नयी दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासी फिज़ा इस समय बदली-बदली सी लग रही है। पिछले कई सालों से एक-दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस अब एक दूसरे के संजीदा बयान देने लगे हैं। अगर संजय राउत को अपवाद मानें तो शिवसेना उद्धव गुट के प्रवक्ताओं की जुबान सीएम के प्रति चाशनी लगी दिख रही है। ये भी हो सकता है कि यह किसी राजनीतिक सौदेबाजी का हिस्सा हो। वैसे भी टीवी चैनलों की डिबेट में उद्धव के प्रवक्ता थोड़ा साफ्ट दिख रहे हैं। इस बाबत सवाल किए जाने पर वे बस मुस्कुरा देते हैं। और तो और मराठा नेता शरद पवार भी सीएम फडणवीस की तारीफ के पुल बांध रहे हैं। और इधर सीएम भी दोनों का आभार व्यक्त करते दिखाई दे रहे हैं। मतलब कुछ तो चल रहा है। इसमें एक बात साफ दिख रही है कि मराठी राग अलाप रहे राज ठाकरे के फिर अकेले पड़ जाने की आशंका अधिक दिखाई दे रही है। उनकी एग्रेसिव राजनीति ही उनकी सबसे बड़ी दुश्मन बनती दिखाई दे रही है।
इन दिनों महाराष्ट्र की सियासत में एक नई तस्वीर सामने आती दिखाई दे रही है। यहां विपक्ष में बैठे शरद पवार और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जमकर तारीफ करते दिखाई दे रहे हैं, और देवेंद्र फडणवीस भी इसे सहर्ष स्वीकार भी कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने फडणवीस को जहां बुद्धिमान और ईमानदार बताया है, वहीं यह भी कहा है कि भविष्य में उन्हें केंद्र में भी अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। वहीं, एनसीपी शरद गुट के सुप्रीमो शरद पवार ने भी देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करते हुए कहा है कि वे कभी थकते नहीं हैं।
दरअसल मामला यह है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने 55वें जन्मदिन के अवसर पर जारी ‘कॉफी टेबल बुक’ ‘महाराष्ट्र नायक’ में प्रशंसा के शब्द कहने पर उद्धव ठाकरे और शरद पवार का आभार जताया है। इस पर नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ किया है कि वे वैचारिक तौर पर दोनों नेताओं से भले ही अलग हों, लेकिन उन्हें अपना दुश्मन नहीं मानते।
सीएम फडणवीस ने दोनों वरिष्ठ नेताओं की प्रशंसा का जवाब बहुत विनम्रता से दिया है। उन्होंने कहा कि हम वैचारिक रूप से एक-दूसरे के विरोधी हैं, लेकिन दुश्मन नहीं। उनका कहना है कि पवार साहब बड़े दिल वाले और वरिष्ठ नेता हैं, उनकी टिप्पणियां मेरे लिए अमूल्य हैं। सीएम ने कहा कि ये बयान उनके राजनीतिक दृष्टिकोण की परिपक्वता और सभी विचारधाराओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
उधर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी अपने लेख में देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करते हुए उन्हें एक अध्ययनशील और वफादार नेता बताया है। उद्धव ठाकरे का कहना है कि फडणवीस ने महाराष्ट्र में बीजेपी को उस समय मजबूती दी है, जब ये राज्य कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। उद्धव ठाकरे ने यह भी माना है कि फडणवीस के पास भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने की संभावना है। उद्धव ने फडणवीस को इसके लिए शुभकामनाएं भी दीं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद) के प्रमुख शरद पवार ने इस पुस्तक में फडणवीस के जोश और काम के प्रति समर्पण की सराहना की है। उन्होंने लिखा है कि जब वह फडणवीस को देखते हैं, तो उन्हें अपना वह समय याद आता है, जब वह 38 साल की उम में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। पवार ने हल्के-फुल्के अंदाज में फडणवीस की कद-काठी का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी भारी-भरकम बनावट कभी मेहनत में बाधा नहीं बनी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि फडणवीस की ऊर्जा उन्हें आश्चर्यचकित करती है।
इस संदर्भ में शिवसेना यूबीटी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी का बयान काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार के उन दावों पर कटाक्ष किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत-पाक की लड़ाई उन्होंने ट्रेड की धमकी देकर रुकवाई। इस पर प्रियंका चतुर्वेदी ने पूछा है कि अगर ऐसा है तो फिर व्यापार समझौता कहां है। एक्स पर उन्होंने कहा कि उनके इस बयान में यह भी नहीं बताया गया कि नुकसान किसका हुआ। अगर ट्रंप बार-बार ये बात कहते हैं तो ऐसा क्यों है कि दोनों देशों में अभी तक कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ। इसके अलावा उन्होंने भारत सरकार के प्रति साफ्ट कार्नर दर्शाते हुए पूछा है कि क्या ट्रंप भारत पर दबाव बनाने के लिए अपना बयान बार-बार दोहराते रहते हैं। प्रियंका चतुर्वेदी का यह भी कहना है कि ट्रंप का ये बयान कि भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के दौरान पांच जेट मार गिराए गए थे, भी अधूरा है, क्योंकि उन्होंने ये स्पष्ट नहीं किया है कि किस पक्ष को नुकसान हुआ।
इसके अलावा इस मामले में देवेंद्र फडणवीस के उद्धव ठाकरे को सत्ता पक्ष में आने के न्योते के दूसरे दिन दोनों नेताओं की मुलाकात का जिक्र करना भी जरूरी है। दोनों की मुलाकात विधान परिषद अध्यक्ष राम शिंदे के कार्यालय में हुई, और लगभग 20 मिनट चली। दरअसल इससे एक दिन पहले सीएम फडणवीस ने विधानसभा में कहा था कि उद्धव ठाकरे चाहें तो अलग तरीके से सत्ता पक्ष में आ सकते हैं, क्योंकि कम से कम 2029 तक तो हमारे लिए विपक्ष में आने की कोई गुंजाइश नहीं है। हां, उद्धव जी सत्ता पक्ष की तरफ आने की गुंजाइश के बारे में सोच सकते हैं, और उस पर अलग तरह से विचार किया जा सकता है।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक