माउंट आबू हिल स्टेशन: अनुपम सौन्दर्य

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माउंट आबू हिल स्टेशन को प्राकृतिक सौन्दर्य का एक नायाब सितारा कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” में ऐसा प्रतीत होता है कि धरती पर साक्षात स्वर्ग उतर आया हो। राजस्थान के रेगिस्तान इलाका स्थित ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” की आगोश में मौसम का भरपूर आनन्द मिलता है। समुद्र तल से करीब एक हजार दो सौ बीस मीटर ऊंचाई पर स्थित ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” अरावली पर्वत श्रंखला का हिस्सा है।

अरावली पर्वत श्रंखला के पर्वत आबू को अब ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” के नाम से ख्याति है। इसे अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर माना जाता है। जैन धर्म के तीर्थस्थलों से इलाका लबरेज है। आबू पर्वत बनास नदी के निकट स्थित है। ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” एवं उसके आसपास ऐतिहासिक स्मारकों, धार्मिक स्थलों, मंदिरों एवं कलाभवनों की एक लम्बी श्रंखला है। ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” में शिल्प-चित्र एवं स्थापत्य कलाओं का अनुपम संगम पर्यटकों को आकर्षित करता है।

‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” में संगमरमर को दो भव्य-दिव्य जैन मंदिर हैं। ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” राजस्थान के सिरोही जिला के तहत आता है। ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” एरिया कभी चौहान साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय बना दिया था। ब्रिाटिश शासन के दौरान ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” हुक्मरानों का पसंदीदा स्थान था। कारण प्राकृतिक सौन्दर्य से इलाका परिपूरित था। विकास ने सौन्दर्य के विभिन्न आयामों को आैर भी अधिक सुन्दर बनाया।

‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” सुन्दर झीलों, हरी-भरी वादियां, ताजगी देने वाली घाटियां, वन्य जीवों की अठखेलियों-धमाचौकड़ी वाला वन्य जीव अभ्यारण आदि खास हैं। ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” खास तौर से प्राचीनकाल में साधु-संतों का तपस्थली एवं आश्रयस्थली रहा। कहावत है कि इस पर्वत का नाम हिमालय के पुत्र आरबुआदा के नाम है।

‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” सूर्योदय एवं सूर्यास्त का दिग्दर्शन अद्भुत एवं अद्वितीय होता है। खास तौर से दिलवाड़ा मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। यह शानदार मंदिर जैन धर्म के तीर्थकंरों को समर्पित है। दिलवाड़ा के मंदिर एवं मूर्तियां भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट अंकन हैं। यहां की स्थापत्य कला पर्यटकों को मोहित कर लेती है। मंदिरों की इस श्रंखला से करीब आठ किलोमीटर दूर अचलगढ़ किला है। ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” के मुख्य आकर्षणों में नक्की झील, गोमुख मंदिर, मांउट आबू वन्य जीव अभ्यारण आदि इत्यादि हैं।

नक्की झील: नक्की झील पर्यटकों के लिए प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। नक्की झील में पर्यटक नौकायन का लुफ्त उठा सकते हैं। झील के बीच में एक सुन्दर टापू है। पैडल वोट के जरिये पर्यटक टापू की यात्रा करते हैं। नक्की झील के आसपास हरी-भरी वादियां, खजूर के वृक्ष आदि मोहक लगते हैं।

ओम शांति भवन: ओम शांति भवन एशिया का पांचवां अद्भुत हाल है। इसमें दो से तीन हजार व्यक्ति आसानी से बैठ सकते हैं।

दिलवाड़ा मंदिर: दिलवाड़ा मंदिर अपनी कलात्मकता, सभ्यता एवं संस्कृति के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मंदिर की बारीक नक्काशी देखने लायक है। यहां की कलात्मकता सौन्दर्यबोध कराती है।

सनसेट प्वाइंट: सनसेट प्वाइंट से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का दिलकश नजारा पर्यटक यहां से ले सकते हैं। इस दिलकश नजारा को देखने के लिए पर्यटकों की भारी भीड़ जुटती है। ह

हनीमून प्वाइंट: हनीमून प्वाइंट नवविवाहित जोड़ों के लिए खास है। इस स्थान पर दो चट्टानें हैं। यह चट्टानें किसी जोड़े की भांति प्रेम प्रदर्शित करते प्रतीत होती हैं।

गुरु शिखर: गुरु शिखर अरावली पर्वत श्रंखला की शीर्ष चोटी है। यहां भगवान शिव का दर्शनीय मंदिर है।

अचलगढ़: अचलगढ़ ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” का एक ऐतिहासिक स्थल है। अचलगढ़ किला के अंदर शिव अचलेश्वर महादेव का सुन्दर मंदिर है। यहीं मानसिंह का समाधि स्थल भी है। बताते हैं कि यहां शिव के पैर के अंगूठे के निशान हैं। जिनका पूजा अर्चना की जाती है।

‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। वायु मार्ग से यात्रा करने के लिए पर्यटक उदयपुर हवाई अड्डा से उड़ान भर सकते हैं। उदयपुर ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” का निकटतम हवाई अड्डा है। उदयपुर से ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” की दूरी करीब 185 किलोमीटर है। गुजरात का हवाई अड्डा अहमदाबाद दो सौ बीस किलोमीटर दूर है। पर्यटक रेल मार्ग से भी ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” की यात्रा कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन अबू रोड शहर है। यहां से ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” 15 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से भी पर्यटक आसानी ने ‘माउंंट आबू हिल स्टेशन” की यात्रा कर सकते हैं।