मीना कुमारी की कामयाबी ने जहर घोल दिया उनकी निजी जिन्दगी में

0
919

किस्से फिल्मी दुनिया के –

मीना कुमारी के कमाल अमरोही के घर आने से पहले भी काफी मामला गर्म हो गया था। नौकर की शिकायत पर तमाम तरह की पाबंदियां मीना पर लगा दी गयी थीं। कमाल अमरोही के परिवार में मीना को लेकर वही माहौल था जो मीना के मायके में था। कमाल अमरोही की बेगम को भी पता चल गया कि उनके शौहर ने दूसरी शादी कर ली है तो वे बच्चों को लेकर अपने गांव अमरोहा चली गईं। रिश्तेदार तलाक के लिए कमाल अमरोही पर दबाव बनाने लगे। कमाल के सामने अजीब मुसीबत थी। पहली बेगम के रिश्तेदार तलाक के लिए दबाव बना रहे थे, दूसरी बीवी से मिलने नहीं दिया जा रहा था। वह हालात से तंग आ गए और एक दिन मीना को पैगाम भिजवा दिया कि इस निकाह को एक भूल समझकर खत्म कर देना चाहिए। निकाह तोड़ने के लिए भेजे गए पैगाम के जवाब में मीना कुमारी ने कमाल अमरोही को खत लिखा- ‘मुझे लगता है आप मुझे समझ नहीं पाए और समझ भी नहीं पाएंगे। बेहतर होगा कि आप मुझे तलाक दें।” इसके बाद दोनों अपने काम में व्यस्त हो गए।

शादी की पहली सालगिरह यानी 14 फरवरी, 1953 को मीना कुमारी ने कमाल को फोन किया। उन्होंने उस खत के लिए माफी मांगी। इस फोन के साथ ही दोनों के रिश्ते बेहतर होने लगे। पर मीना कुमारी के पिता अब भी नहीं मान रहे थे।
भले ही मीना कुमारी ससुराल पहुंच गई थीं, पर उन्हें सुकून तब भी नहीं था। निजी जीवन में एक के बाद एक ऐसे हादसे होने लगे कि मियां-बीवी का रिश्ता बिगड़ने लगा। कमाल अमरोही का कैरियर जहां पाताल में जा रहा था वहीं मीना कुमारी का कैरियर आसमान छू रहा था। हालांकि, उनकी यह उड़ान भी प्राइवेट लाइफ के लिए मुसीबत ही बनी। ‘बैजू बावरा” ने मीना कुमारी को बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड दिलवाया। वह यह अवार्ड पाने वाली वे पहली एक्ट्रेस थीं।

इसके बाद भी उन्होंने एक से बढ़ कर एक फिल्में दीं यथा ‘परिणीता”, ‘दिल अपना प्रीत पराई “, ‘दिल एक मंदिर”, ‘श्रद्धा”, ‘आजाद”, ‘आरती”, ‘कोहिनूर”, ‘काजल”। 1963 में दसवें फिल्मफेयर अवार्ड में बेस्ट एक्ट्रेस की कैटिगरी में जिन तीन अभिनेत्रियों की फिल्में शामिल की गयी थीं वो मीना कुमारी ही थीं। इसमें उनकी तीन फिल्में ‘आरती”, ‘साहिब बीवी आैर गुलाम” व ‘मैं चुप रहूंगी”। यह एक रिकार्ड है कि किसी अभिनेत्री की ही फिल्में एक कैटगरी में थीं। सभी बड़ी मैगजीनों के कवर में उनकी तस्वीर बराबर छपतीं। वह बहुत बड़ी स्टार बन गई थीं। यह स्टारडम उनकी निजी जिन्दगी में कड़वाहट घोल रहा था। मीना कुमारी की सफलता कमाल अमरोही को खटक रही थी। दोनों के बीच कड़वाहट इस कदर बढ़ गई कि अमरोही ने मीना कुमारी को फिल्में छोड़ने के लिए कहा। लेकिन मीना ने इनकार कर दिया। तब कमाल ने शर्तें रखीं। कमाल अमरोही ने मीना कुमारी को फिल्मी कैरियर को जारी रखने की अनुमति कुछ शर्तों पर दी कि वे अपने मेकअप रूम में उनके मेकअप आर्टिस्ट के अलावा किसी और पुरुष को नहीं बुलाएंगी और हर शाम 6.30 बजे तक केवल अपनी कार में ही घर लौटेंगी। मीना ने कमाल से प्यार के चलते ये शर्तें मान लीं। लेकिन दोनों के संबंध फिर भी नहीं सुधरे। लेकिन समय बीतने के साथ वे उन्हें तोड़ती रहीं। ‘साहिब बीवी और गुलाम” के निर्देशक अबरार अल्वी ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे कमाल अमरोही अपने जासूस और दाएं हाथ के आदमी बाकर अली को मेकअप रूम में मीना पर निगाह रखने के लिए भेजते थे।

मीना कुमारी ने अपने रिश्ते को हर मुमकिन कोशिशों से बचाये रखा। लेकिन वे सच्चे प्यार की तलाश में भटक रही थीं। उन्हीं दिनों पंजाब से एक गबरू जवान मायानगरी में हीरो बनने आया। मीना कुुमारी की धर्मेंद्र से पहली मुलाकात 1964 में फिल्म ‘मैं भी लड़की हूं” के निर्माण के दौरान हुई। उस दौरान दोनों ही शादीशुदा थे लेकिन मीना धर्मेंद्र के प्यार में पड़ गईं। लेकिन धर्मेंद्र को मीना कुमारी से कोई प्यार नहीं था बल्कि उन्होंने मीना का इस्तेमाल फिल्म इंडस्ट्री में अपने कदम जमाने के लिए किया था। मीना कुमारी उनके डायलाग बोलकर फेशियल इम्प्रेशन आैर बॉडी मूवमेंट सिखातीं। डायलॉग बोलकर बाकायदा पूरा सीन करके दिखातीं।

उस समय तो ऐसी चर्चा भी रही कि धर्मेंद्र के कारण ही मीना कुमारी का अपने पति कमाल अमरोही से तलाक हो गया। पर सच्चाई तो कुछ आैर थीं। इरोस सिनेमा में अपनी फिल्म के प्रीमियर के दौरान सोहराब मोदी ने मीना कुमारी और कमाल अमरोही को महाराष्ट्र के राज्यपाल से मिलवाया। सोहराब मोदी ने कहा, ‘यह प्रसिद्ध अभिनेत्री मीना कुमारी हैं और यह उनके पति कमाल अमरोही हैं।” बात को वहीं काटते हुए कमाल अमरोही ने कहा, ‘नहीं, मैं कमाल अमरोही हूं और यह मेरी पत्नी प्रसिद्ध अभिनेत्री मीना कुमारी हैं।” यह कहते हुए कमाल अमरोही सभागार से चले गए। मीना कुमारी ने अकेले प्रीमियर देखा। खफा कमाल अमरोही इस घटना से मीना कुमारी से कटे कटे रहते। 1963 में ‘साहिब बीवी और गुलाम” को बर्लिन फिल्म समारोह में भारतीय प्रविष्टि के रूप में चुना गया। भारत सरकार ने मीना कुमारी को प्रतिनिधि के रूप में चुना। तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री सत्य नारायण सिन्हा ने दो टिकटों की व्यवस्था की। एक मीना कुमारी के लिए और दूसरा उनके पति के लिए। लेकिन कमाल अमरोही ने अपनी पत्नी के साथ जाने से इनकार कर दिया जिस कारण उनकी बर्लिन की यात्रा न हो सकी। कमाल अमरोही जब ‘पाकीजा” बना रहे थे, तब बुरी तरह आर्थिक संकट में फंस गए थे। मीना ने अपनी सारी कमाई देकर पति की मदद की। इसके बावजूद यह फिल्म बनने के दौरान दोनों के संबंध लगातार खराब हो गए।”पाकीजा” फिल्म रुक गयी। नौबत तलाक तक पहुंच गई थी।

1972 में साथी अभिनेत्री नरगिस ने उनके बारे में एक आर्टिकल लिखा, जो एक उर्दू पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। नरगिस ने लिखा कि फिल्म ‘मैं चुप रहूंगी” के एक आउटडोर शूट पर, जब वे दोनों बगल के कमरे साझा कर रहे थे, उन्होंने बगल के कमरे से चीख चिल्लाहट व उठा पटक का शोर सुना। अगले दिन, वह एक सूजी हुई आंखों वाली मीना कुमारी से मिलीं, जो शायद पूरी रात रोई थी। इस तरह की बातों को फिल्म ‘पिंजरे के पंछी” के मूहर्त पर पक्का आधार मिला। 5 मार्च 1964 को कमाल अमरोही के मैनेजर व सहायक बाकर अली ने मीना कुमारी को थप्पड़ जड़ दिया जब मीना कुमारी ने गुलजार को अपने मेकअप रूम में प्रवेश करने की अनुमति दी। मीना कुमारी ने तुरंत अमरोही को फिल्म के सेट पर आने के लिए बुलाया लेकिन वह नहीं आए।

इसके बजाय अमरोही ने मीना को घर आने के लिए कहा ताकि वे तय कर सकें के आगे क्या करना है। इसने न केवल मीना कुमारी को नाराज किया बल्कि उनके पहले से तनावपूर्ण संबंधों के ताबूत में अंतिम कील बना। मीना सीधे अपनी बहन मधु (हास्य अभिनेता महमूद की पत्नी) के घर गईं। जब कमाल अमरोही उन्हें वापस लाने के लिए वहां गए, तो बार-बार मनाने के बाद भी उन्होंने अमरोही से बात करने से इनकार कर दिया। उसके बाद न तो अमरोही ने मीना कुमारी को वापस लाने की कोशिश की और न ही वे वापस लौटीं।… स्वछंद प्रवृति की मीना कुमारी का अमरोही से 1964 में तलाक हो गया। वे अलग हो गयीं।… मीना कुमारी की तबीयत भी खराब रहने लगी थी। पैसे भी नहीं थे। शौहर भी नहीं। नींद-चैन गायब हो गया। कई बीमारियों ने उनके शरीर में डेरा जमा लिया।…
(विभिन्न स्त्रोतों से साभार)

प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव