पेंशन ट्रस्ट का वित्तीय प्रदर्शन ख़राब,10 ट्रस्टी और पीएफआरडीए खामोश

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पेंशन ट्रस्ट का वित्तीय प्रदर्शन बेहद निराशाजनक,10 ट्रस्टी और पीएफआरडीए खामोश…….. नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) ट्रस्ट के खर्चों में बेकाबू बढ़ोतरी हुई है, ट्रस्ट के संचालक राकेट की तरह फर्राटा भरते खर्चों पर नियंत्रण रखने में या तो असफल सिद्ध हुए हैं या उनकी लापरवाही या फिर कुछ और …। यह तो ट्रस्ट के खर्चों की बात हुई। न्यू पेंशन सिस्टम (एनपीएस) की परिसंपत्तियों की देखरेख – प्रबंधन की जिम्मेदारी भी ट्रस्ट पर रहती है। छानबीन करने पर हमने पाया कि ट्रस्ट एनपीएस की आमदनी में जहां सिर्फ 3 प्रतिशत सुधार कर पाया वहीं इसके समग्र खर्च का 100 प्रतिशत बढ़ना कहीं न कहीं बड़ी गड़बड़ का एलार्म बजा रहा है।

बताना जरूरी है कि ट्रस्ट ही एनपीएस में पेंशनर्स के योगदान से एकत्रित धनराशि का निवेश-प्रबंधन करता है। एनपीएस में देश के ६.३५ करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के साथ लापरवाही, नजरंदाजी नहीं की जानी चाहिए। पहले तो हम ट्रस्ट के स्वयं की आय-व्यय का निचोड़ सामने रखते हैं। ट्रस्ट की खुद की कुल आय 2021-22 में 36 करोड़ से तकरीबन सत्रह प्रतिशत बढ़कर 2022-23 में 42.58 करोड़ रुपए हो गई। लेकिन ट्रस्ट के एस्टेब्लिशमेंट खर्चों में 52 प्रतिशत की अप्रत्याशित बढ़त दर्ज़ की गई। दोनों वित्तीय वर्षों की बैलेंस शीट के आंकड़ों से सामने आया कि एस्टेब्लिशमेंट खर्चे 9.53 करोड़ से बढ़कर 14 करोड़ से भी ज्यादा हो गए। ट्रस्ट के प्रशासनिक व्यय तो ट्रस्ट के ट्रस्टियों और अधिकारियों की कलई खोलने के लिए काफी हैं।

प्रशासनिक खर्चे एक वर्ष के अंतराल में तीन गुना हो गए, 2020-21 में 6.83 करोड़ से ऊंची छलांग लगाकर 2022-23 में 20 करोड़ रुपए, आश्चर्य ! और इसी का दुष्परिणाम ट्रस्ट के वित्त पर पड़ा। आधिक्य यानी सरप्लस साठ प्रतिशत घटकर 2023, मार्च में 8 करोड़ रुपए रहा, जबकि 2022, मार्च में ट्रस्ट को 19 करोड़ रुपए से ज्यादा आधिक्य हुआ था। अब आते हैं ट्रस्ट द्वारा मैनेज की जाने वाली एनपीएस की धनराशि, उसके निवेश से होने वाली आय और उसके प्रबंधन पर होने वाले खर्चों पर।

बताते चलें कि पेंशन फंड रेगुलेटरी ऐंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) ने भारतीय न्यास कानून 1882 के तहत एनपीएस ट्रस्ट की स्थापना की थी। और केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) जनवरी 2004 में लांच की गई थी। एनपीएस के निवेश में 2022-23 में 1.58 लाख करोड़ रुपए का इज़ाफा हुआ और इसका समग्र निवेश 2022 मार्च में 7.23 लाख करोड़ की तुलना में 2023 मार्च में 8.81 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया लेकिन सकल आय इसी अवधि में सिर्फ 3.1 प्रतिशत बढ़कर 55,456 करोड़ रुपए से 57,177 करोड़ रुपए हो पाई।

एनपीएस का सकल खर्च एक वर्ष में दोगुना हो गया, 2021-22 में 11,464 करोड़ रुपए था और 2022-23 में 22,541 करोड़ रुपए के स्तर पहुच जाना अत्यंत चिंताजनक है। लेकिन ट्रस्ट के बोर्ड में बैठे दस ट्रस्टी अपने-अपने क्षेत्र के धुरंधर भी हैं, पीएफआरडीए ही इनकी नियुक्ति भी करता है लेकिन बेकाबू खर्चों को लेकर बोर्ड में मंथन नहीं किया गया, ट्रस्टी और पीएफआरडीए की जवाबदेही बनती है। क्योंकि 6.35 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों ने सरकार पर भरोसा करके अपनी गाढ़ी कमाई एनपीएस में निवेश की है।

एनपीएस ट्रस्ट बोर्ड के चेयरमैन सूरजभान बहुत काबिल हैं, वाई वेकटराव, कु चित्रा जयसिंहा, जुगुल किशोर शर्मा, पी सी कपूर (आईएएस), रुचिर मित्तल, एम जे मोहन, डा. प्रसेनजित मुखर्जी (पूर्व डिप्टी सीएजी) , संतोष कुमार मोहंती और देबाशीष मलिक जैसे मंझे, अपने क्षेत्र के माहिर और तजुर्बेकारों के रहते वित्तीय मोर्चे पर इतना निराशाजनक प्रदर्शन क्यों हो रहा है?

प्रणतेश बाजपेयी