हिमालय की पहाड़ियों एवं लद्दाख की वादियों के बीच स्थित ‘चुंबकीय हिल” निश्चय ही रहस्य से कम नहीं। जी हां, ‘चुंबकीय हिल” का रहस्य ऐसा कि दांतों तले उंगलियां दबाने को विवश कर दे। ‘चुंबकीय हिल” क्षेत्र में बंद कार या अन्य कोई भी वाहन स्वत: चलायमान दिखे तो अचरज होना लाजिमी होगा। यह ‘चुंबकीय हिल” वस्तुत: भारत के लद्दाख क्षेत्र के लेह में मेरा खाल पर एक साइक्लस हिल है। साइक्लस हिल आसपास की ढ़लानों व पहाड़ों का एक संयुक्त हिल एरिया है। पहाड़ों व ढ़लानों का मिलाजुला क्षेत्र ही ‘चुंबकीय हिल” कहलाता है। ‘चुंबकीय हिल” एक अति दुर्गम सड़क से घिरा है।
खास यह कि ‘चुंबकीय हिल” में गुरुत्वाकर्षण के नियम लागू होते नहीं दिखते। अचम्भा को देख कर ‘चुंबकीय हिल” को हिमालय का जादू भी कहा जाता है। सामान्यत: फिसलन वाले क्षेत्र में वाहनों को गियर में डाल कर खड़ा कर दिया जाता है। जिससे वाहन यथावत खड़ा रहे। किन्तु ‘चुंबकीय हिल” में ऐसा नहीं होता कि कोई वाहन खड़ा कर दिया जाये आैर वह वाहन यथास्थान खड़ा रहे। इस ‘चुंबकीय हिल” में कोई भी वाहन न्यूट्रल भी खड़ा कर दिया जाये तो भी वह वाहन नीचे की ओर नहीं जायेगा।
हालांकि लद्दाख का यह इलाका ‘चुंबकीय हिल” निश्चय ही सौन्दर्य का एक प्रतिमान है लेकिन रहस्य भी कम नहीं। श्रीनगर-लेह मार्ग के इस ‘चुंबकीय हिल” में वाहनों को स्वत: चलायमान देख सकते हैं। खड़ा वाहन कुछ ही पलों में स्वत: चलता दिखेगा। भले ही वाहन का र्इंजन बंद कर दिया जाये। तटस्थ रहने पर वाहन धीरे-धीरे हिलना प्रारम्भ कर देता है। हिलने के बाद वाहन स्वत: रेंगना शुरु कर देता है। वाहनों के चलने की यह रफ्तार हालांकि बीस किलोमीटर प्रति घंटा होती है। फिर भी वाहनों का स्वत: चलना स्वयं में किसी रहस्य से कम नहीं।
विशेषज्ञों की मानें तो ‘चुंबकीय हिल” के शिखर अर्थात चोटी पर चुंबकीय तत्व या चुबंकीय रसायनिक तत्व प्रचुर तादाद में उपलब्ध हैं। जिससे लौह तत्व को अपनी ओर खींचते हैं। ‘चुंबकीय हिल” का चुंबकीय तत्व अत्यधिक मजबूत है क्योंकि यह तत्व कार या अन्य वाहनों को भी आसानी से खींच लेता है। शायद यही कारण है कि ‘चुंबकीय हिल” व इसके आसपास वाले इलाके में हवाई उड़ानों की ऊंचाई बढ़ा दी गयी है। जिससे हवाई जहाज ‘चुंबकीय हिल” के प्रभाव में न आ सकें। इस ‘चुंबकीय हिल” क्षेत्र से गुजरने वाला कोई भी पर्यटक या इलाकाई बाशिंदा इस अचरज को आसानी से अनुभव-महसूस करता है।
यह कोई परिकल्पना नहीं बल्कि हकीकत है। पर्यटक ‘चुंबकीय हिल” के इस रहस्य को महसूस करने के लिए अपने वाहनों को बंद कर खड़ा देते है। इसके बाद के हालात देख कर आश्चर्य करते हैं कि भला ऐसा कैसे हो सकता है ? बंद र्इंजन के बावजूद वाहन आगे बढ़ना जारी रखता है। वाहन नीचे की ओर न बढ़ कर शिखर की ओर बढ़ता है। वाहनों के स्वत: चलायमान होने की दशा ‘चुंबकीय हिल” में किसी एक स्थान पर नहीं है। ‘चुंबकीय हिल” क्षेत्र में कहीं भी इस अचरज को महसूस किया जा सकता है। कोई इसे वैज्ञानिक चमत्कार मानता है तो कोई इसे अलौकिक शक्ति की संज्ञा देता है। ‘चुंबकीय हिल” क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि महत्वपूर्ण माना जाता है तो वहीं इसे खतरनाक भी माना जाता है। कारण ‘चुंबकीय हिल” की किसी भी सड़क पर वाहन असंतुलित होने की दशा में वाहन किसी घाटी में गिर सकता है। लिहाजा सावधानी भी महत्वपूर्ण है।
‘चुंबकीय हिल” जाने के लिए लेह-कारगिल-बाल्टिक लद्दाख राष्ट्रीय राजमार्ग से यात्रा करनी होगी। ‘चुंबकीय हिल” समुद्र तल से करीब चौदह हजार फीट की ऊंचाई पर है। लेह शहर से करीब तीस किलोमीटर की दूरी पर ‘चुंबकीय हिल” स्थित है।’चुंबकीय हिल” के पूर्वी हिस्से में सिंधु नदी प्रवाहित है। ‘चुंबकीय हिल” के प्रवेश स्थल पर स्थानीय प्रशासन ने बोर्ड लगा रखा है। ‘चुंबकीय हिल” चुंबकीय शक्तियों से परिपूर्ण है। देश विदेश के पर्यटक इस रहस्य को महसूस करने अनवरत आते रहते हैं।