देश में लॉजिस्टिक इको सिस्टम बनाने में निजी क्षेत्र की बड़ी भूमिका

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लखनऊ। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लॉजिस्टिक खर्च को कम करने के राष्ट्रीय लक्ष्य की सफलता में उत्तर प्रदेश के प्रयासों की सराहना की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि केंद्र व राज्य की सरकार एक इकाई के रूप में काम कर रही हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप उत्तर प्रदेश सरकार की नई वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक नीति निजी क्षेत्र को प्रोत्सहित करने वाली है। प्राइवेट सेक्टर को इसका अधिकाधिक लाभ लेना चाहिए।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तीसरे दिन रविवार को ‘भारत का उभरता हुआ वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टक हब उत्तर प्रदेश’ विषयक सत्र में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्तमान में देश में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद का 14% है, जिसमें वर्ष 2030 तक लगभग 8 प्रतिशत तक की कमी लाना का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में शीर्ष 10 में शामिल होना है। देश के सबसे बड़े राज्य यूपी की सरकार, जिस तरह वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स इंफ्रस्ट्रक्चर को बेहतर कर रही है, उससे हमें अपने लक्ष्य में निश्चित ही सफलता मिलेगी।

विशेष सत्र में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने भी अपने विचार रखे। लॉजिस्टिक सेक्टर की चुनौतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक लागत को कम करना उद्योग जगत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए नीतिगत प्रयास किए जा रहे हैं। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और कुछ यूरोपीय देशों में लॉजिस्टिक्स लागत जीडीपी अनुपात से बहुत कम है। सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि लॉजिस्टिक मुद्दों को कम-से-कम किया जाए, निर्यात कई गुना बढ़े और छोटे उद्योगों एवं उनमें काम करने वाले लोगों को अधिक लाभ मिले। यूपी सरकार की नई लॉजिस्टिक नीति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह नीति इस क्षेत्र को देश में एक एकीकृत, लागत-कुशल, लचीला तथा सतत् लॉजिस्टिक परितंत्र बनाने में मदद करेगी क्योंकि यह नियमों को सुव्यवस्थित करने व आपूर्ति-पक्ष की बाधाओं को दूर करने के साथ-साथ क्षेत्र के सभी बुनियादों को कवर करती है।

केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने योगी सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि एक समय था जब लोग यूपी से पंजाब नौकरी करने जाते थे, आज पांच-छह साल में योगी सरकार ने ऐसा काम दिया है कि दूसरे प्रदेशों के लोग यूपी के शानदार बदलाव को देखने आते हैं।

कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा कि कुछ वर्ष पहले तक यूपी में कोई वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स की बात नहीं करता था। आज बदले माहौल के बीच आज देशभर के इस सेक्टर के निवेशकों के लिए यूपी पहली पसंद बन गया है। उन्होंने बताया कि यूपी में देश का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। एक्सप्रेस-वे का संजाल बन रहा है। इनलैंड वॉटर वे शुरू हो गया है। इसका लाभ हमारे उद्योग जगत को मिलेगा। यूपी अब भविष्य को ध्यान में रखकर अपनी नीतियां बना रहा है। देश-दुनिया के उद्योग जगत के लिए यहां हर सेक्टर में मौके हैं। सरकार अपने निवेशकों का पूरा ध्यान रखेगी। वहीं औद्योगिक विकास राज्य मंत्री जसवंत सिंह सैनी ने निवेश के लिए दुनिया भर के उद्योग जगत को आमंत्रित करते हुए कहा कि यूपी में निवेशकों का हित सुरक्षित है। उत्तर प्रदेश में ड्राई पोर्ट के बारे में वेलस्पन वन लॉजिस्टिक्स पार्क्स के कारपोरेट मामलों के मुखिया लोकनाथन नादर ने कहा कि यूपी के $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को पूरा करने में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की बड़ी भूमिका है। इनलैंड वॉटर-वे के माध्यम से यूपी सरकार ने नई संभावनाओं को भी जन्म दिया है। वेयरहाउसिंग के लिए भी सरकार प्रोत्साहन दे रही है।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर आरके जैन ने निर्माणाधीन फ्रेट कॉरिडोर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर द्वारा ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पंजाब में साहनेवाल (लुधियाना) से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के दनकुनी में समाप्त होता है। इसी तरह, 1504 किलोमीटर लंबा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (महाराष्ट्र) से दादरी (उत्तर प्रदेश) तक है और यह देश के प्रमुख बंदरगाहों से होकर गुज़रता है। ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को आपस में जोड़ने के लिये उत्तर प्रदेश के दादरी और खुर्जा के बीच एक खंड निर्माणाधीन है। दोनों कॉरिडोर का सीधा लाभ उत्तर प्रदेश को मिलेगा। निवेशकों के लिए यह शानदार मौका होगा।

उन्होंने कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भारत के परिवहन क्षेत्र में बड़ा सुधार करेगा और भारतीय रेलवे के ट्रंक मार्गों की क्षमता में बढ़ोतरी करेगा, क्योंकि इस मार्ग पर माल गाड़ियां बिना किसी रोक-टोक के स्वतंत्र रूप से आवागमन कर सकेंगी। वर्तमान में भारतीय रेलवे नेटवर्क पर चलने वाली लगभग 70 प्रतिशत माल गाड़ियां डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर स्थानांतरित कर दी जाएंगी, जिससे यात्री ट्रेनों को अधिक रास्ता मिल सकेगा। यही नहीं, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर रेल लाइन को भारतीय रेलवे की अन्य रेल लाइनों की तुलना में अधिक भार उठाने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो कि व्यावसायिक एवं व्यापारिक दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस नए फ्रेट रेल मार्ग से भारतीय रेलवे की मुख्य लाइनों पर अधिक गाड़ियाँ चलाई जा सकेंगी, जिससे भारतीय ट्रेनें अधिक समयबद्ध हो सकेंगी।