बहराइच में 17 करोड़ से बना बाजार फांक रहा धूल

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अपनी फसल बेचने के लिए दूर न जाना पड़े, इसके लिए योगी सरकार जिलों में किसान बाजार बना रही है। लेकिन कुछ अफसरों कि वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसका ताजा उदाहरण है बहराइच में पिछले 7 साल से बन रहा किसान बाजार। यह बाजार बनकर तैयार तो है, लेकिन आज भी वीरान पड़ा है। इस वीरान पड़े किसान बाजार के पीछे की कहानी क्या है, यह हम आपको बताएंगे, लेकिन पहले पढ़िए 2 साल में पूरा होने वाले किसान बाजार को बनने में 6 साल क्यों लगे?

साल 2015 में बहराइच की मंडी समिति ने बड़े जोर-शोर से मंडी परिषद, लखनऊ को प्रस्ताव दिया कि हमारे यहां के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। इसलिए हम चाहते हैं कि उनके लिए बहराइच में ही किसान बाजार बना दिया जाए। लखनऊ मुख्यालय ने भी इस प्रस्ताव को हाथों हाथ लिया और किसान बाजार बनाने कि हरी झंडी दे दी। जगह का सिलेक्शन हो गया और जनवरी, 2016 में प्रस्ताव भी पास हो गया। तय हुआ कि 2 साल में किसान बाजार बनकर तैयार कर लिया जाएगा। बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर बनेगा, लागत होगी 19 करोड़ रुपए।

इसके बाद मंडी परिषद की निर्माण और विदुयुत खंड इकाई सक्रिय हो गईं। टेंडर जारी कर काम भी शुरू करा दिया गया। मगर, इसके बाद ही अफसरों का खेल भी शुरू हो गया। कहा जाने लगा कि किसान बाजार बनाने की जगह सही नहीं है। इसके बाद प्रोजेक्ट को भी रोक दिया गया। लेकिन बाद में सिर्फ बेसमेंट बनाने और लागत 17 करोड़ करने की शर्त पर प्रोजेक्ट फिर से शुरू हुआ। काफी अडचनों के चलते 2 साल में पूरा होने वाल प्रोजेक्ट 6 साल में यानी 2022 में पूरा हो पाया।

अब पढ़िए क्या है किसान बाजार में? : सिर्फ बेसमेंट में बनकर तैयार हुए किसान बाजार में कुल 42 दुकानें हैं। साथ ही 50 कारों का पार्किंग एरिया भी बनाया गया है। कंस्ट्रक्शन का काम पूरा होने के साथ ही विद्युतीकरण का काम भी पूरा हो चुका है। 11 KV की लाइन और इसके निरीक्षण के लिए 39 लाख रुपए विद्युत विभाग में जमा किए जा चुके हैं। पिछले करीब 8 महीने से परिसर में लगे बिजली के इन उपकरणों की रखवाली एक व्यक्ति कर रहा है। जिस पर महीने का खर्च 15 हजार सैलरी और अन्य खर्चों के साथ मिलाकर करीब 20 हजार है।

तो अब सबसे बड़ा सवाल यह कि दुकानें जिनके लिए बनाई गईं, उन्हें आवंटित क्यों नहीं की गईं? दरअसल, किसान बाजार में कुल 42 दुकानें बनी हैं। एक दुकान की कीमत 30 लाख रखी गई है। ये दुकानें व्यापारियों को बेची जाएंगी, जो किसानों से उनकी उपज खरीदेंगे। इससे किसानों को बहराइच से बाहर नहीं जाना पड़ेगा और ट्रांसपोर्ट पर कम खर्च के चलते उनकी आमदनी बढ़ जाएगी।

इस बारे में जब गहनता से पड़ताल की गई, तो सामने आया कि बहराइच मंडी परिषद के सचिव धनंजय सिंह इन दुकानों के आवंटन में रोड़ा बने हुए हैं। वह निर्माण खंडों (सिविल और विद्युत्) से हस्तांतरण ही नहीं ले रहे हैं। इसके पीछे भी एक कहानी है। दरअसल, जिस समय किसान बाजार बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई, उस समय धनंजय सिंह सचिव नहीं थे। वह अभी कुछ समय पहले ही सचिव बनाए गए हैं। इसके चलते वह दुकान आवंटन की प्रक्रिया में रोड़ा अटकाए हुए हैं।

DM बहराइच बोले- प्रकरण की जानकारी नहीं : डीएम मोनिका रानी ने बताया कि इस प्रकरण की जानकारी नहीं थी। अब प्रकरण संज्ञान में आया है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।