केट भी है। ऐसे में ट्रंप की बात विश्वास करने योग्य नहीं है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ट्रंप की बात को तवज्जो दे रहे हैं तो सिर्फ इसलिए कि इससे उनको नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट करने में मदद मिल रही है। इसके लिए वे लगातार झूठ भी बोल रहे हैं, और झूठ ही बोलने के चक्कर में कई बार सुप्रीम कोर्ट की लताड़ भी पा चुके हैं। इसके बावजूद न तो राहुल गांधी के सलाहकार यह बात समझ रहे हैं, और न ही स्वयं राहुल गांधी। मतलब साफ है कि राहुल गांधी को डोनाल्ड ट्रंप के बयानों में अपना मतलब दिख रहा है इसलिए ट्रंप के बयान और ट्रंप उन्हें दोनों ही अच्छे लग रहे हैं।
पाकिस्तानी जनता मोदी को मानती है आयरन मैन : इन दिनों पाकिस्तान की जनता नरेंद्र मोदी को आयरन मैन कहने लगी है। वहां, एक टीवी डिबेट में एक जानकार ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप उस नरेंद्र मोदी को झुकाना चाहते हैं, जो इस समय आयरन मैन की तरह काम कर रहा है। उनका कहना है कि मोदी किसी के दबाव में झुकने वाला नहीं है, और ऐसे में तो बिल्कुल ही नहीं जब उसका पुतिन जैसा साथी है। पाकिस्तानी अवाम कहती है कि नरेंद्र मोदी में यह भी क्षमता है कि वे विपक्ष के लोगों को भी अपने पक्ष में कर लेते हैं। इस सिलसिले में वे कांग्रेस सांसद शशि थरूर, राजीव शुक्ला, मनीष तिवारी और शिवसेना उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का नाम देते हैं। उनकी बात में सच्चाई भी दिख रही है, क्योंकि ये सभी लोग अब भारत, भारत की सेना और भारत की इकोनॉमी की बाबत अपनी-अपनी पार्टी से अलग मत रखते हैं। और ये सभी इस समय सरकार के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। पाक की जनता यह भी शक है कि है कि डोनाल्ड ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम भी किसी हिडेन एजेंडे का परिणाम हो सकता है। जनता कहती है कि ट्रंप अपनी सुविधा के अनुसार भारत को पाकिस्तान के खिलाफ और पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करते रहते हैं। ऐसे में उनकी बात पर विश्वास करना, अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। उनका यह भी कहना है कि ट्रंप बेवकूफ आदमी है, वह किसी का सगा नहीं हो सकता। पाकिस्तान की जनता एआइएमआइएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के लेकर भी परेशान है। वह कहती है कि यह नरेंद्र मोदी का ही कारनामा है कि उन्होंने उस ओवैसी को पाकिस्तान के खिलाफ खड़ा कर दिया, जो सिर्फ मुस्लिमों की बात करता था। ओवैसी ने विदेशों में जाकर जिस तरह पाकिस्तान की ऐसी तैसी की है, उससे पाकिस्तान की अवाम हैरान हैं। इस समय पाकिस्तान में असदुद्दीन ओवैसी की चर्चाएं आम हैं।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक